इस बार नहीं सुनाई दे रहे एंबुलेंस के सायरन, आखिर कैसे भर्ती हो रहे मरीज

कोरोना की दूसरी लहर में सबसे बड़ी चुनौती एम्बुलेंस की अनुपलब्धता की सामने आ रही है। तमाम मरीजों

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-04-11 06:41 GMT

फोटो-सोशल मीडिया

नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर में सबसे बड़ी चुनौती एम्बुलेंस की अनुपलब्धता की सामने आ रही है। तमाम मरीजों की ये शिकायतें आ रही हैं कि कोविड पाजिटिव की रिपोर्ट आने के बाद भी उन्हें एम्बुलेंस नहीं मिल रही। लोग जैसे तैसे अपने साधनों से अस्पताल जा रहे हैं जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है। इस संबंध में मीडिया में आई रिपोर्ट में कहा गया है कि एम्बुलेंस सेवा प्रदान करने वाली कंपनी ने अपनी सेवा देने से इनकार करके संकट बढ़ा दिया है। कंपनी का कहना है कि उसे पूरा भुगतान नहीं मिला है इसलिए जबतक नियम और शर्तें स्पष्ट नहीं होंगी वह अपनी सेवाएं शुरू नहीं करेगी।

एम्बुलेंस ने रोकी सेवाएं 

सूबे में कोविड-19 की दूसरी लहर में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। यह भी शिकायत आ रही हैं कि सीएमओ के दिये हुए नंबरों पर रिस्पांस नहीं मिल रहा है। पीड़ित संक्रमित व्यक्ति परेशान है अस्पताल भर्ती कर नहीं रहे हैं। किसी को अस्पताल एलाट हो भी गया तो ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं मिल रही है। इस संबंध में एंबुलेंस सेवा प्रदान करने वाली कंपनी जीवीके ईएमआरआई का कहना है कि पिछले साल कोरोना ड्यूटी में लगी एम्बुलेंस का भुगतान न मिलने के कारण उसने अपनी सेवाएं रोक दी हैं।

कंपनी का यह भी दावा है कि उसने स्वास्थ्य महानिदेशक को इसकी जानकारी दे दी है लेकिन प्रशासनिक तंत्र इस गंभीर समस्या पर अब तक रहस्यमयी चुप्पी साधे हुए है। कंपनी का कहना है कि मार्च 2020 से फरवरी 2021 तक उसने एंबुलेंस संचालन का 395 करोड़ का बिल बनाया था लेकिन उन्हें सिर्फ 251 करोड़ ही काट पीटकर दिया गया। मामला 144 करोड़ के बकाया भुगतान पर फंसा है।


प्रशासन तंत्र की कमी 

शासन जबकि कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के ले एंबुलेंस संख्या दोगुनी करने का आदेश दे रहा है जबकि चल रही एम्बुलेंस भी खड़ी हो चुकी हैं ऐसे में क्या प्रशासन इससे अवगत नहीं है। यदि कंपनी गलत है तो सख्ती की जानी चाहिए और यदि प्रशासन तंत्र की कमी है तो सुधारा जाना चाहिए लेकिन जनता की जान की कीमत पर ये खिलवाड़ बंद होना चाहिए।

कंपनी का तो यह भी कहना है कि यदि प्रशासन उचित समझे तो एम्बुलेंस सेवा का अधिग्रहण करके खुद चलवा ले। लेकिन स्पष्ट दिशा निर्देशों के अभाव में वह एम्बुलेंस सेवा संचालित नहीं कर सकते।

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