आई सड़क सुरक्षा की याद, केंद्र ने लांच किया 7270 करोड़ का सपोर्ट प्रोग्राम

सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए अब केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने एक योजना लांच की है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-09-26 20:23 IST

सड़क सुरक्षा (फोटो- सोशल मीडिया)

नई दिल्ली : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं देश में पिछले साल सड़क हादसों के कारण 1.20 लाख लोगों की मौत हुई। यह आलम तब था जबकि पिछले साल लॉकडाउन में आवाजाही न्यूनतम थी। एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि तीन साल के दौरान 3.92 लाख लोगों की सड़क हादसों में मौत हुई है। सबसे ज्यादा हादसे उत्तर प्रदेश में हुए हैं। ये आंकड़ा 20 हजार से ज्यादा है वहीं 12 हजार से ज्यादा मौतों के साथ महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है।

सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए अब केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने एक योजना लांच की है। सरकार ने सड़क सुरक्षा को मजबूत करने के लिए 7270 करोड़ रुपये का स्टेट सपोर्ट प्रोग्राम लांच किया है। सरकार का विजन भारतीय सड़कों पर शून्य मौतों का है।

नए मोटर व्हीकल एक्ट का सही अनुपालन 

केंद्र द्वारा प्रायोजित यह प्रोग्राम छह वर्ष का है, जिसे उन 14 राज्यों में लागू किया जाएगा , जहाँ सड़क हादसों में में होने वाली कुल मौतों का 85 फीसदी हिस्सा है। इस योजना में सड़क परिवहन मंत्रालय 3635 करोड़ रुपये का बजटीय समर्थन देगा । जबकि 1818 करोड़ रुपये वर्ल्ड बैंक और इतनी ही रकम एशियन डेवलपमेंट बैंक से उधार स्वरूप ली जायेगी।

कुल लागत में से 6725 करोड़ रुपये 14 राज्यों में बाँट दिए जायेंगे जबकि 545 करोड़ रुपये से केन्द्रीय सड़क मंत्रालय अन्य गतिविधियाँ करेगा। ये 14 राज्य हैं – उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, गुजरात, बिहार, तेलंगाना, बंगाल, ओडीशा असम और हरियाणा।

सूत्रों के अनुसार ये आउटकम आधारित स्कीम है जिसमें राज्यों के प्रदर्शन को 11 मानकों के आधार पर आंका जाएगा। सड़क सुरक्षा में जो राज्य अग्रणी रहेंगे उनको उसी आधार पर ग्रांट दी जायेगी।

नए मोटर व्हीकल एक्ट का सही अनुपालन कराये जाने को भी फोकस में रखा जाएगा। इसके लिए सड़क निर्माण इंजीनियरिंग, नियमों का क्रियान्वयन, सड़क सुरक्षा की वकालत, मीडिया अभियान और प्रभावी आपात रेस्पोंस पर फोकस किया जाएगा।

2019 में 4.49 सड़क हादसे हुए थे , जिनमें 1 लाख 51 हजार मौतें हुई।इनमें से 127379 मौतें इन्हीं 14 राज्यों में हुईं थीं। अब सरकार का इरादा मार्च २०१७ तक सड़क हादसों में मौतों को ३० फीसदी कम करने का है।

भारत में साईकिल सवारों, दो तथा तीन पहिया वाहन चालकों और पैदल चलने वालों को सर्वाधिक जोखिम वाले सड़क यूजर्स की श्रेणी में रखा गया है। सड़क हादसों में जितनी मौतें होती हैं, उनमें 54 फीसदी इसी वर्ग के सड़क यूजर होते हैं। नई स्कीम में इन्हीं लोगों को फोकस में रखा गया है


वर्ष 2022 – 23 में सभी राज्यों में एक इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस शुरू किया जाएगा, जिसमें राज्यों के हाईवे और प्रमुख जिला सड़कों के उन क्षेत्रों को चिन्हित किया जाएगा जहाँ ज्यादा हादसे होते हैं। फिर इन्हें दुरुस्त किया जाएगा। स्कीम की अवधि की समाप्ति पर राज्यों के हाईवे और शहरी सड़कों के लिए रोड सेफ्टी ऑडिट अनिवार्य कर दिया जाएगा।

अगले साल से सड़क परिवहन मंत्रालय हर साल 'चैलेंज राउंड' का आयोजन करेगा जिसके तहत सड़क सुरक्षा के लिए राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जाएगा। राज्यों को सड़क सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम करने के लिए प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। राज्यों से यह भी कहा गया है कि वे भी सड़क सुरक्षा के लिए अपने खुद के बजटीय प्रावधान करें।

प्रमुख बातें

- स्टेट हाई वे, नेशनल हाई वे और चार लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों की सड़कों पर स्पीड मैनेजमेंट उपकरण लगाये जायेंगे।

- सड़क हादसों की जानकारी देने के लिए एक अलग नम्बर जारी किया जाएगा।

- स्टेट हाईवे और शहरी सड़कों पर दुपहिया वाहनों के लिए अलग से लेन बनाई जायेगी।

- राज्य शिक्षा बोर्डों को अगले वर्ष से कक्षा 6 से 12 तक के बच्चों के लिए रोड सेफ्टी पर एक चैप्टर पाठ्यक्रम में लागू करना होगा।

- एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, वाहन सुरक्षा और ड्राईवर ट्रेनिंग पर अभियान, एम्बुलेंस के लिए कमांड एवं कंट्रोल सेंटर और आटोमेटिक व्हीकल फिटनेस सेंटर स्थापित किये जायेंगे।

केंद्र सरकार ने सड़कों को सुरक्षित बनाने की योजना तो अच्छी बनाई है लेकिन अब लोगों की भी जिम्मेदारी है कि वह सड़कों का इस्तेमाल जिम्मेदारी से करें। साथ ही सड़क सुरक्षा के लिए जिम्मेदार महकमों को भी पूरी ईमानदारी से काम करना होगा। इसके लिए नियम-कानून तोड़ने वालों के प्रति जीरो टोलरेंस पालिसी अपनानी चाहिए।

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