उम्मीद : शुरू हुआ कोरोना की विशेष दवा का ह्यूमन ट्रायल, इस साल हो जाएगी उपलब्ध

कोरोना के इलाज के लिए दुनिया की पहली विशिष्ट दवाई का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है। अमेरिका की दिग्गज दवा कम्पनी फाइजर ने ये दवा डेवलप की है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-05-01 10:11 GMT

अमेरिकी कंपनी(फोटो-सोशल मीडिया)

लखनऊ: महामारी के इस बेहद बुरे दौर में एक उम्मीद की किरण दिखाई दी है। वह ये कि कोरोना के इलाज के लिए दुनिया की पहली विशिष्ट दवाई का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है। अमेरिका की दिग्गज दवा कम्पनी फाइजर ने ये दवा डेवलप की है और कम्पनी को उम्मीद है कि इस साल के अंत तक ये दवाई लोगों को उपलब्ध हो जाएगी।

अभी तक कोरोना की कोई विशिष्ट दवा उपलब्ध नहीं है।

फाइजर का ये ट्रायल बेल्जियम और अमेरिका स्थित अपनी ही प्रयोगशाला में किया जा रहा है। 145 दिन के इस ट्रायल के तहत 18 से 60 वर्ष की उम्र के 60 स्वस्थ लोगों को दवा दी जाएगी।

ट्रायल के अंतिम 28 दिनों में स्क्रीनिंग और सही खुराक पर फोकस किया जाएगा।

ये ट्रायल तीन चरणों में होगा और इस प्रोजेक्ट पर फाइजर के 200 फुलटाइम शोधकर्ता लगे हुए हैं।

ट्रायल के पहले राउंड में वालंटियर्स की टेस्टिंग और मॉनिटरिंग की जाएगी और पता किया जाएगा कि वे दवा को कितना बर्दाश्त कर पाते हैं।

जारी है ह्यूमन ट्रायल

अगले राउंड में वालंटियर्स को कई खुराकें दीं जाएंगी। फाइनल राउंड में अलग अलग तरह के भोजन के साथ दवा की टेबलेट दी जाएगी ताकि ये पता चल सके कि शरीर उसे सही से ग्रहण करता है कि नहीं। इसके बाद अंतिम 28 दिनों में वालंटियर्स की स्क्रीनिंग होगी और दवा की सही खुराक तय की जाएगी।

फाइजर कम्पनी ने वालंटियर्स को पहले ही बता दिया है कि इन दवाई का अभी तक सिर्फ चंद पशुओं पर ही टेस्टिंग की गई है।

बताया गया है कि कम्पनी ने साफ कहा है कि इस दवाई की सुरक्षा का अध्ययन पशुओं पर किया गया है और इन स्टडी में किसी प्रकार की कोई सुरक्षा संबंधी चिंता सामने नहीं आई है। साथ ही किसी भी खुराक के लेवल पर कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं देखा गया है।

फाइजर का ये रिसर्च पीएफ 0732133 नामक एन्टी वायरल मॉलिक्यूल पर केंद्रित है। ये मॉलिक्यूल मानव निर्मित है। ये एक प्रोटीज इन्हीबिटर है जिसके चलते ये वायरस को नाक, गले और फेफड़े में पनपने से रोकता है

प्रोटीज इन्हीबिटर एचआईवी मरीजों के इलाज की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। लेकिन इन दवाओं का दीर्घकालिक साइड इफ़ेक्ट देखने को मिलता है।

फाइजर कम्पनी ने एन्टी वायरल दवाई पर काम महामारी की शुरुआत से चालू कर दिया था।

फाइजर के मेडिसिनल केमिस्ट्री डिवीजन के निदेशक डेविड ओवेन ने पिछले महीने एक निजी इवेंट में कहा था कि इस दवा का मात्र सात मिलीग्राम पिछले साल जुलाई में निर्माण किया गया। जबकि अक्टूबर के अंत तक 100 ग्राम और नवंबर में एक किलो दवा बनाने में सफलता हासिल कर ली गई।

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