औरंगजेब के सामने न डरे और न झुके गुरु तेग बहादुर

Guru Tegh Bahadur Death: क्या आपको पता है कि सिखों के नवें गुरु तेग बहादुर की मृत्यु कैसे हुई? आइए जानते है इसके बारे में...

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Chitra Singh
Update:2021-12-08 09:29 IST

औरंगजेब-गुरु तेग बहादुर (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Guru Tegh Bahadur Death: गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur) सिखों के नवें गुरु (sikh ke 9 guru) थे। उनके द्वारा रचित 115 पद्य गुरु ग्रन्थ साहिब में सम्मिलित हैं। गुरु तेग बहादुर के समय दिल्ली पर मुग़ल सम्राट औरंगजेब (mughal samrat aurangzeb) का शासन था। औरंगजेब और गुरु तेग बहादुर (Aurangzeb Guru Tegh Bahadur) का टकराव उस समय हुआ जब कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) का जबरन धर्मान्तरण औरंगजेब करवाने लगा था। इसी टकराव की परिणीति गुरु तेग बहादुर की हत्या (guru tegh bahadur death) के साथ हुई जो औरंगजेब के हुक्म पर करवाई गयी।

गुरु तेग बहादुर की मृत्यु कैसे हुई (Guru Teg Bahadur Ki Mrityu Kaise Hui) ?

24 नवंबर , 1675 को जब गुरु तेग बहादुर की गर्दन पर तलवार रखी गयी थी । तब औरंगजेब ने उनसे कहा कि अगर वे इस्लाम धर्म कबूल कर लेते हैं , तो उनको बख्श दिया जाएगा। लेकिन गुरु तेग बहादुर ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।

मुग़ल दस्तावेजों (mughal documents) के अनुसार, गुरु तेग बहादुर अपने हजारों अनुयाइयों के साथ भ्रमण करते थे। सिख गुरु परंपरा का राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव बढ़ता जा रहा था। सिख गुरुओं की ताकत को मुग़ल साम्राज्य के छोटे छोटे राजा अपने लिए ख़तरा मानने लगे थे। यहाँ तक कि मुग़ल बादशाह को भी सिख गुरुओं की ताकत का एहसास होने लगा था। इसलिए औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को मार डाला था

गुरु तेग बहादुर (सांकेतिक फोटो- सोशल मीडिया) 

क्या हुआ था

दरअसल, यह वो समय था, जब हिन्दुओं पर औरंगजेब का अत्याचार लगातार बढ़ता जा रहा था। जम्मू-कश्मीर में औरंगजेब के सिपहसलार शेर अफगान कश्मीरी पंडितों का नामोनिशान मिटा देने पर तुला हुआ था। ऐसे कठिन समय में कश्मीरी पंडितों का एक दल कृपा राम के नेतृत्व में गुरु तेग बहादुर के पास पहुँचा। उन्हें अत्याचार और क्रूरता की दास्तान सुनाई। जब कश्मीरी पंडितों ने गुरु तेग बहादुर के समक्ष यह प्रार्थना रखी कि उनका धर्म अब सुरक्षित नहीं है । तब गुरु ने फैसला लिया कि इस अन्याय का प्रतिकार करने के लिए उन्हें जाना पड़ेगा। इसलिए वह मखोवाल के अपने निवास से निकल कर अपने 3 शिष्यों के साथ चले। उन्हें आगरा में कैद कर लिया गया। और फिर नवम्बर 1675 में दिल्ली लाया गया। हालांकि कई इतिहासकारों का मत इस बारे में अलग है।

बताया जाता है कि औरंगजेब और गुरु तेग बहादुर के बीच कई बैठकें हुईं। लिखा गया है कि दिल्ली दरबार में औरंगजेब का पूरा जोर इस बात पर था कि वो हिन्दुओं और सिखों को अलग-अलग साबित कर गुरु तेग बहादुर को भ्रमित कर सके। दोनों समुदायों के बीच कटुता पैदा कर सके। उसने गुरु तेग बहादुर से कहा कि वो हिन्दुओं का नेतृत्व न करें, क्योंकि वे तो सिखों से अलग होते हैं। जवाब में गुरु तेग बहादुर ने उसे वेदों और उपनिषदों के माध्यम से औरंगजेब के क्रियाकलापों को धर्मविरुद्ध साबित कर दिया।

गुरु तेग बहादुर का जोर इस बात पर था कि ये पूरी दुनिया ईश्वर की बनाई वो वाटिका है, जहाँ भाँति-भाँति के पुष्प खिल सकते हैं। उन्होंने औरंगजेब से सवाल किया कि अगर प्रकृति की इच्छा होती कि भारत में सिर्फ मुस्लिम ही पैदा हों, तब तो उन्हें संतान ही नहीं होती। केवल मुस्लिमों को ही संतान पैदा होती। उन्होंने समझाया कि प्रकृति सबके साथ बराबर व्यवहार करती है। इसीलिए उसे भी जबरन धर्मांतरण अभियान रोक देना चाहिए।

इसके बाद औरंगजेब ने गुरु के सामने तीन विकल्प रखे –

  • वे इस्लाम कबूल कर लें। मुग़ल दरबार से सर्वोच्च सम्मान प्राप्त करें।
  • वे कोई चमत्कार दिखाएँ जिससे साबित हो जाये कि वह एक पैगम्बर हैं।
  • वे मृत्यु का वरण करें।

गुरु तेग बहादुर ने इस्लाम कबूल करने से इनकार कर दिया। दूसरे विकल्प पर उन्होंने कहा कि जादू या करिश्मा दिखाना जादूगरों का काम होता है। उन्होंने कहा कि न तो मैं इस्लाम कबुलूँगा और न ही मेरे शिष्य और आप किसी से जबरन इस्लाम नही कबुलवाएँगे। इसके बाद पहले उनके 3 शिष्यों को वीरगति को प्राप्त करवाया गया। फिर उन्हें भी शहीद कर दिया गया। जिस जगह गुरु तेग बहादुर का सिर कलम किया गया ठीक उसी जगह पर गुरुद्वारा सीसगंज बना हुआ है।

गुरु तेग बहादुर की मृत्यु (सांकेतिक फोटो- सोशल मीडिया)

टाइमलाइन

  • 25 मई 1675 : पंडित कृपा राम गुरु तेग बहादुर से मिलने आनंदपुर साहिब आये और उनसे मदद माँगी।
  • 11 जुलाई 1675 : गुरु तेग बहादुर अपने तीन शिष्यों के साथ दिल्ली रवाना हो गए।
  • 27 जुलाई 1675 : गुरु तेग बहादुर को रस्ते में नूर मोहम्मद खान मिर्ज़ा ने गिरफ्तार कर लिया।
  • 9 नवम्बर : काजी के आदेश पर भाई दयाल दास को खौलते पानी में डाल दिया गया।
  • 11 नवम्बर : भाई माती दास को दो हिस्सों में काट दिया गया। और भाई सती दास को रुई में लपेट कर जला दिया गया।
  • 24 नवम्बर : गुरु तेग बहादुर को मार (aurangzeb killed guru tegh bahadur) डाला गया।
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