नहीं सुलझा छत्तीसगढ़ कांग्रेस का विवाद, लंबी बैठक के बाद भी राहुल हुए फेल, सिंहदेव की नाराजगी बरकरार
पार्टी नेतृत्व राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) और वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव (TS Singh deo) के बीच पैदा हुए विवाद को सुलझाने की कोशिश में जुटा हुआ है मगर अभी तक इस काम में कामयाबी नहीं मिल सकी है।
नई दिल्ली: पंजाब और राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस (Chhattisgarh congress party) में पैदा हुआ विवाद पार्टी नेतृत्व के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। पार्टी नेतृत्व राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) और वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव (TS Singh deo) के बीच पैदा हुए विवाद को सुलझाने की कोशिश में जुटा हुआ है मगर अभी तक इस काम में कामयाबी नहीं मिल सकी है। मंगलवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ इन दोनों वरिष्ठ नेताओं के करीब तीन घंटे तक बैठक चली मगर दोनों नेताओं के बीच विवाद नहीं सुलझ सका।
राज्य में मुख्यमंत्री पद के लिए ढाई-ढाई साल के फार्मूले को लेकर यह विवाद पैदा हुआ है। हालांकि पार्टी नेतृत्व और राज्य के प्रभारी पीएल पुनिया इस बात से इनकार करते रहे हैं। वैसे सूत्रों का कहना है कि शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक के बाद भी सिंहदेव की नाराजगी बरकरार है। इससे साफ है कि आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ कांग्रेस का विवाद और गहरा सकता है। जानकार सूत्रों के मुताबिक अब इस मामले में आखिरी फैसला कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को करना है।
नेतृत्व के विवाद का समाधान नहीं
छत्तीसगढ़ कांग्रेस का विवाद सुलझाने के लिए पार्टी नेतृत्व की ओर से भूपेश बघेल और सिंहदेव को मंगलवार को दिल्ली तलब किया गया था। दोनों नेताओं की राहुल गांधी के साथ बैठक के दौरान प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया भी मौजूद थे। करीब तीन घंटे तक चली बैठक के बाद पार्टी की ओर से यह दिखाने की कोशिश की गई कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस में किसी भी प्रकार का कोई विवाद नहीं है और राज्य की विकास योजनाओं व अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए यह बैठक आयोजित की गई थी।
बैठक के बाद प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया का कहना था कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर बैठक में किसी भी प्रकार की कोई चर्चा नहीं हुई। बैठक में सिर्फ विकास योजनाओं से जुड़े मुद्दों पर ही बातचीत की गई। दूसरी ओर पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह बैठक राज्य में नेतृत्व को लेकर पैदा हुए विवाद के मुद्दे पर ही आयोजित की गई थी और बैठक के दौरान इस मुद्दे का समाधान नहीं खोजा जा सका।
छत्तीसगढ़ में इसलिए पैदा हुआ विवाद
दरअसल राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) का 17 जून को मुख्यमंत्री के रूप में ढाई वर्ष का कार्यकाल पूरा हुआ है। कांग्रेस दिसंबर 2018 में चुनाव में जीत हासिल करने के बाद सत्ता में आई थी। उस समय मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में भूपेश बघेल के अलावा टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू भी शामिल थे। आखिरकार हाईकमान की हरी झंडी के बाद मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल की ताजपोशी हुई।
कांग्रेस में उस समय से ही यह चर्चा है कि भूपेश बघेल ढाई साल मुख्यमंत्री रहेंगे और ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद टीएस सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। हालांकि कांग्रेस की ओर से कभी इस बात की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गई मगर कांग्रेस हलकों में यह चर्चा उस समय से ही तैर रही है। राज्य में सिंहदेव के समर्थक अब फौरन उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं।
हाईकमान के रुख से सिंहदेव नाराज
17 जून को भूपेश बघेल का मुख्यमंत्री के रूप में ढाई वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद एक बार फिर राज्य कांग्रेस में तनातनी का माहौल दिख रहा है। वैसे भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव दोनों की ओर से यह बयान दिया जा रहा है कि इस मुद्दे पर आखिरी फैसला पार्टी हाईकमान को ही लेना है। दोनों नेताओं का कहना है कि हाईकमान इस मुद्दे पर जो भी फैसला लेगा, वह फैसला उन्हें मंजूर होगा।
टीएस सिंहदेव ने इस मुद्दे पर कभी खुलकर कोई बयान नहीं दिया है मगर जानकारों का कहना है कि वे इसे लेकर भीतर ही भीतर नाराज हैं।
पिछले दिनों आए कांग्रेस विधायक की ओर से आरोप लगाए जाने पर भी उन्होंने खुलकर नाराजगी जताई थी। विधानसभा की बैठक में हिस्सा लेने से भी मना कर दिया था। बघेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही सिंहदेव से उनके रिश्ते कभी सहज नहीं रहे हैं। इसके साथ ही उन पर महत्वपूर्ण फसलों में सिंहदेव की अनदेखी का आरोप भी लगता रहा है।
सिंहदेव इस महीने की शुरुआत में भी दिल्ली पहुंचे थे और उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात की थी। हालांकि उस समय उन्होंने अपनी यात्रा को व्यक्तिगत बताया था। वैसे जानकारों के मुताबिक उनकी यात्रा का मकसद छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन से जुड़ा हुआ था।
सिंहदेव के समर्थकों ने बढ़ाया दबाव
सिंहदेव के समर्थकों ने हाल के दिनों में उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग को लेकर दबाव बढ़ा दिया है। उनके समर्थकों का कहना है कि यदि उन्हें मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई तो वे सरकार से इस्तीफा भी दे सकते हैं। इससे कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं होगा। अब इस संबंध में अंतिम फैसला पार्टी नेतृत्व को ही करना है।
भूपेश बघेल और सिंहदेव के बीच पिछले दिनों उस समय विवाद काफी बढ़ गया था जब पार्टी के एक विधायक बृहस्पति सिंह ने सिंहदेव पर अपनी हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था। इस आरोप पर सिंहदेव ने गहरी नाराजगी जताई थी। बृहस्पति सिंह को मुख्यमंत्री का करीबी माना जाता है। इसलिए उनके आरोप के बाद विवाद और गहरा गया था। हालांकि बाद में उन्होंने अपने आरोप वापस ले लिए थे मगर बघेल और सिंहदेव के बीच तनातनी बनी हुई है।
कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि यदि पार्टी नेतृत्व की ओर से इस विवाद का जल्द निपटारा नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में पंजाब और राजस्थान की तरह छत्तीसगढ़ कांग्रेस में भी आंतरिक कलह चरम पर पहुंच जाएगी।