Samyukt Kisan Morcha: बड़ा एलान, आंदोलन की पहली बरसी पर 500 किसान संसद तक निकालेंगे ट्रैक्टर मार्च
Samyukt Kisan Morcha kisan Andolan: संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन की बरसी पर संसद तक ट्रैक्टर मार्च निकालने का किया एलान
Samyukt Kisan Morcha kisan Andolan: राजधानी दिल्ली के कुंडली बॉर्डर (kundli border) पर आज (मंगलवार) को संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) की एक बड़ी बैठक हुई। जिसमें किसान नेताओं ने फैसला किया है कि वह आंदोलन के एक साल पूरे होने पर 500 किसानों के साथ ट्रैक्टर मार्च (tractor march) संसद भवन तक निकालेंगे। बता दें किसानों के आंदोलन का 26 नवंबर को 1 साल पूरा हो जाएगा और पहली बरसी पर 500 किसान ट्रैक्टर के साथ संसद तक मार्च (tractor march) करेंगे और तीनों कृषि कानून के खिलाफ अपना विरोध जताएंगे।
गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए 3 नए कानून लेकर आई है लेकिन पंजाब हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान इसका पुरजोर तरीके से विरोध कर रहे हैं। तीनों नए कृषि कानून को काला कानून नाम देकर यह किसान 26 नवंबर 2020 से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर आंदोलनरत हैं और लगातार 1 साल से उनका इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है।
विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ शुरुआती दौर में सरकार कई दौर की वार्ता कर चुकी है लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला उसके बाद सरकार और किसानों के बीच खाई गहरी हो गई और अब बातचीत का रास्ता भी बंद हो गया है। पिछले कई महीनों से किसान और सरकार के बीच कोई भी वार्ता नहीं हुई है। जिससे यह आंदोलन (kisan andolan) आगे बढ़ता जा रहा है। किसान अपनी मांग पर अड़े हैं कि सरकार तीनों कृषि कानून वापस ले, वही मोदी सरकार भी अपने फैसले पर अडिग है। केंद्र सरकार की ओर से कई बार कहा जा चुका है कि वह कानून में सुधार के लिए तैयार है, लेकिन कानून वापस नहीं होंगे। हालांकि यह कानून अभी पूरी तरह से लागू नहीं हुआ है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा रखी है।
लखनऊ में बड़ी महापंचायत की तैयारी
वहीं गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन (kisan andolan) कर रहे भारतीय किसान यूनियन (bhartiya kisan Union) के नेता राकेश टिकैत 22 नवंबर को यूपी की राजधानी लखनऊ में बड़ी महापंचायत की तैयारी में जुटे हैं। राकेश टिकैत ने कहा ऐतिहासिक होगी लखनऊ में आयोजित 22 नवंबर की किसान महापंचायत संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) की या महापंचायत किसान विरोधी सरकार और तीनों काले कानून के विरोध में ताबूत की आखिरी कील साबित होगी। अब पूर्वांचल में भी तेज होगा अन्नदाता का आंदोलन।
इसके अलावा राकेश टिकैत ने एक अन्य ट्वीट करते हुए कहा साढ़े सात सौ के आसपास किसान शहीद हो गए और भारत सरकार की तरफ से एक भी शोक संदेश नहीं आया, तो देश के किसानों को यह लगता है कि प्रधानमंत्री जो है वह देश के किसानों के प्रधानमंत्री नहीं हैं।