स्टालिन के कार्यक्रम में विपक्ष ने दिखाया दम, सोनिया व अखिलेश भी पहुंचे, बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक के मुखिया एमके स्टालिन के कार्यक्रम में शनिवार को विपक्ष के कई बड़े चेहरों ने एक मंच पर जुटकर बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश की।
Tamil Nadu: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक के मुखिया एमके स्टालिन के कार्यक्रम में शनिवार को विपक्ष के कई बड़े चेहरों ने एक मंच पर जुटकर बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश की। मौका था दिल्ली में द्रमुक के कार्यालय के उद्घाटन का और इस मौके पर गैर भाजपाई नेता एक मंच पर नजर आए।
इन नेताओं में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व सपा मुखिया अखिलेश यादव भी शामिल थे। मजे की बात यह है कि इस कार्यक्रम में जुटने वाले कई नेता 2024 की सियासी जंग में भाजपा के खिलाफ विपक्ष का साझा मोर्चा बनाने की अपील भी कर चुके हैं। इस कार्यक्रम के जरिए विपक्षी एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की गई।
विपक्ष के बड़े चेहरों का जमावड़ा
हाल के दिनों में भाजपा के खिलाफ एकजुट होने के लिए विपक्षी नेताओं ने सक्रियता बढ़ाई है। पिछले दिनों पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने चार राज्यों की सत्ता पर कब्जा कर लिया है। सिर्फ पंजाब अकेला ऐसा राज्य है जहां आम आदमी पार्टी ने प्रचंड जीत हासिल करते हुए दूसरे सभी सियासी दलों को काफी पीछे छोड़ दिया है। भाजपा के लगातार मजबूत होने के साथ विपक्षी एकजुटता की अपील एक बार फिर जोरों पर की जा रही है।
ऐसे में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने शनिवार को बड़े विपक्षी नेताओं को एक मंच पर जुटाने में कामयाबी हासिल की। द्रमुक के दिल्ली स्थित कार्यालय के उद्घाटन के मौके पर सोनिया और अखिलेश के अलावा जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला, वाम मोर्चे के नेता सीताराम येचुरी और डी राजा और तृणमूल कांग्रेस व टीडीपी के नेता भी मौजूद थे। इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया ने द्रमुक कार्यालय की लाइब्रेरी का उद्घाटन किया।
कांग्रेस को स्टालिन की सलाह
देश में भाजपा के बढ़ते असर के बाद स्टालिन ने कांग्रेस को विपक्षी दलों के साथ दोस्ती बढ़ाने की सलाह दी है। स्टालिन के पिता करुणानिधि का गांधी परिवार के साथ नजदीकी रिश्ता रहा है और मौजूदा समय में तमिलनाडु में द्रमुक का कांग्रेस के साथ गठबंधन भी है। ऐसे में माना जा रहा है कि स्टालिन कांग्रेस के साथ मिलकर विपक्ष को एकजुट करने के लिए पहल में जुटे हैं।
हाल में उन्होंने देश को बचाने के लिए विपक्षी दलों से एकजुटता की अपील की थी। अपनी मौजूदा दिल्ली यात्रा के दौरान उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप मुखिया अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से भी मुलाकात की है। दोनों नेताओं के बीच दिल्ली में बेहतर होती शिक्षा व्यवस्था पर चर्चा हुई मगर इसी बहाने उन्होंने विपक्ष की एकजुटता का भी संदेश दिया।
ममता ने भी बढ़ाई सक्रियता
विपक्षी नेताओं की बढ़ती सक्रियता को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी की ओर से हाल में उठाए गए एक कदम से भी समझा जा सकता है। उन्होंने गैर भाजपाई नेताओं को चिट्ठी लिखकर एकजुटता के लिए जल्द बैठक बुलाने की अपील की है। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई और अन्य सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।
उनका कहना है कि केंद्र सरकार के सहयोगियों के खिलाफ विपक्षी नेताओं को एकजुट होना होगा। उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री से गैर भाजपाई मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने की अपील भी की थी। दूसरी ओर शिवसेना ने भी यूपीए का कलेवर बदलने की मांग की है। शिवसेना का कहना है कि यूपीए को एक बार फिर सक्रिय बनाने के लिए इसकी कमान एनसीपी मुखिया शरद पवार को सौंपी जानी चाहिए। माना जा रहा है कि 2024 की सियासी जंग से पहले विपक्षी नेता एकजुटता के जरिए बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश में जुटे हुए हैं।