देश में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर कन्फ्यूजन, जानें- क्या है एक्सपर्ट की राय ?

देश में डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले सामने आ रहे हैं। बड़ा सवाल यह कि क्या यह वैरिएंट तीसरी लहर का कारण बनेगा। देश में सितंबर और अक्टूबर में तीसरी लहर के आने की संभावना जताई जा रही है।

Written By :  Rahul Singh Rajpoot
Newstrack :  Network
Update:2021-06-29 12:33 IST

कोरोना टेस्टिंग, फाइल फोटो,सोशल मीडिया 

देश अभी कोरोना वायरस की दूसरी लहर से पूरी तरह उबर नहीं पाया है कि तीसरी लहर को लेकर अलग-अलग अनुमान लगाए जाने लगे हैं। ये हर कोई जानना चाहता है कि कोरोना की तीसरी लहर कब तक आएगी, इसका क्या असर लोगों पर क्या होगा? इस पर एक्सपर्ट की एकमत राय नहीं है। ऐसी स्थिति में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर लोगों में कन्फ्यूजन बढ़ता जा रहा है। क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर से जिस तरह से कहर बरपाया है उससे हर कोई डरा और सहमा हुआ है कि कोरोना की तीसरी लहर कितनी खतरनाक होगी और  इसका असर किस पर कितना होगा?

बता दें आइसीएमआर ने एक अध्ययन कहा गया है कि कोरोना की तीसरी लहर के देर से आने की संभावना है। अगर ये सच हुआ तो सरकार को तैयारियों के लिए वक्त मिल जाएगा। क्योंकि देश में अभी 50,000 से कम प्रतिदिन कोरोना केस मिल रहे हैं और तेजी से वैक्सीनेशन हो रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण की गंभीरता के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ डेल्टा वेरिएंट को मुख्य कारक के रूप में देख रहे हैं। कई रिपोर्टस में दावा किया जा रहा है कि डेल्टा का म्यूटेटेड रूप डेल्टा प्लस वेरिएंट, भारत में कोरोना की तीसरी लहर का कारण बन सकता है। 

आईसीएमआर का दावा

तीसरी लहर को लेकर लगातार फैल रही भ्रामक जानकारियों के बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महामारी विशेषज्ञों ने तीसरी लहर की गंभीरता को लेकर बड़ा दावा किया है। डॉ समीरन पांडा ने कहा है कि कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर, दूसरी जितनी गंभीर नहीं होगी। लोगों को इससे बहुत ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है, हालांकि बचाव के उपायों को अपनाने में भी कोई कोताही नहीं बरती जानी चाहिए।

एक्सपर्ट्स का अलग-अलग अनुमान

वहीं, नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने सोमवार को कहा, 'तीसरी लहर कब आएगी, इसके लिए एक तारीख बताना सही नहीं होगा। वायरस का व्यवहार अनिश्चित है। एक अनुशासित और असरदार प्रतिक्रिया ही संभावित तीसरी लहर को रोक सकती है।' डॉ. पॉल ने कहा कि किसी भी लहर का दायरा कई फैक्टर्स पर निर्भर करेगा जैसे कि कोविड से जुड़ा अनुशासन, टेस्टिंग - कंटेनमेंट को लेकर नीति और वैक्सीनेशन की गति। इसके अलावा वायरस का अनिश्चित व्यवहार भी महामारी की दशा-दिशा बदल सकता है। इससे पहले रविवार को कोविड वर्किंग ग्रुप के चीफ डॉ. एनके अरोड़ा ने 6-8 महीने में कोरोना की दूसरी लहर आने का अनुमान जताया था। केंद्र सरकार के अधिकारियों के बयानों से तीसरी लहर को लेकर कन्फ्यूजन और ज्यादा बढ़ने लगा है।

जुलाई या अगस्त से लगेगी बच्चों को वैक्सीान

कोविड वर्किंग ग्रुप के चीफ डॉ. एनके अरोड़ा ने बताया कि जायडस कैडिला वैक्सीन का ट्रायल लगभग पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा- हम जुलाई के अंत तक या अगस्त में 12-18 आयु वर्ग के बच्चों को यह टीका देना शुरू कर सकते हैं।

फेफड़ों में तेजी से चिपकता है डेल्टा प्लस

डा. अरोड़ा के मुताबिक डेल्टा प्लस वैरिएंट फेफड़ों की कोशिकाओं में तेजी से चिपक जाता है। फि‍लहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह गंभीर बीमारी पैदा करेगा या तेजी से फैलेगा...यह कि‍तना ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा ज्यादा मामले सामने आने के बाद ही इस बारे में स्पष्ट पता चल सकेगा। हालांकि वैक्सीन की एक या दोनों डोज लेने वालों को इससे बहुत हल्का संक्रमण होगा। कोविड रोधी वैक्सीकन संक्रमण को गंभीर होने से बचाएगी।

क्या तीसरी लहर का कारण बनेगा डेल्टा प्लस

ऐसे में जब देश में डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले सामने आ रहे हैं। बड़ा सवाल यह कि क्या यह वैरिएंट तीसरी लहर का कारण बनेगा। डा. अरोड़ा ने यह भी कहा कि अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट देश में तीसरी लहर का कारण बनेगा। महामारी की लहरों का संबंध नए वैरिएंट या नए स्ट्रेन से होता है, इसलिए इससे भी लहर आने की आशंका है।

तीसरी लहर कितनी खतरनाक?

इससे पहले आइसीएमआर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. समीरन पांडा ने कहा था कि देश में चलाया जा रहा टीकाकरण अभियान तीसरी लहर के असर को कम करने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आइसीएमआर का यह भी कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर दूसरी लहर जितनी गंभीर नहीं होगी। वहीं डाक्टरों का कहना है कि सितंबर और अक्टूबर के दौरान महामारी की तीसरी लहर के आने की संभावना है।

तीसरी लहर के ज्यादा गंभीर होने की संभावना कम

एक गणितीय मॉडलिंग आधारित विश्लेषण' नाम से इस अध्ययन को आईसीएमआर में डीजी बलराम भार्गव, संदीप मंडल और समीरन पांडा द्वारा लिखा गया है। निष्कर्ष में विशेषज्ञों ने बताया है कि कई स्तर पर किए गए अध्ययन के आधार पर कहा जा सकता है कि तीसरी लहर के ज्यादा गंभीर होने की आशंका कम है।

देश में तेजी से हो रहा है वैक्सीनेशन

विशेषज्ञों का कहना है कि दूसरी लहर के खत्म होने के तीन महीने की अवधि में देश की 40 फीसदी आबादी को वैक्सीन की दोनों खुराक मिलने की उम्मीद की जा रही है। अगर ऐसा होता है कि तो तीसरी लहर में कोरोना के सिम्टोमेटिक मामलों में 55 फीसदी तक की कमी होने की उम्मीद की जा रही है। मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक देश की करीब 20 फीसदी आबादी को वैक्सीन की कम से कम एक खुराक मिल चुकी है वहीं करीब 4 फीसदी लोगों का पूरी तरह से टीकाकरण हो लगाया गया है। केंद्र सरकार ने इस साल के अंत कर सभी वयस्कों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा है।

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