कोवैक्सीन को WHO ने दी मंजूरी, भारत बायोटेक के लिए बड़ी खुशखबरी, महीनों बाद मिली इजाजत

डब्ल्यू एच ओ (WHO) से कोवैक्सीन को अब मान्यता मिल गई है। इस वैक्सीन का आपात स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है।

Newstrack :  Network
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-11-03 17:47 IST

कोवैक्सिन-WHO (फोटो साभार- सोशल मीडिया)  

Covaxin : भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन को आखिरकार डब्लू एचओ की मान्यता मिल गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले ही जी20 सम्मेलन में कोवैक्सिन को मंजूरी का मामला उठाया था। अब डब्लूएचओ की मान्यता प्राप्त कोरोना वैक्सीनें ये हो गई हैं - फाइजर, मॉडर्ना, आस्ट्रा जेनेका, जॉनसन एंड जॉनसन, सिनोफार्म, सिनोवैक और कोवैक्सिन।

डब्लूएचओ की सब्जेक्ट एडवाइजरी कमेटी ने आज कोवैक्सिन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। दरअसल भारत बायोटेक ने कोवैक्सिन के इमरजेंसी अप्रूवल के लिए अप्रैल में ही आवेदन किया था लेकिन डब्लूएचओ बार बार जानकारियां मांगता गया और इतने महीने तक मंजूरी का मामला लटका रहा।

आज की बैठक में मंजूरी

डब्लूएचओ ने एक दिन पहले ही भारत बायोटेक से कोवैक्सिन का कुछ और डेटा मंगा था। बहरहाल, आज की बैठक में मंजूरी दे ही दी गई। कोवैक्सिन ने ट्रायल्स में कोरोना के खिलाफ 77.8 फीसदी असरदारिता दिखाई है। नए डेल्टा वेरियंट के खिलाफ ये वैक्सीन 65.2 फीसदी प्रभावी होने का दावा किया गया है।

भारत बायटेक की 'कोवैक्सिन' के निर्माण में मृत कोरोना वायरस का इस्तेमाल किया गया है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि यह लोगों को नुकसान न पहुंचाए। वैक्सीन शरीर में प्रवेश करने के बाद कोरोना संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडीज़ पैदा करती हैं। हाल ही में कोवैक्सिन की शेल्फ लाइफ 12 माह तक बढ़ा दी गई है। यानी कोवैक्सिन अब उत्पादन तिथि से साल भर के अंदर इस्तेमाल की जा सकेगी। 

 गर्भवती महिलाओं पर कोवैक्सिन का इस्तेमाल 

कोवैक्सिन को मंजूरी देने वाले डब्ल्यूएचओ के तकनीकी सलाहकार समूह में दुनियाभर के कई नियामक विशेषज्ञ शामिल रहे। उनकी तरफ से समीक्षा के बाद कहा गया कि कोवैक्सिन कोरोनावायरस से बचाव करने में डब्ल्यूएचओ के मानकों पर खरी उतरती है और इससे होने वाले छोटे-मोटे जोखिमों पर इसके लाभ काफी भारी पड़ते हैं। इसलिए यह वैक्सीन पूरे विश्व में इस्तेमाल की जा सकती है।

डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा है कि गर्भवती महिलाओं पर कोवैक्सिन के इस्तेमाल पर जो डेटा दिया गया, वह अभी भी अपर्याप्त है, जिसकी वजह से प्रेग्नेंसी के दौरान इसकी सुरक्षा और क्षमता को आंका नहीं जा सकता। गर्भवती महिलाओं पर यह स्टडीज सुनियोजित होती हैं।

दो दिन पहले ही कोवैक्सिन को ऑस्ट्रेलिया में ट्रैवल अप्रूवल मिल गया था। यानी, अब कोवैक्सिन लगवाने वाला कोई भी भारतीय वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया जा सकेगा। उसे 14 दिन क्वारैंटाइन नहीं होना पड़ेगा।

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