जन्मदिन विशेष: काॅमेडी से सभी को हसाते हैं असरानी, जानिए दिलचस्प बातें

असरानी का पूरा नाम गोवर्धन असरानी हैं। उनका जन्म 1 जनवरी 1941 में जयपुर राजस्थान में हुआ था। उनके चार बहनें और तीन भाई हैं। असरानी की शादी अभिनेत्री मंजू बंसल ईरानी से हुई है।

Update: 2021-01-01 03:03 GMT
जन्मदिन विशेष: काॅमेडी से सभी को हसाते हैं असरानी, जानिए दिलचस्प बातें (PC:social media)

मुम्बई: सत्तर के दशक में जब देश में गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्ट्राचार की समस्या अपनी चरम सीमा पर थीं उस दौर में फिल्में ही लोगों का तनाव कम करने का एक मात्र साधन हुआ करती थी। तब इन सामाजिक पारिवारिक और हिंसात्मक फिल्मों में असरानी एक कामेडियन के तौर पर अपने अभिनय से मध्यम से लेकर उच्च श्रेणी तक के लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम किया। आज असरानी 79 साल के हो रहे है। पर उनकी फिल्में आज भी दर्शकों का उसी तरह मनोरंजन कर रही है जैसे कि पहले किया करती थी।

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उनका जन्म 1 जनवरी 1941 में जयपुर राजस्थान में हुआ था

असरानी का पूरा नाम गोवर्धन असरानी हैं। उनका जन्म 1 जनवरी 1941 में जयपुर राजस्थान में हुआ था। उनके चार बहनें और तीन भाई हैं। असरानी की शादी अभिनेत्री मंजू बंसल ईरानी से हुई है। असरानी ने अपनी पत्नी के साथ कई फिल्मों में भूमिकाएं अदा की हैं। प्रारम्भिक शिक्षा उनकी अपने गृह नगर के सेंट जेवियर स्कूल में हुई। उसके बाद उन्होंने अपने स्नातक की पढ़ाई राजस्थान कॉलेज से पूरी की। पढ़ाई खत्म होने के बाद उन्होंने कई सैलून तक बतौर रेडियो आर्टिस्ट रेडियो पर काम किया।

असरानी ने सत्तर के दशक में अंधाधुध फिल्में की

1967 में फिल्म हरे कांच की चूड़ियां से अपना फिल्मी सफर शुरू करने वाले असरानी ने सत्तर के दशक में अंधाधुध फिल्में की। 1973 में प्रदर्शित फिल्म अभिमान के जरिए असरानी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए। ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी फिल्म अभिमान में असरानी ने अमिताभ बच्चन के दोस्त की भूमिका निभायी थी। इस फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये असरानी सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिये नामांकित भी किए गए।

Asrani (PC:social media)

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दक्षिण भारत की फिल्मों में खूब काम किया

वर्ष 1977 में उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर फिल्म चला मुरारी हीरो बनने बनाई। इस फिल्म में असरानी ने मुख्य अभिनेता की भूमिका निभायी थी। फिल्म में असरानी के अपोजिट बिंदिया गोस्वामी ने अपनी भूमिका निभाई थी। कॉमेडी से भरपूर इस फिल्म को दर्शकों ने बेहद पसंद किया था। अस्सी के दशक में उन्होंने दक्षिण भारत की फिल्मों में खूब काम किया। वहां के निर्माता निर्देशक असरानी को अपनी हर फिल्म में लेते थें।

इसके बाद असरानी ने सलाम मेम साब, हम नहीं सुधरेंगें, दिल ही तो है और उड़ान जैसी फिल्मों का निर्देशन किया। असरानी को अपने सिने करियर में दो बार सर्वश्रेष्ठ हास्य कलाकार के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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असरानी अब तक तकरीबन 300 से अधिक हिंदी व गुजरती फिल्मों में अभिनय कर चुकें हैं। वह पांच दशक से हिंदी सिनेमा में सक्रिय हैं। उन्होंने हिंदी सिनेमा के सभी दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया हैं। फिल्मी दुनिया में अभिनय के अलावा वह एक राजनीतज्ञ भी हैं। उन्होंने साल 2004 में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। लोकसभा चुनावों के दौरान उहोने पार्टी में काफी बढ़-चढ़कर हिस्सा भी लिया था।

रिपोर्ट- श्रीधर अग्निहोत्री

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