Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड में 'अबकी बार 60 पार' के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरी BJP, कई मौजूदा विधायकों के कट सकते हैं टिकट
Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड के चुनाव में भाजपा ‘अबकी बार 60 पार’ के नारे के साथ मैदान में है। लेकिन ये चुनाव पार्टी के कई विधायकों के लिए एक कठिन लड़ाई बन गया है। उत्तराखंड के राजनीतिक परिदृश्य ने भाजपा को ढेरों मौजूदा विधायकों का टिकट काटने पर सोचने के लिए मजबूर किया है।
Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड के चुनाव (Uttarakhand Election 2022) में भाजपा (BJP) 'अबकी बार 60 पार' के नारे के साथ मैदान में है। लेकिन ये चुनाव पार्टी के कई विधायकों के लिए एक कठिन लड़ाई बन गया है। उत्तराखंड (Uttarakhand Election 2022) के राजनीतिक परिदृश्य ने भाजपा (BJP) को ढेरों मौजूदा विधायकों का टिकट काटने पर सोचने के लिए मजबूर किया है। पार्टी को उम्मीद है कि विधायकों के टिकट कट कर सत्ता विरोधी रुझान को खत्म किया जा सकेगा। समझा जाता है कि ऐसे विधायकों की संख्या 12 से बीस तक पहुंच सकती है।
उत्तराखंड में 2017 के चुनाव (Uttarakhand Election 2022) में भाजपा 'डबल इंजन सरकार' के नारे के साथ सत्ता में आई थी, लेकिन असल में हुआ ये कि पांच साल में 3 बार मुख्यमंत्री बदले गए। त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत और पुष्कर सिंह धामी – इन सभी को अजमाया गया या आजमाना पड़ गया।
2017 में भाजपा को मिले थे 46.51 फीसदी
2017 में भाजपा (BJP) को 46.51 फीसदी और कांग्रेस को 33.49 फीसदी वोट मिले। बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) सहित अन्य राजनीतिक दलों का वोट शेयर काफी कम था। पांच साल बाद अब 2022 (Uttarakhand Election 2022) की चुनावी लड़ाई भाजपा (BJP) के लिए आसान नहीं है क्योंकि मतदाताओं के बीच यह धारणा बन गई है कि 'डबल इंजन' पहाड़ों में नहीं चल सकता है। इसके अलावा, महंगाई, बेरोजगारी और बार-बार बदलते मुख्यमंत्रियों का मसला भी सामने है।
पाला बदल मुश्किल
बहरहाल, देखना ये है कि क्या उत्तराखंड में भी चुनावी (Uttarakhand Election 2022) पाला-बदल खेल शुरू होता है। भाजपा (BJP) अपने प्रत्याशियों की सूची तैयार कर रही है और फाइनल सूची 22 जनवरी से पहले जारी हो जाएगी। फिलहाल 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 53 विधायक हैं। दरअसल, भाजपा (BJP) के आंतरिक सर्वे और पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर पार्टी के कई मौजूदा विधायकों के टिकट खतरे में पड़ गए हैं। इन विधायकों को पार्टी के भीतर से ही कड़ी चुनौती भी मिल रही है।
बताया जाता है कि जिन लोगों का पत्ता काटना है उनको इसका एहसास भी हो गया है और अब अपना टिकट बचाने की लामबंदी की जा रही है। बताया जाता है कि पार्टी नेतृत्व को पक्का भरोसा है कि टिकट कटने के बावजूद ज्यादातर लोग पार्टी में ही बने रहेंगे। इसकी एक बड़ी वजह ये है कि यूपी के विपरीत उत्तराखंड में दमन थमने के सियासी विकल्प सीमित हैं। उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) की बजाए एकमात्र ठौर कांग्रेस (Congress) का बचता हैं जहां पहले से ही मजबूत नेता मौजूद हैं। कोई भी विधायक अपने दम पर निर्दलीय मैदान में कूदने की स्थिति में भी नहीं है। वे जानते हैं कि अपने दम पर वे कुछ कर भी नहीं पाएंगे।
12 जनवरी को भाजपा ने देहरादून में की थी अनूठी प्रेस कॉन्फ्रेंस
इस बीच, 12 जनवरी को भाजपा (BJP) ने देहरादून में एक अनूठी प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी जिसमें तीनों मुख्यमंत्रियों - त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat), तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) और पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक (Former Union Minister Ramesh Pokhriyal Nishank) भी शामिल थे। इसका उद्देश्य एकता और सब कुछ ठीक होने का मैसेज देना था। अब जनता पर इसका क्या असर हुआ है ये देखने वाली बात होगी।
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