नहीं थी फिल्म देखने की इजाजत, फिर भी तकदीर और जुनून ने दिला दी मंजिल
इरफान खान एक ऐसा एक्टर जिनकी आंखें अभिनय करती थी। उनकी एक्टिंग के पूरी दुनिया है। इरफान खान अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी यादें और बेहतरीन एक्टिंग कभी भी जहन से नहीं जाने वाली है उनके जाने से एक बहुत बड़ी क्षति कला जगत को हुई है।
मुंंबई: इरफान खान एक ऐसा एक्टर जिनकी आंखें अभिनय करती थी। उनकी एक्टिंग के पूरी दुनिया है। इरफान खान अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी यादें और बेहतरीन एक्टिंग कभी भी जहन से नहीं जाने वाली है उनके जाने से एक बहुत बड़ी क्षति कला जगत को हुई है। इरफान खान के दुनिया से जाने के बाद कई सारे फैंस ऐसे हैं जो अभी भी उनके मौत के सदमे से बाहर नहीं निकल पाए हैं।
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इरफान ने इतनी बेहतरीन फिल्मों में काम किया है,लेकिन शायद आपको पता हो कि इतनी अच्छी एक्टिंग करने वाले एक्टर इरफान को बचपन में फिल्में देखने की इजाजत नहीं थी। खुद एक इंटरव्यू के दौरान इरफान ने बताया था कि- ''बचपन मेरा जयपुर में गुजरा, मां-पापा का घर टोंक में था। वहां बचपन में जाया करता था। वहां साथियों के साथ नाटक किया करता था। फिल्में देखने की इजाजत बचपन से ही नहीं थी। जब चाचा आया करते थे तो सब खुश हो जाया करते थे। चाचा सिनेमा दिखाने ले जाया करते थे। वे कुछ पैसे देते थे और सारा खानदान फिल्म देखने जाया करता था।''
इस शुरू हुआ अभिनय का दौर
''टोंक में जहां मेरी खाला का घर था वो सिनेमा हॉल के ठीक सामने था तो जैसे ही खाला के घर का दरवाजा खुलता था तो सीधा सिनेमाघर पड़ता था। वहां पर जो टिकट बेचने वाली थी उस महिला से खाला की जान-पहचान थी तो फिल्म के बीच में ही हम लोग जाकर बैठ जाया करते थे और फिल्म देखते थे।'
रहा सहा कसर जब इरफान अपने मामा के साथ जोधपुर थियेटर नाटक देखने गए थे तब से उन्होंने पक्का कर लिया कि फिल्मों में काम करना है और इसे पूरा भी कियाय़
टीनएज में सिनेमा में काम करने की इच्छा जाहिर हुई। उस वक्त नसीरुद्दीन शाह की एक्टिंग से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे उन्हें लगा कि इस जरिए से खुद को एक्सप्लोर किया जा सकता है। 15-16 साल की उम्र में इरफान ने अभिनय करने का मन बना लिया था।
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एनएसडी गए
जुनून फिल्म में जब राजेश विवेक को इरफान खान ने बाबा के किरदार में देखा तो वे उनसे काफी प्रभावित हुए। किसी ने इरफान को बताया कि ये बहुत बड़ा एक्टर है और इसने एनएसडी से एक्टिंग सीखी है। इसके बाद इरफान खान को पता चला की एनएसडी एक जगह है जहां पर एक्टिंग सिखाई जाती है। फिर इरफान खान ने ठान लिया कि वे यहां से एक्टिंग सीखेंगे और एक्टर बनेंगे। हालांकि ऐसा करने के उनके पास पैसे नहीं थे, तो वे स्कॉलरशिप पर एनएसडी गए थे।
इसके आगे इतिहास गवाह है। इरफान खान ने एक डॉक्टर की मौत, सलाम बॉम्बे, मकबूल, बिल्लू, डी डे, पान सिंह तोमर, मदारी, कारवां, दि लंचबॉक्स, हिंदी मीडियम और इंग्लिश मीडियम जैसी फिल्मों में काम किया।