Y-Factor Yogesh Mishra: बाबा के दरबार सरकार, इस बार काशी विश्वनाथ धाम पर देखें ये खास रिपोर्ट

Kashi Vishwanath Temple: यह पहला मौका होगा जब प्रदेश कैबिनेट की बैठक किसी मंदिर में (cabinet meeting in temple) आयोजित की जाएगी। प्रदेश सरकार इस आयोजन के जरिए काशी विश्वनाथ धाम को विश्व फलक तक लाने की कोशिश कर रही है।

Written By :  Yogesh Mishra
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2021-12-09 20:36 IST

Yogesh Mishra Video Story Kashi Vishwanath Temple: कभी भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की सभाओं में यह नारा लगाया जाता था- अयोध्या (Ayodhya) तो झांकी है,…. मथुरा (Mathura), काशी (Kashi) बाकी है। आज जब भाजपा ने अपने इन तीनों शक्ति केंद्रों में से अयोध्या व काशी के अभियान को पूरा कर दिखाया है। तब लगता है कि अगले विधानसभा चुनाव (UP Election 2022 ) वह काशी की झांकी यानी काशी में जो कुछ किया है, उसी के बूते पर जीतने की रणनीति तैयार कर रही है। तभी तो काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) को भाजपा काल में जो डिवाइन लुक दिया गया है, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) पूरे तामझाम के साथ राष्ट्र को समर्पित कर रहे हैं।

काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) के लोकार्पण के बाद प्रदेश सरकार (UP Government) की कैबिनेट बैठक (cabinet meeting) देवाधिदेव महादेव (Devadhidev Mahadev) के दरबार में होगी। बैठक से पहले प्रदेश के सभी मंत्री बाबा के दरबार में मत्था टेकेंगे। काशी विश्वनाथ धाम में प्रदेश कैबिनेट की बैठक के जरिए भाजपा काशी के महात्म्य के साथ ही हिंदुत्व का संदेश (Hindutva message) भी देने की कोशिश में जुटी हुई है। काशी को पूरी दुनिया में हिंदू आस्था के प्रमुख केंद्र के रूप में जाना जाता है। महादेव के दरबार में कैबिनेट बैठक के जरिए भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश में हैं।

प्रदेश कैबिनेट की बैठक किसी मंदिर में पहली बार होगा ऐसा

यह पहला मौका होगा जब प्रदेश कैबिनेट की बैठक किसी मंदिर में (cabinet meeting in temple) आयोजित की जाएगी। प्रदेश सरकार इस आयोजन के जरिए काशी विश्वनाथ धाम को विश्व फलक तक लाने की कोशिश कर रही है। इससे पूर्व प्रयागराज (Prayagraj) में कुंभ के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश कैबिनेट की बैठक करके बड़ा संदेश दिया था। दरअसल, भाजपा इस कैबिनेट बैठक के जरिए हिंदुत्व के एजेंडे को और धारदार बनाने में लगी है। पीएम मोदी के हाथों काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद एक महीने तक चलने वाले कार्यक्रमों की शुरुआत भी होगी।

2014 में वाराणसी (Varanasi ) से चुनाव (Election 2014) जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र (PM Narendra Modi parliamentary constituency) में कई बड़े काम कराए हैं । मगर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) का निर्माण उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है। पीएम मोदी वाराणसी दौरों के समय खुद भी बाबा के दरबार में मत्था टेकने के साथ ही इस कॉरिडोर के निर्माण की पूरी जानकारी लेते रहे हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर: photo - social media 

इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने तपस्या किया था

हजारों वर्षों से वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) बारह ज्योतिर्लिंगों (Twelve Jyotirlingas) में से एक है। माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि प्रलयकाल में भी इसका लोप नहीं होता। उस समय भगवान शंकर इसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं। सृष्टि काल आने पर इसे नीचे उतार देते हैं। इसी स्थान पर भगवान विष्णु (Lord Vishnu)ने सृष्टि उत्पन्न करने की कामना से तपस्या करके आशुतोष को प्रसन्न किया था। फिर उनके शयन करने पर उनके नाभि-कमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए, जिन्होने सारे संसार की रचना की।

