Indo-China Relation: रिश्ते सामान्य करने के लिए चीनी सेना का हटना जरूरी, एनएसए डोभाल की चीनी विदेश मंत्री से दो टूक

Indo-China Relation: भारत के एनएसए डोभाल ने चीनी विदेश मंत्री को स्पष्ट कर दिया है कि जबतक एलएसी से चीनी सेना नहीं हटाई जाएगी, तब तक दोनों देशों के बीच कोई बात नहीं हो सकती।

Published By :  Shashi kant gautam
Update:2022-03-25 17:08 IST

New Delhi: साल 2020 में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख स्थित गलवान में भारत-चीन (Indo-China) सैनिकों के हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में बर्फ जमी हुई है। घटना के तकरीबन दो साल बाद अब चीन द्वारा रिश्ते में जमीं बर्फ को पिघलाने की कोशिश की जा रही है। इसी कवायद में चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत के दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) से भी मुलाकात की है। मिली जानकारी के अनुसार, एनएसए डोभाल ने चीनी विदेश मंत्री को स्पष्ट कर दिया है कि जबतक एलएसी से चीनी सेना नहीं हटाई जाएगी, तब तक दोनों देशों के बीच कोई बात नहीं हो सकती।

डेढ़ घंटे तक चली इस बातचीत के दौरान भारत ने कहा कि बचे हुए सीमाई क्षेत्रों में जल्द से जल्द से पूरी सेना हटाने की जरूरत है ताकि द्विपक्षीय संबंध वापस पटरी पर आ सके। एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, भारत ने शांति बहाली के लिए राजनयिक और सैन्य स्तर पर बातचीत को जारी रखने की जरूरत पर जोर दिया है। अजीत डोभाल ने चीनी विदेश मंत्री से बकाये मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाने की बात भी कही।

एनएसए डोभाल को चीन आने का न्यौता

भारत–चीन के बीच जारी तनाव भरे संबंधों के बीच अचानक नई दिल्ली की यात्रा करने वाले चीन के विदेश वांग यी ने दोनों देशों के बीच बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए अजीत डोभाल को चीन आने का न्यौता दिया है। डोभाल ने चीनी आमंत्रण पर सकारात्मक रूख अपनाते हुए कहा कि वह तत्काल मुद्दों को सफलतापूर्वक हल करने के बाद चीन की यात्रा कर सकते हैं। इस दौरान उन्होंने चीन को मौजूदा स्थिति को लेकर सचेत करते हुए कहा कि ये किसी भी पक्ष के हित में नहीं है, शांति से दोनों देशों का एक दूसरे के प्रति विश्वास जगेगा।

 एनएसए डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी : Photo - Social Media

कश्मीर का मुद्दा (Kashmir issue)

बता दें कि इससे पहले चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने पाकिस्तान में आयोजित इस्लामिक सहयोग संगठन के सम्मेलन में शिरकत की थी। ऐसा पहली बार हुआ जब चीन आईओसी के बैठक में शामिल हुआ। इस दौरान वांग यी ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की बात में हां में हां मिलाते हुए कहा था कि कश्मीर समेत दूसरे विवादों के समाधान के लिए चीन इस्लामी देशों के प्रयासों का समर्थन जारी रखेगा। हमने कश्मीर के मुद्दे पर अपने इस्लामिक दोस्तों की पुकार को फिर से सुना।

चीन भी वैसी ही इच्छा रखता है। जिसपर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चीन को भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। जिसतरह भारत चीन के आंतरिक मसलों पर टिप्पणी करने से बचता है उसी तरह चीन को भी बचना चाहिए।

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