जब डायरेक्टर के कहने पर इस महान एक्टर के चेहरे पर पड़ी लात

बिमल रॉय एक नाम ऐसा नाम है जो सिर्फ इंडियन सिनेमा ही नहीं बल्क‍ि वर्ल्ड सिनेमा के लिए भी मिसाल है. दो बीघा जमीन, बिराज बहु, मधुमती, सुजाता जैसी कई फिल्मों से मेनस्ट्रीम और कमर्श‍ियल सिनेमा ही नहीं पैरेलल सिनेमा को भी काफी प्रभावित किया. इनके द्वारा बनाई गयियो फिल्मों ने कई इंटरनेशनल अवार्ड के साथ-साथ कई नेशनल अवॉर्ड्स भी अपने नाम किया है.

Update:2019-07-12 16:03 IST

नई दिल्ली: बिमल रॉय एक नाम ऐसा नाम है जो सिर्फ इंडियन सिनेमा ही नहीं बल्क‍ि वर्ल्ड सिनेमा के लिए भी मिसाल है. दो बीघा जमीन, बिराज बहु, मधुमती, सुजाता जैसी कई फिल्मों से मेनस्ट्रीम और कमर्श‍ियल सिनेमा ही नहीं पैरेलल सिनेमा को भी काफी प्रभावित किया. इनके द्वारा बनाई गयियो फिल्मों ने कई इंटरनेशनल अवार्ड के साथ-साथ कई नेशनल अवॉर्ड्स भी अपने नाम किया है.

12 जुलाई 1909 ढ़ाका के सुआपुर में आज ही के दिन हिंदी सिनेमा जगत में डायरेक्टर बिमल रॉय का जन्म एक बंगाली जमींदार परिवार में हुआ था. उन्होंने बंगाली और हिंदी भाषा में कई फिल्में बनाई हैं. उनके बर्थडे पर आइए जानें उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से.

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1953 में फिल्म दो बीघा जमीन को मिला इंटरनेशनल अवॉर्ड

साल 1953 में बिमल रॉय की फिल्म दो बीघा जमीन को कांस में इंटरनेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया था. अवॉर्ड की फेहरिस्त में बिमल रॉय की फिल्में परिणीता, बिराज बहु, मधुमती, सुजाता, परख, बंदिनी भी शामिल हैं. इन फिल्मों को अलग अलग कैटेगरी में फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया था.

करियर की शुरुआत में बिमल कोलकाता (पहले 'कलकत्ता') के न्यू थिएटर्स स्टूडियो में कैमरामैन के तौर पर काम करते थे. यहीं से उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत की थी. बाद में स्टूडियो मालिक बीएन सरकार ने उन्हें स्टूडियो में बचे हुए रील से अपना डायरेक्टशन का काम करने की इजाजत दी. इन्हीं बचे खुचे रील्स से उन्होंने 1944 में 'उदयर पाथे' बनाई थी जो कि उस वक्त की हिट साबित हुई थी. बाद में इसे हिंदी में 'हमराही' नाम से रीमेक बनाया गया.

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फिल्म दो बीघा जमीन में एक्टर बलराज साहनी शंभू का किरदार निभा रहे थे. फिल्म के आखिरी शॉट में बलराज को अपने कूबड़ पर बैठकर जमींदार (मुराद द्वारा निभाए गए किरदार) के पैरों को पकड़ना था. इस सीन में उन्हें जमीन के टुकड़े के लिए भीख मांगना था. बिमल रॉय ने मुराद को चुपके से साहनी को पैरों से झटका देने के लिए कहा था और फिर खुद को कैमरे की नजर से बचा लिया.

लेकिन मुराद का पैर साहनी के चेहरे पर आ गया. इस सीन से अपमानित साहनी सीन की शूटिंग पूरी होने के बाद रो पड़े. हालांकि, बाद में मुराद ने साहनी से माफी मांगी और सारा सच बताया. यह शॉट फिल्म के बेहतरीन शॅट्स में से एक निकला.

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लंबे समय तक हिंदी सिनेमा को बेहतरीन फिल्में देने के बाद 8 जनवरी 1966 को बिमल रॉय का निधन हो गया. तब उनकी उम्र 56 वर्ष थी. उनकी पत्नी का नाम मनोबिना रॉय है. दोनों के चार बच्चे हैं. बिमल रॉय की बेटी रिंकी भट्टाचार्य ने डायरेक्टर बासु भट्टाचार्य से परिवार के खिलाफ जाकर शादी की थी. लेकिन यह शादी लंबे समय तक टिक नहीं पाई. हालांकि, इस शादी से दोनों को बेटा, एक्टर और स्क्रीनप्ले राइटर आदित्य भट्टाचार्य हुए.

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