Jawahar Lal Nehru पुण्यतिथि : जानें नेहरू ने पढ़ाई कहां और कैसे पूरी की
Jawahar Lal Nehru Death Anniversary : भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की आज 57 वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है।;
जवाहर लाल नेहरू (फाइल फोटो सौ. से सोशल मीडिया)
Jawahar Lal Nehru Death Anniversary : भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Prime Minister Jawaharlal Nehru) की आज 57 वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। आज ही के दिन यानि 27 मई 1964 में दिल का दौरा पड़ने से इनकी मृत्यु हुई थी। आज इनकी पुण्यतिथि के मौके पर देश उन्हें नमन कर रहा है। भारत आजाद होने के बाद यह देश के पहले प्रधानमंत्री बने थे, इन्होंने 17 साल तक देश की कमान संभाली।
पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर पर रहकर निजी शिक्षकों से प्राप्त की। इसके बाद 15 साल की उम्र में वे इंग्लैंड चले गए। जवाहर लाल नेहरू ने दुनिया के कुछ बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो से और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज कैम्ब्रिज से पूरी की थी। इसके बाद लॉ की शिक्षा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की।
जवाहर लाल नेहरू ने 7 साल इंग्लैंड में व्यतीत किया। इसके बाद 1912 में भारत लौट कर वकालत शुरू कर दी। जिसके बाद 1916 में इनकी शादी कमला नेहरू से हुई। 1917 में यह होम रूल लीग में शामिल हो गए। बताया जाता है कि राजनीति में इनकी असली दीक्षा 1919 में शुरू हुई जब वो महात्मा गांधी के नेतृत्व में आए। उस समय महात्मा गांधी ने रॉलेट अधीनियम के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था।
लॉ की शिक्षा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की (फाइल फोटो -सोशल मीडिया )
नेहरू ने महात्मा गांधी के उपदेशों के अनुसार अपने परिवार को भी ढाल लिया। जवाहरलाल और मोतीलाल नेहरू ने पश्चिमी कपड़ों और महंगी संपत्ति का त्याग कर दिया। वे अब खादी कुर्ता और गांधी टोपी पहनने लगे। जवाहर लाल नेहरू ने 1920-1922 में असहयोग आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिया और इस दौरान पहली बार गिरफ्तार किए गए। कुछ महीनों के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।
पटेल के नाम को मिली मंजूरी
हालांकि गांधी की पसंद के विपरीत कांग्रेस समिति के ज्यादातर सदस्य सरदार वल्लभभाई पटेल को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के पक्ष में थे। इस पद पर कौन आसीन होगा इसका निर्णय 29 अप्रैल 1946 को तय होना था। कांग्रेस प्रदेश कमेटी की बैठक बुलाई गई, जिसके 15 में से 12 सदस्यों ने सरदार वल्लभ भाई पटेल को अध्यक्ष पद के लिए नॉमिनेट किया। अन्य ने किसी का नाम आगे नहीं बढ़ाया। लेकिन नेहरू का नाम किसी भी सदस्य ने नहीं लिया।
गांधी ने कह दिया था नाम वापस लेने को
इसके बाद गांधी ने नेहरू से पूछा कि कमेटी के किसी भी सदस्य ने तुम्हारा नाम आगे नहीं बढ़ाया। इस पर नेहरू के पास कोई जवाब नहीं था। फिर गांधी ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू को दूसरे नंबर का पद कभी नहीं लेगा। ऐसे में उन्होंने सरदार पटेल से नॉमिनेशन वापस लेने के लिए कह दिया। पटेल ने भी बिना विरोध किए गांधी की इच्छा को स्वीकार कर लिया। इस संबंध में गांधी के पोते राजमोहन गांधी ने अपनी किताब में बताया कि पटेल ने गांधी की इच्छा का विरोध इसलिए नहीं किया क्योंकि वो हालात को और खराब नहीं करना चाहते थे।
इस तरह नेहरू बन गए प्रधानमंत्री
इस तरह दो सितंबर 1946 को अंतरिम सरकार का गठन हुआ। इसके बाद देश के आजाद हो जाने पर भारत के पहले प्रधानमंत्री के तौर पर नेहरू चुने गए। जबकि पटेल को उप-प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री की जिम्मेदारी मिली। 1950 में संविधान लागू होने के बाद 1951-52 में स्वतंत्र भारत का पहला आम चुनाव कराया गया। जिसमें कांग्रेस ने 364 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल की और नेहरू ही प्रधानमंत्री बने। देश के पहले आम चुनाव से पहले ही 1950 में पटेल का स्वर्गवास हो चुका था।