तीसरी लहर का निशानाः एक लाख बच्चे संक्रमित, मजबूत सिस्टम है जरूरी

देश में अब जबकि कोरोनावायरस की दूसरी लहर धीमी पड़ती दिख रही है।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update:2021-05-21 22:42 IST

कोरोना से संक्रमित बच्चे की फाइल तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली। देश में अब जबकि कोरोनावायरस की दूसरी लहर धीमी पड़ती दिख रही है और कई राज्यों की सरकारें इसे सकारात्मक संकेत मानते हुए अनलॉक की ओर कदम बढ़ाने पर विचार कर रही हैं ऐसे समय में विशेषज्ञ कोरोना की तीसरी लहर को लेकर परेशान हैं। उनकी परेशानी इस बात को लेकर है कि यदि तीसरी लहर में बच्चों पर खतरा मंडराया तो हमारी तैयारी किस तरह की है क्या हम कोरोना की दूसरी लहर में भारी जनहानि उठाने के बाद कोई सबक ले पाए हैं या तीसरी लहर भी अप्रत्याशित तबाही मचाएगी। अगर मीडिया में आए आंकड़ों पर गौर करें तो फरवरी से शुरू हुई दूसरी लहर के बाद से अब तक एक लाख से अधिक बच्चे कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। जिसमें पिछले 15 दिनों में इसमें आई अप्रत्याशित तेजी निकट भविष्य में बड़े खतरे की ओर इशारा कर रही है।

उत्तराखंड में बीते 15 दिनों के भीतर 1700 बच्चों का कोरोना की चपेट में आना इसकी एक बानगी है। हमें ब्राजील के सबक पर गौर करने की जरूरत है जहां महामारी के चलते बड़ी संख्या में बच्चों की मृत्यु हुई है।

पूरे कोविड काल की बात करें तो उत्तराखंड में अब तक 5151 बच्चे संक्रमित हो चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1 से 15 मई तक प्रदेश में 0 से 9 आयु वर्ग के 1700 बच्चे कोरोना संक्रमित पाए गए हैं।

उत्तराखंड ही नहीं छत्तीसगढ़ में भी पिछले 14 दिन में ही नवजात से लेकर 18 साल से कम उम्र वाले 1753 बच्चे संक्रमित हुए हैं। इसी तरह कोरोना से सबसे अधिक संक्रमित राज्यों में मार्च से मई के बीच लगभग एक लाख बच्चे कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च व अप्रैल में ही महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और दिल्ली में कुल 79688 बच्चे संक्रमित हुए थे।

इसी तरह महाराष्ट्र में 60,684 बच्चे संक्रमित हुए हैं, चिंता की बात यह है कि इनमें 9882 बच्चों की उम्र 5 साल से कम रही है। गौरतलब यह भी है कि कोरोना वायरस की पहली लहर में ही पूरे देश के मुकाबले महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा बच्चे संक्रमित हुए थे और बच्चों में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेट्री सिन्ड्रोम के मामले अधिक पाए गए थे।

छत्तीसगढ़ में भी सर्वाधिक 5940 बच्चे संक्रमित हुए और इनमें 922 बच्चे कम उम्र के हैं। उत्तर प्रदेश में अब तक 3004 बच्चे संक्रमित हुए, जिनमें 471 बच्चे पांच साल तक के हैं। कर्नाटक में भी पांच साल से कम उम्र के 871 बच्चे संक्रमित हुए हैं। दिल्ली में 2733 बच्चे पॉजिटिव हुए और इनमें 441 बच्चों की उम्र पांच साल से कम है।

विशेषज्ञों का अनुमान है कि वायरस की तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर होगा। यह मामला इसलिए और गंभीर हो जाता है क्योंकि 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए अभी तक हमारे पास कोई वैक्सीन भी नहीं है। ऐसे में बच्चों के लिए वायरस का आसान शिकार होने का खतरा और बढ़ रहा है।

एक उदाहरण आगरा का लें यहां जिला प्रशासन ने 6 से 17 मई तक 1 से 10 वर्ष के बच्चों की रिपोर्ट बनाई है। इन दस दिनों में कुल 1575 मरीज मिले हैं। जिनमें 76 मरीज 18 वर्ष से कम उम्र वाले हैं। 1 से 10 वर्ष के 33 बच्चे संक्रमित हुए हैं। जिनमें 31 शहरी क्षेत्र और 2 बच्चे ग्रामीण क्षेत्र में मिले। शहरी क्षेत्र में बच्चों में संक्रमण दर 40% से अधिक है। जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 2.64%  बच्चे ही पिछले दस दिनों में संक्रमित हुए हैं। अगर आंकड़ों का विश्लेषण किया जाए तो प्रतिदिन 5 से 10 बच्चे संक्रमित हो रहे हैं और यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है।

शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. श्रीकांत गिरी का कहना है कि कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन बच्चों पर तेजी से हमला कर रहा है। मौजूदा लहर में कोरोना वायरस का डबल और ट्रिपल म्यूटेंट ज्यादा तेजी से फैल रहा है। हालांकि कई विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि बच्चों में संक्रमण फैलने का बड़ा कारण उनके लिए टीकाकरण का न होना है।

शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. श्रीकांत गिरी ने छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमित बच्चों को तीन श्रेणियों में बांटकर विश्लेषण किया तो इनमें 1 से लेकर 5 साल के बच्चों को दस्त और लूज मोशन जैसे लक्षण आए। 5 से 13 साल के बच्चों में बुखार और कमजोरी जैसे लक्षण दिखे जबकि 14 से 18 साल के बच्चों में सर्दी खांसी, बुखार के लक्षण दिखे। वहीं 70 से 80 किलो वजन वाले बच्चों को सांस लेने में परेशानी की बात सामने आई।

विभिन्न राज्यों के हालात देखते हुए हमें बच्चों के लिए अस्पताल और उनके इलाज पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, ताकि तीसरी लहर की दस्तक से मजबूती के साथ निपटा जा सके।

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