ईडी का बड़ा एक्शन: नकली रेमेडिसिविर इंजेक्शन मामले में आरोपियों की चल संपत्ति के कुर्की के आदेश

नकली रेमेडिसिविर इंजेक्शन मामले में में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया था, अब प्रवर्तन निदेशालय ने बेहद सख्त कदम उठाया है।

Report :  Rajat Verma
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2022-03-15 09:25 GMT

नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन (फोटो-सोशल मीडिया)

भारत समेत दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में इससे निबटना बेहद ही खतरनाक होता है। ऐसे में रेमेडिसिविर नामक इंजेक्शन की बाजार में तेजी से मांग बढ़ गयी थी, इसी बढ़ती मांग के चलते बाजार में इंजेक्शन की कीमत आसमान छू गयी थी तथा इसकी भारी किल्लत भी आ गयी थी। इस दौरान लोगों की लाचारी और मजबूरी का भी भरसक फायदा उठाया गया।

बाज़ार में नकली रेमेडिसिविर इंजेक्शन का निर्माण कर धडल्ले से बेचा जाने लगा। इसके चलते कई लोगों की जानें भी चली गई लेकिन जबतक प्रशासन को इस बात की भनक लगती मामला और नकली इंजेक्शन दोनों बाजारों और अस्पतालों में तेजी से फैल गए थे।

नकली रेमेडिसिविर इंजेक्शन की धड़ल्ले से बिक्री 

इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनसे सम्बंधित मामले में अब जांच करते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने बेहद सख्त कदम उठाते हुए दोनों की करोड़ो की संपत्ति को कुर्क करने का निर्णय लिया है।

इसी दौरान बीते समय में ही मध्यप्रदेश से आई एक सूचना के मुताबिक मध्यप्रदेश और देश के अन्य प्रदेशों में नकली रेमेडिसिविर इंजेक्शन की धड़ल्ले से बिक्री की जा रही थी। इसी दौरान पुलिस को मामले की भनक लगते ही अपराध से जुड़े दो शख्स कौशल महेंद्र भाई वोरा और पुनीत गुणवंतलाल शाह को गिरफ्तार किया था। हालांकि बाद में यह मामला प्रवर्तन निदेशालय के पास चला गया।

मामले में जांच आरी रखते और छानबीन करते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने किओविड महामारी के दौरान मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में नकली रेमेडिसिविर इंजेक्शन की बिक्री में शामिल विभिन्न आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कौशल महेंद्र भाई वोरा और पुनीत गुणवंतलाल शाह की कुल ₹1.04 करोड़ की चल संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क करने का निर्णय लिया है।

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