वैज्ञानिक का दावा : सबको जरूरी नहीं वैक्सीनेशन का दूसरा डोज

एक साल से अधिक समय से रहस्यमय बीमारी बनती जा रही कोरोना को लेकर अभी भी रिसर्च का काम चल रहा है। आए दिन नई जानकारी आ रही हैं।

publised by :  Monika
Update: 2021-04-05 08:02 GMT

वैक्सीनेशन का डोज (फाइल फोटो ) 

नई दिल्ली: पिछले एक साल से अधिक समय से रहस्यमय बीमारी बनती जा रही कोरोना को लेकर अभी भी रिसर्च का काम चल रहा है। इसे लेकर आए दिन नई जानकारी आ रही हैं। अब एक और जानकारी सामने आई है जिसके अनुसार जरूरी नहीं कि कोरोना संक्रमित को वैक्सीन की दो खुराक ही दी जाए क्योंकि हाल ही में एक शोध में पाया गया है कि वैक्सीन के एक डोज से एंटीबॉडी सिस्टम विकसित हो जाता है।

कोरोना वैक्सीनेशन का डोज (फाइल फोटो )

जरूरी नहीं वैक्सीन की दूसरी डोज

नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटेग्रेटिव बायोलॉजी यानी आईजीआईबी के वैज्ञानिकों ने एक शोध के बाद इस बात का खुलासा किया है। इस शोध में दो अलग अलग समूहो को वैक्सीन देने के बाद एंटीबॉडी के स्तर को जांचा गया। इसका एक समूह वह था जिसमें स्वास्थ्य कर्मचारी पहले कोरोना संक्रमित हुए थें और बादमें उन्हे कोरोना वैक्सीन दी गई । इन समूहों को दोनो ही वैक्सीन दी गई। एक सप्ताह फिर दो सप्ताह और फिर चार सप्ताह के अंतराल में डोज दिए जाने के बाद जांच में यह बात निकलकर सामने आई है। जबकि इसी तरह का शोध अमेरिका मेें भी किया गया जहां शोध करने वालों ने पाया गया कि जिन लोगों को पहले से कोरोना उन्हे एमआरएनए वैक्सीन दी गयी लेकिन एक डोज के बाद ही उनकी एंटीबॉडी क्षमता बढ़ गई । इन लोगों को दूसरे डोज की जरूरत ही नहीं पड़ी। इसके बाद वैज्ञानिक इस बात पर विचार कर रहे हैं कि जरूरी नहीं वैक्सीन की दूसरी डोज दी जाए।

कोरोना वैक्सीन (फाइल फोटो )

 कोरोना वैक्सीनेशन का काम जारी  

बतातें चलें कि इस समय पूरे देश में कोरोना वैक्सीनेशन का काम चल रहा है जिसमें लगभग आठ करोड़ लोग पहली डोज ले चुके हैं अब यदि इस बात पर सहमति हो जाती है तो फिर कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज की जरूरत नहीं पडे़गी।

वहीं दूसरी तरफ पिछले कुछ हफ्तों से कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार वृद्धि होने से डाक्टरों का तनाव बढता ही जा रहा है। इस समय देष के 12 राज्यों में कोरोना संक्रमितों की संख्या में जबरदस्त उछाल आया है।

रिपोर्ट-  श्रीधर अग्निहोत्री

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