स्कंद पुराण में वाराणसी का इतिहास

स्कंद पुराण में इस नगर का इतिहास वर्णित हैं। रामायण एवं महाभारत में भी इस नगरी का वर्णन है।वर्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा सन 1780 में करवाया गया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह द्वारा 1853 में 1000 किलो शुद्ध सोने द्वारा बनवाया गया। नेपाल के महाराजा ने यहाँ नंदी की विशाल मूर्ति बनवाई थी।

इस शहर पर सर्वप्रथम मुहम्मद गोरी (Muhammad Ghori) ने सन 1163 में आक्रमण किया। बाद में लगातार 600 वर्षो तक इसे विदेशी आक्रमण झेलने पड़े।1663 में औरंगजेब ने (Aurangzeb attack in 1663) मंदिर को नष्ट कर दिया और उसकी जगह भव्य मस्जिद बनाई। सन 1852 में बाजीराव पेशवा ने यहाँ का प्रसिद्ध कालभैरव मंदिर (Kalabhairav ​​Temple) बनवाया। काशी विश्वनाथ गलियारा परियोजना की कल्पना 2019 में की गई थी।इसकी आधारशिला प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। इस परियोजना का उद्देश्य मंदिर के कुल क्षेत्रफल को लगभग 50,000 वर्ग मीटर तक बढ़ाना है।यह गलियारा 800 करोड़ रुपये से बनाया गया है।

मंदिर का प्रबंधन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया जाता है

ज्ञानव्यापी मस्जिद का संचालन करने वाली समिति ने मस्जिद परिसर के बाहर जमीन का एक टुकड़ा काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को दे दिया है। यह जमीन एक अन्य जमीन के बदले में दी गई है।1983 से मंदिर का प्रबंधन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया जाता है । शिवरात्रि के धार्मिक अवसर के दौरान , काशी नरेश मुख्य कार्यवाहक पुजारी होते हैं।

मंदिर परिसर में छोटे मंदिरों की एक श्रृंखला है, जो नदी के पास विश्वनाथ गली में स्थित है। मंदिर में मुख्य देवता का लिंग चांदी की वेदी में रखे परिधि में 60 सेंटीमीटर लंबा और 90 सेंटीमीटर का है। मुख्य मंदिर चतुर्भुज है ।अन्य देवताओं के मंदिरों से घिरा हुआ है। परिसर में काल भैरव , कार्तिकेय , अविमुक्तेश्वर, विष्णु , गणेश , शनि , शिव और पार्वती के लिए छोटे मंदिर हैं । कहा जाता है कि मुगलों के आक्रमण के दौरान ज्योतिर्लिंग को आक्रमणकारियों से बचाने के लिए मंदिर के मुख्य पुजारी ने शिवलिंग के साथ कुएं में छलांग लगा दी थी ।

27 प्राचीन मंदिरों की मणिमाला

श्री काशी विश्वनाथ धाम में 27 प्राचीन मंदिरों की मणिमाला भी बनाई जा रही है। इनमें से कुछ मंदिर विश्वनाथ जी के समय में स्थापित हुए थे, जबकि कुछ विग्रह अलग-अलग समय में स्थापित हुए। काशीपुराधिपति जी को मां गंगा से एकाकार कराने व धाम के विस्तारीकरण और सौंदर्यीकरण के लिए अधिग्रहित भवनों से निकले मंदिरों का भी संरक्षण व जीर्णोद्धार किया जा रहा है। इसमें बहुत से ऐसे मंदिर हैं, जिसका दर्शन बहुत से श्रद्धालु पहली बार करेंगे। लगभग 50,200 वर्ग मीटर में है विश्वनाथ धाम ।मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाने बाद श्रद्धालु गंगा जल लेकर सीधे बाबा के दरबार पहुंचेंगे। ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाएंगे व 27 देवालयों की मणिमाला में शीश नवाएंगे। ये मंदिर बेहद ख़ास हैं। कई ऐसे मंदिर हैं, जो अधिग्रहित घरों से निकले हैं। ऐसे मंदिरों की संख्या क़रीब 25 है। अहिल्याबाई होलकर द्वारा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनरुद्धार के लगभग 352 वर्ष के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुनरुद्धार कराया (Prime Minister Narendra Modi revived) है, जो हिंदुस्तान की नई पहचान बनने जा रहा है।

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