Delhi Air Pollution : राजधानी में रह रहे 75 प्रतिशत बच्चों को हो रही सांस लेने में दिक्कत

Delhi Air Pollution : दिल्ली की हवा दिन-ब-दिन अधिक दूषित होती जा रही है। जिससे बड़ों, बूढ़ों समेत बच्चों में भी सांस और हृदय रोग जैसी बीमारियां बढ़ती जा रही हैं।

Written By :  Rajat Verma
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-10-13 09:51 GMT

दिल्ली में वायु प्रदूषण (फोटो- सोशल मीडिया)

Delhi Air Pollution : राजधानी स्थित ऊर्जा और संसाधन संस्थान (The Energy and Resources Institute - TERI) द्वारा किये गए सर्वे में पता चला है कि दिल्ली में PM 2.5 (particulate matter) (धूल के कण जो हमें अधिक नुकसान पहुंचाते हैं) की मात्रा में अधिकता होने के चलते राजधानी में रह रहे 75 प्रतिशत बच्चों में सांस लेने और हृदय रोग जैसी समस्याएं सामने आई हैं।

दिल्ली की हवा दिन-ब-दिन अधिक दूषित होती जा रही है। जिससे बड़ों, बूढ़ों समेत बच्चों में भी सांस और हृदय रोग जैसी बीमारियां बढ़ती जा रही हैं।

सांस संबंधी दिक्कतें

TERI ने कुल 413 बच्चों पर सर्वे किया था, जिसमें 75.4 प्रतिशत बच्चों को सांस संबंधी दिक्कतें (breathlessness problem), 24.2 प्रतिशत बच्चों को आंखों में खुजलाहट (itchy eyes), 22.3 प्रतिशत बच्चों को जुकाम(runny nose and sneezing) और 20.9 प्रतिशत बच्चों को खांसी (coughing) सम्बंधी समस्या का पता चला है।

सर्वे में शामिल किए बच्चों की उम्र 14 से 17 के आयु के बीच की थी।

दिल्ली में अक्टूबर, 2019 में pm 2.5 में प्राप्त ज़हरीली और सांस के लिए खतरनाक जिंक (zinc) धातु की मात्रा 379ng/m3 (nanogram per cubic metre air) थी जो कि सितंबर, 2020 में बढ़कर 615 ng/m3 हो गयी। बच्चों में बढ़ रही सांस संबंधी समस्या की हवा में जिंक की मात्रा में अधिकता भी है।

सांस संबंधी समस्या (फोटो- सोशल मीडिया)

जिंक के अलावा लेड (lead) की हवा अधिक मात्रा भी लोगों को बीमार कर रही है। 2019 में दिल्ली की हवा में लेड की मात्रा 233ng/m3 (nanogram per cubic metre air) थी जो कि 2020 में तेज़ी से बढ़कर 406ng/m3 हो गयी।

सेहत को बेहद नुक़सान 

विशेषज्ञों की मानें तो इन धातुओं की हवा में अधिकता बहुत ही खतरनाक है और प्रतिदिन हवा द्वारा इसका सेवन सेहत को बेहद नुक़सान पहुंचा सकता है। इसकी अधिकता के द्वारा लोगों में कैंसर, रक्त चाप, हृदय रोग आदि समस्याएं और बीमारियाँ जन्म ले सकती हैं।

सरकार इसके रोकथाम के लिए अनेक लकदम उठा रही है । लेकिन इससे वास्तविक रूप में हमें निजात तभी मिलेगी जब प्रत्येक नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझेगा। अपने व्यक्तिगत स्तर पर इससे रोकथाम में कदम बढ़ाएगा। साथ ही लोगों को आवश्यक रूप से आपनी बिगड़ी हुई दिनचर्या में सुधार करना होगा।

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