पहली ही फिल्म से हिट हुई थी ये एक्ट्रेस, अब बनीं GOOGLE इंडिया की हेड
पहले एक दो फिल्मों काम करने के बाद गायब हो चुकीं, मयूरी ने हाल ही में ‘गूगल-इंडिया’ ज्वॉइन किया है और उन्हें कंपनी का इंडस्ट्री हेड बनाया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मयूरी को यहां करोड़ों का पैकेज ऑफर हुआ है।
मुंबई: नब्बे के दशक में आई फिल्म 'पापा कहते हैं' से मशहूर हुई, एक्ट्रेस मयूरी कांगो लंबे वक्त से बॉलीवुड से गायब थीं। और आखिरी बार वो 2000 में आई तेलुगु फिल्म 'वामसी' में दिखी थीं। इसके बाद से वो ऐसे गायब हुई कि ना तो वो किसी बॉलीवुड पार्टी या फंक्शन में दिखीं और ना ही किसी फिल्मी इवेंट में।
पहले एक दो फिल्मों काम करने के बाद गायब हो चुकीं, मयूरी ने हाल ही में ‘गूगल-इंडिया’ ज्वॉइन किया है और उन्हें कंपनी का इंडस्ट्री हेड बनाया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मयूरी को यहां करोड़ों का पैकेज ऑफर हुआ है।
मयूरी की लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक इससे पहले वो फ्रेंच एडवर्टाइजिंग पब्लिसिस ग्रुप की कंपनी Performix में काम कर रही थीं। यहां मयूरी मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर काम कर रही थीं।
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फिल्में हुईं फ्लॉप तो कर ली शादी
1995 में आई फिल्म 'नसीम' से डेब्यू करने वाली मयूरी की 'पापा कहते हैं' और 'होगी प्यार की जीत' जैसी फिल्मों के अलावा बाकी कोई फिल्म खास नहीं चली। इसके बाद साल 2000 में उन्होंने टीवी इंडस्ट्री में एंट्री ली और नरगिस (2000), थोड़ा गम थोड़ी खुशी (2001), डॉलर बाबू (2001) और किट्टी पार्टी (2002) सीरियल में काम किया। हालांकि यहां भी उन्हें ज्यादा सक्सेस नहीं मिली। फिल्मों और सीरियल में सफलता नहीं मिलने के बाद मयूरी ने दिसंबर, 2003 में एनआरआई आदित्य ढिल्लन से औरंगाबाद में शादी कर ली। मयूरी और आदित्य की पहली मुलाकात कॉमन फ्रेंड के जरिए एक पार्टी में हुई थी।
शादी के बाद अमेरिका से किया एमबीए
इसके बाद मयूरी पति के साथ अमेरिका शिफ्ट हो गईं और यहीं से उन्होंने मार्केटिंग और फाइनेंस में एमबीए किया। बाद में 2004 से 2012 तक उन्होंने अमेरिका में ही जॉब की। 2011 में मयूरी मां बनीं। उनका 8 साल का एक बेटा कियान है। मयूरी के मुताबिक, 2013 में मैं इंडिया शिफ्ट हो गई क्योंकि मेरे ससुराल वाले यहां के हैं और मेरा बेटा भी उनके साथ रह सकता था।
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12वीं क्लास में ही मिल गया था ब्रेक
मयूरी जब 12वीं क्लास में थीं तभी उन्हें डायरेक्टर सईद अख्तर मिर्जा की बॉलीवुड फिल्म 'नसीम' (1995) में ब्रेक मिल गया था। हालांकि शुरू में अपनी पढ़ाई के चलते वो इस फिल्म को करने से डर रही थीं, लेकिन बाद में उन्होंने इस आफर को एक्सेप्ट कर लिया। फिल्म 'नसीम' में उनकी परफॉर्मेंस से इम्प्रेस हुए डायरेक्टर महेश भट्ट ने बाद में उन्हें 'पापा कहते हैं' (1996) में साइन कर लिया। यह फिल्म हिट रही और इसके बाद मयूरी को कुछ और फिल्में जैसे बेताबी, होगी प्यार की जीत और बादल में काम करने का मौका मिला।
आईआईटी में हुआ सिलेक्शन लेकिन फिल्में छोड़ नहीं गईं
पढ़ाई के दौरान मयूरी आईआईटी कानपुर के लिए सिलेक्ट हो गई थीं, लेकिन फिल्मों में करियर बनाने के चलते उन्होंने यहां एडमिशन ही नहीं लिया। मयूरी के मुताबिक, उन्होंने करीब 16 फिल्में किया । लेकिन इनमें से कई फ़िल्में रिलीज ही नहीं हो पाईं।
उन्होंने पापा कहते हैं (1996), होगी प्यार की जीत (1999), बेताबी (1997), बादल (2000) जंग, शिकारी-कैमियो (2000), जीतेंगे हम (2001) जैसी फिल्मों में काम किया है। मयूरी ने 2000 में आई तेलुगु फिल्म 'वमसी' में भी काम किया है। इसमें उनके अलावा महेश बाबू और नम्रता शिरोडकर भी नजर आए थे।