Ramesh Pokhriyal Nishank: इस मिशन में असफल रहे रमेश पोखरियाल निशंक, देखना है अब कहां इस्तेमाल होता है
रमेश पोखरियाल निशंक जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे उस समय भी इन पर आरोप लगते रहे। हरिद्वार जहां से यह लोकसभा सांसद हैं। वहां भी चर्चा में रहते हैं।
Ramesh Pokhriyal Nishank: रमेश पोखरियाल निशंक (Ramesh Pokhriyal Nishank) को मोदी सरकार से बाहर किया जाना पहले ही तय हो गया था क्योंकि ये मामला चरित्र (character) और भ्रष्टाचार (corruption) दोनों से जुड़ा था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कसौटी (PM Modi Cabinet Expansion) पर ये दोनों ही बातें बहुत महत्व रखती हैं जबकि निशंक को इसमें संदेह का लाभ नहीं दिया सकता है।
निशंक जब पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के मुख्यमंत्री (CM of Uttarakhand) रहे उस समय भी इन पर आरोप लगते रहे। हरिद्वार ( Haridwar) जहां से यह लोकसभा सांसद हैं। वहां भी चर्चा में रहते हैं। मोदी सरकार में केंद्रीय शिक्षा मंत्री थे जो कि बताता है कि मोदी की निगाह में मंत्रियों की रैंकिंग में यह काफी ऊपर थे लेकिन इनकी कार्यशैली और आचरण ने इन्हें गर्त में धकेल दिया।
स्वास्थ्य के आधार पर हटाए जाने का जो कारण सुनने में आ रहा है और लोग इसमें कुछ और तलाश रहे हैं तो वह काफी हद तक सही भी हैं। निशंक को जिस विश्वास के साथ शिक्षा मंत्रालय सौंपा गया था उस पर वह खरे नहीं उतरे शिक्षा को नया रूप देने में संघ का एजेंडा लागू नहीं कर पाए जबकि इनके ऊपर कोई बंदिश नहीं थी। इन्हें काम करने की पूरी आजादी मिली हुई थी।ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अनभिज्ञ थे वह लगातार कहते थे कि हर मंत्री का रिपोर्ट कार्ड बन रहा है। लेकिन तमाम मंत्रियों ने इसे एक जुमला मानकर नजरअंदाज कर दिया।
चुकानी पड़ी इसकी कीमत
विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि रमेश पोखरियाल निशंक पर जिस तरह के भ्रष्टाचार के संगीन आरोप थे उसमें उनकी कुर्सी जाना तय हो गया था। कुछ शिक्षण संस्थाओं ने भी उनके खिलाफ शिकायत की थी। जिसकी कीमत निशंक को चुकानी पड़ी।
सूत्रों का दावा है कि पूरा प्रकरण बनवारीलाल नटिया का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी एनसीटीई/एनआरसी के चैयरमैन के पद पर काबिज रहने, नटिया पर यौन शोषण और भ्रष्टाचार के आरोप के बाद भी कारवाई नहीं किये जाने से जुड़ा है।
कमेटी की महिला के साथ की थी अभद्रता
एनसीटीई/एनआरसी कमेटी में महिला और पुरुष दोनों हैं। इसी कमेटी की एक महिला के साथ बनवारी लाल नटिया ने अभद्रता की और मेंटल हैरेसमेंट किया। महिला ने शिक्षा मंत्री निशंक सहित सभी अधिकारियों से मिलकर शिकायत की गई लेकिन कोई कारवाई नहीं कि गई। कहा ये भी जाता है कि यह महिला राजस्थान सरकार में पूर्व में उच्च पद पर रह चुकी है। लेकिन एनसीटीई में ऐसी फाइलें निकालने का दबाव था जिससे पैसे बन सके। लेकिन हर व्यक्ति पैसों के लिए काम नहीं करता। निशंक आश्वासन देते रहे लेकिन किया कुछ नहीं। मामले की आंच तेज हुई तो निशंक की कुर्सी जाना तय हो गया।
और इसी तरह के कारणों के चलते 61 वर्षीय निशंक की स्वास्थ्य कारणों को आधार बनाकर विदाई हो गई। पहले यह चर्चा भी कि निशंक का इस्तेमाल उत्तराखंड में किया जा सकता है लेकिन उत्तराखंड के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि निशंक को उत्तराखंड में लाने से गुटबाजी बढ़ सकती है। ऐसे में फिलहाल तो निशंक को स्वास्थ्य लाभ ही करने दिया जा सकता है या फिर किसी दूसरे राज्य में भेजा जा सकता है।