Basti Crime News: बहुचर्चित अश्लीलता कांड में बरी हुए 12 पुलिसकर्मी, आरोपी दरोगा बर्खास्त

Basti Crime News : बस्ती जिले के बहुचर्चित अश्लीलता कांड में कोतवाल समेत बारह पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया गया है।

Report :  Amril Lal
Published By :  Shraddha
Update: 2021-07-14 06:14 GMT

दरोगा दीपक सिंह पोखर भीटवा कांड का आरोपी (फोटो - सोशल मीडिया)

Basti Crime News : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बस्ती जिले (Basti district) के बहुचर्चित अश्लीलता कांड (Obscenity Scandal) में दर्ज मुकदमे की पुलिस जांच में तत्कालीन कोतवाल समेत बारह पुलिस व राजस्वकर्मियों को बरी (acquitted) कर दिया गया है।

हाई प्रोफाइल केस के विवेचक संतकबीरनगर के खलीलाबाद सीओ ने साक्ष्यों के आधार पर तैयार की चार्जशीट में मुख्य आरोपी बर्खास्त दरोगा दीपक सिंह को अभियुक्त बनाया है। वहीं विवेचना के दौरान अन्य आरोपितों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य न मिलने के कारण उनका नाम मुकदमे से निकाल दिया गया है।

चार्जशीट में कुल 83 लोगों के बयान साक्ष्य के तौर पर दर्ज किए गए हैं। विवेचक ने मुख्य आरोपी दीपक सिंह निवासी सोनबरसा, चौरीचौरा, गोरखपुर को आईपीसी की धारा 323, 325, 342, 504, 506, 354 (क), 354 (ख), 354 (घ), 427, 452 व 67 आईटी एक्ट के तहत आरोपी बनाया है। सीजेएम कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में 23 जुलाई 2021 को आरोपी बर्खास्त दरोगा को न्यायालय में हाजिर होने के लिए तलब किया गया है। 21 मार्च 2021 को दर्ज मुकदमे में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया आरोपी दीपक सिंह 18 जून 2021 को जमानत रिहा हुआ था।

राज्य महिला आयोग की मदद से सीएम योगी आदित्यनाथ तक पहुंचे। इस प्रकरण ने पूरे महकमे में हड़कंप मचा दिया था। फिर 18 मार्च 2021 को सीएम के संज्ञान लेने के बाद एडीजी गोरखपुर जोन अखिल कुमार की अगुवाई में उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित की गई। 19 मार्च को तत्कालीन एसपी हेमराज मीणा ने मुख्य आरोपी दरोगा दीपक सिंह को निलंबित कर दिया था। इधर शासन के निर्देश पर एडीजी के साथ आईजी रेंज, डीएम बस्ती, एसपी संतकबीरनगर जांच करने शिकायतकर्ता युवती के गांव पोखर भीटवा पहुंचे थे। घंटों चली पूछताछ व बयान दर्ज करने की प्रक्रिया के बाद एक्शन शुरू हुआ था।

सबसे पहले कोतवाल समेत 10 पुलिसकर्मियों को लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित करने के साथ ही मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया था। तत्कालीन सीओ सिटी गिरिश सिंह को भी बाद में निलंबित कर दिया गया था। कुछ दिनों बाद जिले के पुलिस अधीक्षक हेमराज मीणा व एएसपी को हटा दिया गया था।

इन पर दर्ज हुआ था मुकदमा

युवती लगातार आला अफसरों से शिकायत करती रही। फिर 20 मार्च 2021 को उसकी तहरीर पर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया था। युवती ने आरोप लगाते हुए कहा था, तत्कालीन चौकी प्रभारी सोनूपार दीपक सिंह के अलावा अन्य पुलिसकर्मियों पर फर्जी मुकदमे में फंसाने समेत अन्य संगीन आरोप लगाए थे। साथ ही गांव में पैमाइश को लेकर हल्का लेखपाल व कानूनगो को भी आरोपी बनाया था।

तहरीर के आधार पर मुख्य आरोपी दीपक सिंह के अलावा कोतवाली में ही तैनात दीपक के भाई दरोगा राजन सिंह, तत्कालीन कोतवाल इंस्पेक्टर रामपाल यादव, तत्कालीन महिला थाना प्रभारी इंस्पेक्टर शीला यादव, कोतवाली के दरोगा अभिषेक सिंह, कोतवाली के आरक्षी संजय कुमार, आलोक कुमार, पवन कुमार कुशवाहा, अवधेश सिंह, महिला आरक्षी दीक्षा यादव, नीलम सिंह, हल्का लेखपाल रहीं शालिनी सिंह व कानूनगो सतीश के साथ दो-तीन अन्य अज्ञात पुलिस कर्मियों के खिलाफ 323, 324, 211, 342, 504, 354, 354 (क), 354 (ख), 354 (ग), 354 (घ), 452, 120बी व 67 के तहत मुकदमा दर्ज किया था। पहले जांच सीओ सिटी आलोक प्रसाद को सौंपी गई थी और बाद में इसे संतकबीरनगर जनपद के खलीलाबाद सीओ अंशुमान मिश्रा को ट्रांसफर कर दी गई थी।

लॉकडाउन में हुई घटना

कोरोना की पहली लहर में लगे लॉकडाउन के दौरान 31 मार्च 2020 को इस प्रकरण की शुरुआत हुई थी। कोतवाली क्षेत्र की रहने वाली युवती ने सोनूपार चौकी प्रभारी रहे दीपक सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए आला अफसरों से शिकायत की थी कि 31 मार्च 2020 को वह घर से अपनी दादी की दवा लेने गई थी। सोनूपार चौकी पर तैनात तत्कालीन प्रभारी दारोगा दीपक सिंह ने उसे रोका और गाड़ी के कागजात चेकिंग के बहाने उसका मोबाइल नंबर ले लिया था। उसी दिन से दारोगा उसके मोबाइल नंबर पर फोन करने लगा था। युवती ने आपत्ति जताई तो पट्टीदारी के विवाद को आधार बनाकर उसके घरवालों पर फर्जी मुकदमे दर्ज कर दिए गए।

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