Coronavirus In India: सिर्फ भारत में कोरोना के 120 से ज्यादा स्वरूप, कुछ बहुत ही घातक, वैज्ञानिक चिंतित
Coronavirus In India: कोरोना वायरस के बदलते स्वरूप को लेकर कई बातें सामने आई हैं। वैज्ञानिकों की रिसर्च में भारत में अभी तक कोरोना के 120 से ज्यादा म्यूटेशन मिल चुके हैं।
Coronavirus In India: देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर से भीषण तबाही मची। ऐसे में देश में कोरोना वायरस को लेकर अभी तक करीब 38 करोड़ से अधिक सैंपल की जांच की जा चुकी है। इन सैंपलों में से सिर्फ 28,000 की ही जीनोम सीक्वेंसिंग हो पाई है। जिसमें काफी हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ है।
इस जांच में खुलासा हुआ है कि देश में अभी तक कोरोना के 120 से ज्यादा म्यूटेशन मिल चुके हैं। इन म्यूटेशन में 8 सबसे ज्यादा गंभीर हैं। जबकि 14 की जांच में वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। इस जांच की रिपोर्ट सामने आने के लिए कोरोना के भयावह रूप से डर और बढ़ गया है।
कोरोना के बदलते स्वरूप
ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना के गंभीर वैरिएंट के जो नाम दिए थे वे सभी बीटा, एल्फा, गामा, ईटा, कापा, डेल्टा प्लस, लोटा वैरिएंट भारत में मिले हैं। किसी के मामले ज्यादा है तो किसी के कुछ ही मरीज हैं।
म्यूटेशन को लेकर 28 लैब में चल रही सीक्वेंसिंग की शुरूआती रिपोर्ट के रिजल्ट बहुत ज्यादा ही चौंकाने वाले हैं। इस बारे में सूत्रों से पता चला है कि डेल्टा के साथ भारत में कोरोना का कापा वैरिएंट भी है। बीते 60 दिन में 76 प्रतिशत सैंपल में इनकी पुष्टि हुई है।
इसके साथ ही सीक्वेंसिंग के जरिये ही वैज्ञानिक वायरस के बदलावों को भी समझ पा रहे हैं लेकिन स्थिति ये है कि नियमानुसार हर राज्य से पांच प्रतिशत सैंपल की सीक्वेंसिंग होना जरूरी है लेकिन वर्तमान में ऐसा तीन प्रतिशत भी नहीं हो पा रहा है। वहीं पहली बार यह रिपोर्ट सामने आई है जिसे हाल ही में मंत्री समूह की बैठक में भी प्रस्तुत की गई थी।
देश में बीते 60 दिनों के हालात देखें तो 76 प्रतिशत सैंपल में बी.1.617.2 (डेल्टा) वैरिएंट मिला है। जबकि आठ प्रतिशत सैंपल में बी.1.617.1 (कापा) वैरिएंट मिला है।
ऐसे में ये दोनों ही वैरिएंट बी.1.617 वैरिएंट से निकले हैं जो बीते वर्ष सबसे पहले महाराष्ट्र में मिले थे। इनमें एक से तीन और अब तीन-तीन में अलग अलग म्यूटेशन हो रहा है जिसमें से एक डेल्टा प्लस है।
वहीं अब इससे पता चलता है कि कोरोना वायरस कितनी तेजी से अपना स्वरूप बदल रहा है। जोकि भी बहुत ही घातक है। इनके अलावा पांच-पांच प्रतिशत सैंपल में बी.1 और बी.1.1.7 (एल्फा) वैरिएंट भी मिला है। वायरस के इन वैरियंट से वैज्ञानिक भी चिंतित है।