Corona Booster Dose In India: बूस्टर डोज़ तो लगेगी, लेकिन टाइम अभी तय नहीं

Corona Vaccine: जिस तरह ओमिक्रॉन वेरिएंट की दहशत है, उसमें भारत में भी बूस्टर डोज़ की बात तेजी से उठी है। ये तो तय है कि बूस्टर लगाया जायेगा, लेकिन इसकी शुरुआत कब होगी, ये तय नहीं है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shreya
Update:2021-12-11 13:08 IST

कोरोना वैक्सीन (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Corona Vaccine: पहले सबको कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) की दोनों डोज़ लगा दी जाएँ कि बूस्टर डोज़ (Coronavirus Booster Dose) देने का काम शुरू कर दिया जाए, इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। दरअसल, कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus Mahamari) को कंट्रोल करने के लिए वैक्सीनेशन (Covid-19 Vaccination) के बाद अब तमाम देशों में वैक्सीन की बूस्टर डोज़ (Covid-19 Booster Dose) पर जोर दिया जा रहा है। जिस तरह ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) की दहशत है, उसमें भारत में भी बूस्टर डोज़ की बात तेजी से उठी है। ये तो तय है कि बूस्टर लगाया जायेगा, लेकिन इसकी शुरुआत कब होगी, ये तय नहीं है।

केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने भी हाल ही में केंद्र सरकार (Modi Government) से ओमिक्रॉन पर बढ़ती चिंताओं के बीच बूस्टर खुराक की अनुमति देने पर निर्णय लेने का आग्रह किया है।

क्या है सरकार का तर्क?

वैसे सरकार ने संसद में बताया है कि दुनिया में 60 से अधिक देशों में बूस्टर डोज दी जा रही है। भारत में अभी तक इसके लिए जरूरी वैज्ञानिक डेटा जुटाने का काम चल रहा है। बूस्टर डोज के रूप में समान वैक्सीन के साथ-साथ अलग-अलग वैक्सीन के प्रभावों का अध्ययन किया जा रहा है। इनमें कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सिन (Covaxin) के साथ-साथ बायोलाजिकल ई की कोरबेवैक्स और भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की नोजल वैक्सीन (Nasal Vaccine For Covid) भी शामिल हैं। सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय तकनीकी परामार्शदाता समूह एवं टीकाकरण पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह वैज्ञानिक साक्ष्यों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। 

कोरोना वैक्सीन (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

बूस्टर लगाने की वजह (Corona Booster Dose Lagane Ki Wajah)

दरअसल, कोरोना संक्रमण होने या कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) लगने से शरीर में जो एंटीबाडीज (Antibodies) बनती हैं वो कब तक कायम रहती हैं ये पक्का पता नहीं है। फिर भी ऐसा माना जाता है कि संभवतः 9 महीने तक सुरक्षा कवच बना रहता है। लेकिन उसके बाद संक्रमण होने की आशंका बनी रहती है। इस स्थिति में एंटीबाडीज (Antibodies) और इम्यूनिटी (Immunity) को उच्च लेवल पर दोबारा लाने के लिए बूस्टर की आवश्यकता जताई जाती है।

तीसरी डोज़ और बूस्टर में फर्क (Corona Booster Dose Kya Hai)

वैक्सीन की दोनों डोज़ से शरीर में एंटीबॉडीज बन जाती हैं। दो डोज़ के बाद दो विकल्प सुझाये जाते हैं – तीसरी डोज़ और बूस्टर डोज़ का। तीसरी डोज़ आमतौर पर ऐसे लोगों के लिए होती है जिन्हें इम्यूनिटी संबंधी कोई समस्या है। जबकि बूस्टर एक बड़े वर्ग को अधिक सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिए होती है।

तीसरी डोज़ 12 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए है जिनका इम्यून सिस्टम वैक्सीन की पहली दो डोज़ के दौरान कमजोर पाया गया था। वहीं बूस्टर उनके लिए है जो 40 वर्ष से ज्यादा उम्र के हैं, फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर हैं, 16 से 49 वर्ष के ऐसे लोग जिनको कोई ऐसी बीमारी है जिससे कोरोना के गंभीर संक्रमण का जोखिम बढ़ता है और ऐसे लोग जिनको कैंसर जैसी कोई इम्यूनिटी सम्बन्धी बीमारी है। 

(फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

सीरम इंस्टिट्यूट को नहीं मिली इजाजत

कोवीशील्ड बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India- SII) ने वैक्सीन की बूस्टर डोज के लिए इजाजत मांगी थी लेकिन अभी उससे कहा गया है कि वह और ट्रायल करे उसके बाद कोई निर्णय लिया जाएगा। कंपनी के आवेदन पर केंद्रीय दवा प्राधिकरण के एक विशेषज्ञ पैनल ने बताया कि कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield Vaccine) की संभावित बूस्टर खुराक को अधिकृत करने से पहले परीक्षण डेटा प्रस्तुत करने की जरूरत होगी।

कंपनी से कहा गया है कि वह अतिरिक्त डोज़ के लिए पर्याप्त औचित्य बताये। कंपनी ने अपने आवेदन में कहा था कि भारत में ओमीक्रान का ख़तरा है और कंपनी के पास वैक्सीन का पर्याप्त भण्डार है। कंपनी के अनुसार, जो लोग वैक्सीन की दोनों खुराक ले चुके हैं उनसे बूस्टर खुराक की मांग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

किसके क्या तर्क

- स्वास्थ मंत्रालय ने साफ़ किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की पहली प्राथमिक्ता सभी लोगों को कोरोना की दोनो डोज़ देना है। सरकार का टारगेट साल के अंत तक सभी को वैक्सिनेट करने का है। कोविड बूस्टर डोज़ अभी वैज्ञानिक चर्चा के केंद्र में नहीं है।

- भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रतिनिधि डॉ रोडेरिको ओफ्रिन ने बूस्टर डोज से पहले सभी का टीकाकरण करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा है कि नए वेरिएंट के बारे में चिंता करके बूस्टर डोज देना सही नहीं है, पहले ज्यादा से ज्यादा आबादी को टीका लगाना चाहिए।

- ICMR के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव (Balram Bhargava) ने कहा कि कई एजेंसियों ने गुज़ारिश की है कि एंटीबॉडीज़ के स्तर को नहीं मापा जाना चाहिए और यह समझा जाना चाहिए कि दोनो डोज़ ज़रूरी हैं और इसमें कोई कोताही नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा सरकार की पहली प्राथमिक्ता दोनो डोज़ देना है, चर्चा में बूस्टर डोज़ अभी केंद्रीय विषय नहीं है।

- भारतीय सार्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) ने कहा है - जिन लोगों को अधिक खतरा है, उनका टीकाकरण और 40 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों को बूस्टर खुराक देने पर विचार किया जा सकता है। सबसे पहले, उन लोगों को लक्षित किया जाए, जिनके संक्रमित होने का खतरा सबसे अधिक है। 

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