PLI Yojana: चिप बनाने के लिए भारत ने कसी कमर, 76 हजार करोड़ की योजना बनी

PLI Yojana: केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया है कि भारत सरकार प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के तहत देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग के लिए 76 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shreya
Update:2021-12-15 18:59 IST

चिप (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)  

PLI Yojana: कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus Mahamari) के साथ दुनियाभर में चिप (Chip) या सेमीकंडक्टर (Semiconductor) की भारी कमी हो गयी है। चिप के सबसे बड़े निर्माता देश - चीन (China) और ताइवान (Taiwan) सप्लाई पूरी नहीं कर पा रहे हैं जिससे ढेरों उद्योग परेशान हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए अब भारत ने अपने यहां ही सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री (Semiconductor Industry) को बढ़ावा देने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है और इस काम के लिए 76 हजार करोड़ रुपये अलग रख दिए हैं।

केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने बताया है कि भारत सरकार प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (Production-Linked Incentive- PLI) के तहत देश में सेमीकंडक्टर (Semiconductor) और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग (Display Manufacturing) के लिए 76 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी। इससे आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) की सोच को और मजबूती मिलेगी।

कार से मोबाइल तक का प्रोडक्शन ठप

दरअसल, कोरोना महामारी आने के बाद से सेमीकंडक्टर (Semiconductor) यानी इलेक्ट्रॉनिक चिप (Electronic Chip) की सप्लाई लगातार घटती जा रही है और अब स्थिति ये हो गयी है कि कार समेत कई उत्पादन इकाईयां बंद होने की कगार पर पहुँच चुकी हैं। मिसाल के तौर पर अमेरिका की जनरल मोटर्स (General Motors) ने अपने पिकअप ट्रक का उत्पादन फिर रोकने की घोषणा की है। एप्पल के सीईओ टिम कुक (Tim Cook) ने भी कहा है कि सेमीकंडक्टरों की सीमित सप्लाई से आईफोन का उत्पादन प्रभावित हो रहा है और बिक्री पर असर पड़ा है।

माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) को अपने गेमिंग कंसोल एक्सबॉक्स (Gaming Console Xbox) और सरफेस लैपटॉप (Surface Laptop) के निर्माण में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दुकानों तक इनकी सप्लाई नहीं पहुंच पा रही है। टेस्ला के सीईओ एलोन मस्क (Elon Musk) ने कहा है सेमीकंडक्टर की कमी के चलते उनकी कंपनी बैटरियों का उत्पादन आधा करने को मजबूर है। तोशिबा, टोयोटा, एसर, एचपी जैसी हर कंपनी चिप की कमी से प्रभावित है।

कंपनियों का अनुमान है कि चिप की कमी 2023 से पहले सुधरने वाली नहीं है। हालात को देखते हुए अमेरिका तो खुद ही चिप का प्रोडक्शन (Chip Production) करने के लिए जी जान से जुटा हुआ है। संघीय सरकार ने तय किया है कि दूसरे देशों पर निर्भर रहने की बजाए अपने देश में ही प्रोडक्शन बढ़ाया जाए और इसके लिए लोकल निर्माताओं को प्रोत्साहित किया जाए।

इसके लिए सीनेट (Senate) ने एन्डलेस फ्रंटियर एक्ट (Endless Frontier Act) पारित किया है जिसके जरिये सेमीकंडक्टर निर्माण पर अरबों डॉलर खर्च किये जायेंगे। अमेरिका का इरादा सेमीकंडक्टर निर्माण में चीन को मजबूती से टक्कर देने का है। सीनेट ने सेमीकंडक्टर रिसर्च और प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए 50 अरब डॉलर रखे हैं। लेकिन अमेरिका के प्रयासों का असर सामने आने तक बरसों लग जायेंगे। 

चिप (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

क्या है चिप की हैसियत

आकार में बेहद छोटी चिप की हैसियत बहुत बड़ी है क्योंकि इनका इस्तेमाल लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल उपकरणों में किया जाता है। कार, मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर, वाशिंग मशीन, घड़ी आदि कोई भी आइटम हो, सबमें चिप लगी होती है। देखने में बेहद छोटी सी चिप दरअसल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का दिल होती है। सेमीकंडक्टर या चिप के जरिये किसी इलेक्ट्रिकल उपकरण में बिजली सप्लाई (Power Supply) को कंट्रोल किया जाता है। चिप में सिलिकॉन (Silicone) जैसे मैटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है।

कोरोना वायरस का असर

एक अनुमान के अनुसार, कोरोना महामारी आने के बाद चिप की कमी (Chip Ki Kami) से 169 तरह के उद्योग प्रभावित हुए हैं। जब चिप ही नहीं मिल रही तो प्रोडक्शन हो भी तो कैसे? सबसे गंभीर बात ये है कि ये संकट जल्दी दूर होने के कोई आसार नहीं हैं। सेमीकंडक्टर या चिप के मुख्य निर्माता हैं ताइवान, चीन, कोरिया आदि देश। कोरोना महामारी के चलते चिप बनाने वाले कारखाने बन्द हैं या बहुत सीमित स्टाफ के साथ थोड़ा बहुत प्रोडक्शन कर रहे हैं।

इसके अलावा महामारी की वजह से माल की आवाजाही का बाधित होना भी चिप सप्लाई में कमी का कारण बना हुआ है। कोरोना के कारण वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) और ऑनलाइन पढ़ाई (Online Study) पूरी दुनिया में चल रहा है। इसके चलते इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (Electronic Components) की डिमांड बीते एक साल में बहुत तेजी से बढ़ी है। कम प्रोडक्शन और ज्यादा डिमांड से भी बैलेंस बिगड़ गया है। 

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