NCERT के डॉयरेक्टर बोले- हर दशक में बदलती रही शिक्षा और लर्निंग की परिभाषा

राजधानी में रविवार को नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) के डॉयरेक्टर डॉ हृषिकेश सेनापथी ने शिरकत की। वर्तमान समय में शिक्षा की रूपरेखा पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि शिक्षा की परिभाषा हर दशक में आवश्यकता अनुसार बदलती रही है।

Update: 2017-02-12 13:57 GMT

लखनऊ : राजधानी में रविवार को नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) के डॉयरेक्टर डॉ हृषिकेश सेनापथी ने शिरकत की। वर्तमान समय में शिक्षा की रूपरेखा पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि शिक्षा की परिभाषा हर दशक में आवश्यकता अनुसार बदलती रही है।

जैदी 1950 में शिक्षा का तात्पर्य रिस्पांस सिस्टम को समझने से था। यानि हर वस्तु के बारे में जानकारी हासिल करना और जीवित व्यक्तियों या पेड़ पौधों की प्रकृति को समझने से था। वक्त बदला तो शिक्षा और लर्निंग की परिभाषा बदलती गई। 1950 से 80 तक के दशक में ज्ञान के असीमित भण्डार में से जानकारियों को आत्मसात करना ही शिक्षा का मूलभूत उद्देश्य था।

इसके बाद नई खोजों के जरिए ज्ञान के भण्डार को बढ़ाना और उसकी दैनिक जीवन में उपयोगिता को समझना लर्निंग कहलाने लगा। आज के समय की आवश्यकता है कि बच्चो को एक ऐसा लर्निग एनवायरनमेंट दें, जिसमें स्टूडेंट खुद इस बात का आंकलन करें कि उन्हें शिक्षा हासिल करने की कौन सी प्रणाली ज्यादा रुचिकर लगती है। और फिर अपनी रूचि के हिसाब से लर्निंग प्रणाली के जरिए ज्ञान को आत्मसात करें।

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