Tax Terrorism: जिसे 'टैक्स आतंकवाद' कहा गया था वो नियम अब हुआ वापस
केंद्र सरकार ने आखिरकार टैक्स सबंधी एक महत्वपूर्ण नियम को वापस ले लिया है। इससे विदेशी कंपनियों के साथ टैक्स को लेकर जारी विवाद खत्म हो जायेंगे।
Tax Terrorism: केंद्र सरकार ने आखिरकार टैक्स सबंधी एक महत्वपूर्ण नियम को वापस ले लिया है। इससे विदेशी कंपनियों के साथ टैक्स को लेकर जारी विवाद खत्म हो जायेंगे। इन्हीं विवादों के चलते कई विदेशी कंपनियों ने तो विदेशों में स्थित भारत सरकार की संपत्तियों को जब्त करने की धमकी दी थी। नए नियमों के तहत वोडाफोन और केयर्न एनर्जी आदि कंपनियों को पैसा लौटाया जा सकेगा, बशर्ते वे पिछले लगभग एक दशक से जारी विवाद खत्म कर दें।
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय नियामक मंचों ने इन मामलों में भारत के खिलाफ फैसला दिया था। वोडाफोन ने तो कुछ दिन पहले सरकार से कहा था कि वह कंपनी को अपने हाथ में ले ले। एक्ट में संशोधन के 9 साल बाद मोदी सरकार ने नया नियम रद करने का फैसला ले कर ग्लोबल निवेशकों को ये सन्देश दिया है कि सरकार गड़बड़ियों को दूर करने और पीछे हटने को तैयार है।
क्या है मामला
दरअसल, मार्च 2012 में तत्कालीन यूपीए सरकार के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इनकम टैक्स एक्ट में एक संशोधन किया था जिसके तहत कंपनियों पर पूर्व तिथि से टैक्स लगाया जा सकता है। ये बदलाव सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के आलोक में किया गया था जिसमें कोर्ट ने कहा था कि 2007 में मोबाइल कंपनी हचिन्सन व्हाम्पो में 67 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के सौदे के लिए वोडाफोन पर टैक्स नहीं लगाया जा सकता है। ये हिस्सेदारी 11 अरब डालर में खरीदी गयी थी। कोर्ट के आदेश के बाद प्रणब मुखर्जी ने इनकम टैक्स का नियम ही बदल दिया हालाँकि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ऐसे संशोधन के खिलाफ थे।
उस समय भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए विपक्ष में था और उसने टैक्स नियम में संशोधन को 'टैक्स आतंकवाद' करार देते हुए इसका जोरदार विरोध किया था। लेकिन एनडीए के सत्ता में आने के सात साल तक संशोधित नियम बरकरार रहा हालाँकि जब अरुण जेटली वित्त मंत्री थे तब उन्होंने पूर्व तिथि से कराधान के सिद्धांत के खिलाफ अपने विचार बार बार प्रकट किये थे। जेटली ने कहा था कि वोडाफोन पर कराधान का मामला गलत है और इससे निवेशकों में भय का माहौल ही पैदा होगा। इसके बावजूद भाजपा सरकार ने टैक्स नियम को वापस नहीं लिया। हालाँकि सरकार बार बार ये कहती रही कि वह पूर्व तिथि से कराधान नहीं करेगी लेकिन इस नियम से जुड़े अदालती मामले बरसों तक चलते ही गए। ऐसा ही एक मामला केयर्न एनर्जी से सम्बंधित है जिसमें सरकार ने 7800 करोड़ रुपये का टैक्स नए नियम के तहत ले लिए था।
प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब 'द कोलिशन इयर्स 1996-2012' में एक जगह लिखा है कि 'मेरे प्रस्ताव पर उस समय और आज भी मेरी पार्टी के भीतर और उसके बाहर काफी नाराजगी जताई गयी। लेकिन मुझे हैरानी है कि मेरे बाद के वित्त मंत्रियों ने यथास्थिति बनाये रखी।'
क्यों करना पड़ा बदलाव
फ्रांस की एक अदालत ने पिछले महीने केयर्न एनर्जी की एक याचिका पर आदेश देते हुए पेरिस में भारत में 20 संपत्तियों को फ्रीज कर दिया था। केयर्न ने एयर इंडिया की संपत्तियां जब्त करने की भी धमकी दी थी। केयर्न भारत सरकार से अपने 1.2 अरब डॉलर वापस चाहती है। इन धनराशि की वापसी का आदेश पिछले साल एक स्वतंत्र पैनल ने दिया था। विश्लेषकों का कहना है कि इस विवाद में कुल मिलाकर 6 अरब डॉलर से ज्यादा की राशि शामिल है और यह मामला इतना बढ़ गया था कि कई देशों के साथ कूटनीतिक संबंधों पर आंच आ रही थी।
अब भारत सरकार ने कहा कि नए नियमों के तहत मई 2012 से पहले खरीदी गई संपत्तियों पर लगे टैक्स को शून्य किया जा सकेगा। हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं जिनमें कानूनी दावे वापस लेना और नुकसान की भरपाई के नए दावे ना करने का वादा शामिल है। अधिकारियों ने यह भी कहा कि वापस की जा रही धनराशि पर कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा। नए नियमों पर केयर्न ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी है और बस इतना कहा है कि वह हालात पर निगाह रखे हुए है। भारत सरकार के राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा है कि यह फैसला दबाव में नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि नए प्रस्ताव के तहत एक अरब डॉलर ही वापस करने होंगे। यह राशि केयर्न के दावे से भी कम है। आदित्य बिरला ग्रुप की वोडाफोन से भी भारत सरकार 3 अरब डॉलर की मांग कर रही थी।
कई कंपनियों से विवाद
पूर्व तिथि से कराधान मामले पर 15 से ज्यादा कंपनियों का कई साल से भारत सरकार के साथ विवाद चल रहा है। नीदरलैंड्स के द हेग स्थित एक अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल ने पिछले साल फैसला दिया था कि मोबाइल कंपनी वोडाफोन पर लगाया गया टैक्स और जुर्माना भारत और नीदरलैंड्स के बीच हुई संधि का उल्लंघन करता है।
इसी ट्रिब्यूनल ने भारत सरकार को ये भी आदेश दिया था कि वह केयर्न को 1.2 अरब डॉलर से ज्यादा की राशि ब्याज सहित वापस करे। हालांकि भारत सरकार ने ट्राइब्यूनल के फैसले को मानने से ही इनकार कर दिया था और कहा था कि वह लड़ाई जारी रखेगी।