Cytomegalovirus: कोरोना मरीजों के लिए खतरा बना यह वायरस, दिल्ली में मिले इतने केस, जानें लक्षण

Cytomegalovirus: दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स में छह मरीजों में साइटोमेगलो वायरस (Cytomegalovirus) संक्रमण का पता चला है।;

Written By :  Anshul Thakur
Published By :  Shreya
Update:2021-07-09 09:41 IST

कोरोना टेस्टिंग कराते बुजुर्ग (फोटो- न्यूजट्रैक)

Cytomegalovirus: कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके संक्रमित व्यक्तियों में कई तरह के पोस्ट कोविड सिम्प्टम्स (Post Cvid Symptoms) देखे जा रहे हैं। यानी कई ऐसी बीमारियां जो कोरोना से ठीक होने के बाद लोगों को जकड़ रही हैं। पोस्ट कोविड सिम्टम्स में पहले ब्लैक, येलो और क्रीम फंगल इंफेक्शन, बोन डैड जैसी गंभीर बीमारियां सामने आई और अब "साइटोमेगलो वायरस" (Cytomegalovirus) कोरोना मरीजों के लिए नया खतरा बन सामने खड़ा है।

दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स में छह मरीजों में साइटोमेगलो वायरस (Cytomegalovirus) संक्रमण का पता चला है। अधिकारियों ने बताया कि अपोलो में भर्ती किए गए इन सभी मरीज पिछले महीने कोविड के कारण गंभीर निमोनिया से ग्रसित थे। जिसके कारण उन्हें स्टेरॉयड की बहुत ज्यादा खुराक दी गई थीं और साइटोमेगलो वायरस बीमारी का पता चलने के दौरान वह सभी कोविड नेगेटिव हो गए थे।

साइटोमेगलो वायरस (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

क्या है साइटोमेगलो वायरस (Kya Hai Cytomegalovirus)

साइटोमेगलो वायरस कोई नया वायरस नहीं है। बल्कि यह तो 80 से 90 प्रतिशत भारतीय आबादी में मौजूद रहता है। यह ह्यूमन हर्पीज वायरस फैमिली का ही एक डबल-स्टैंडर्ड DNA वायरस है। कोरोना वायरस से संक्रमित होने और इलाज के दौरान दिए गए स्टेरॉयड्स से पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) कम हो जाती है। जिसके कारण CMV इन लोगों पर प्रभावित करता है। साइटोमेगलो वायरस (Cytomegalovirus) ही चिकन पॉक्स और इनफेक्शियस मोनोन्यूक्लियोसिस के लिए भी जिम्मेदार होता है। यह वायरस इन्फेक्टेड मरीज के ब्लड, यूरिन और सलाइवा के जरिए फैलता है और मरीज के दिल, दिमाग, फेफड़ों, आंत और किडनी समेत कई अंगों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।

कोरोना टेस्टिंग 

किस तरह कोरोना के मरीजों को कर रहा है प्रभावित

कोविड संक्रमण के 20-30 दिन बाद मरीज में साइटोमेगलो वायरस के लक्षण दिखाई दे रहे है। साइटोमेगलो वायरस से वह मरीज संक्रमित हो सकते हैं जो कोविड-19 से रिकवर कर चुके हैं लेकिन उन्हें इससे पहले कोई गंभीर बीमारी हो, जैसे डायबिटीज हाई ब्लड प्रेशर। जिन मरीजों को रॉयड्स या अन्य एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाइयां दी जाती हैं, उनकी मिनट ही कमजोर हो जाती है। ऐसे में वह साइटोमेगलो वायरस से आसानी से प्रभावित हो सकते हैं।

साइटोमेगलो वायरस के लक्षण

साइटोमेगलो वायरस के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि शरीर का कौन सा हिस्सा प्रभावित है। लेकिन CMV के लक्षणों में गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द बुखार, या थकान, स्किन रैश, पेट दर्द और स्टूल के साथ ब्लीडिंग शामिल हैं। इम्यूनिटी कमजोर होने पर फेफड़ों, पेट, कोलन, आंखों, बोन मैरो, लिवर, किडनी, दिमाग आदि अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। इस वायरस से संक्रमित होने पर मरीज का वजन कम होने लगता है। यह वायरस जानलेवा भी हो सकता है।

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