Common Sleep Disorders: समलैंगिक युवाओं को नींद की समस्या होती है दोगुनी, स्टडी में हुआ खुलासा

Common Sleep Disorders: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी एक अध्ययन के बाद माना कि समलैंगिक युवाओं में नींद की समस्या होने की संभावना दोगुनी होती है। इस अध्ययन में, समलैंगिक युवाओं के 2.5 गुना ज्यादा लोगों में नींद की समस्या की रिपोर्ट की गई थी।

Update:2023-04-11 18:12 IST
Common Sleep Disorders (Image credit:social media)

Common Sleep Disorders: समलैंगिक और उभयलिंगी युवाओं को उनके सामान्य समकक्षों की तुलना में नींद की समस्याओं का खतरा दोगुने से ज्यादा होता है। इस बात का खुलासा एलजीबीटी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन में हुआ है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, अध्ययन में शामिल 10 से 14 वर्ष के 8500 युवाओं में से लगभग 30.8 प्रतिशत युवा जो समलैंगिक थे, ने यह स्वीकार किया कि उन्हें नींद की समस्या है और रातों को सामान्यतः नींद नही आती है।

शोधकर्ताओं का कहना था की ऐसे युवा स्कूल और घर में तमाम मनोवैज्ञानिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करते हैं और यही कारण हो सकता है उन्हें पर्यापत नींद ना आती हो। शोधकर्ताओं ने अध्ययन की तह तक पंहुचने के लिए 2018 से 2020 तक एकत्रित डाटा का उपयोग किया था। शोधकर्ताओं की टीम ने केवल सम्बंधित युवाओं से प्रहसन किये बल्कि उनके माता-पिता से भी प्रश्न किये गए। उनके अनुसार इस सम्बन्ध में आगे के शोध अन्य कारकों पर रोशनी डाल सकते हैं जो युवाओं में नींद की बीमारी पैदा कर रहे हैं और बढ़ावा दे रहे हैं।

क्या कहता है WHO?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी एक अध्ययन के बाद माना कि समलैंगिक युवाओं में नींद की समस्या होने की संभावना दोगुनी होती है। इस अध्ययन में, समलैंगिक युवाओं के 2.5 गुना ज्यादा लोगों में नींद की समस्या की रिपोर्ट की गई थी। इससे स्पष्ट होता है कि समलैंगिक युवाओं को नींद की समस्या होने की संभावना अधिक होती है।

इसके विषय में कुछ मुख्य कारण हो सकते हैं जैसे कि दुख, स्ट्रेस और चिंता, सामाजिक उत्पीड़न या अलगाव, जैसे कि अकेलापन या परिवार द्वारा अस्वीकृति। अगर कोई समलैंगिक युवा नींद की समस्या से ग्रस्त है, तो उन्हें एक चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। अन्य मार्गदर्शन के रूप में, वे अपनी दिनचर्या में संशोधन कर सकते हैं, जैसे कि समय पर सोने और उठने की आदत, नींद से पहले ध्यान आदि।

कौन होते हैं समलैंगिक अथवा 'गे'


"गे" शब्द का उपयोग लैंगिक आवेदनों को जानकारी के रूप में देने के लिए किया जाता है। इस शब्द का अर्थ होता है कि व्यक्ति जो पुरुषों से प्यार करता है या उनसे समलैंगिक रिश्ते रखता है। इसे "होमोसेक्सुअल" के नाम से भी जाना जाता है। समलैंगिक व्यक्ति भी सामान्य मानव होते हैं, जो अपने लैंगिक आवेदनों के बारे में स्वतंत्र हैं। इसलिए, हम सभी के लिए समान रूप से विचार करना चाहिए और समलैंगिकों के संबंधों को समानता के साथ स्वीकार करना चाहिए।

विश्व भर में समलैंगिकों की संख्या


विश्व भर में समलैंगिकों की सटीक संख्या का पता लगाना मुश्किल है क्योंकि कुछ देशों में इस विषय पर सटीक आंकड़े नहीं हैं और कुछ देशों में ऐसे समलैंगिक व्यक्ति होने के बारे में खुलेआम बात नहीं की जाती है। इसलिए, समलैंगिकों की सटीक संख्या के बारे में आंकड़ों की गणना करना मुश्किल होता है।

कुछ अनुमानों के अनुसार, विश्व भर में समलैंगिक आवेदन रखने वाले लोगों की संख्या लगभग 5 से 10 प्रतिशत के बीच हो सकती है। यह आंकड़ा विभिन्न देशों में भिन्न हो सकता है और इसमें समलैंगिकता के संदर्भों के बारे में खुलेआम बात करने वाले लोगों की संख्या का भी अंश शामिल होता है।

हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि हम समलैंगिक समुदाय के सदस्यों के अधिकारों को समझें और उन्हें समानता के साथ व्यवहार करें।

समलैंगिकों की समस्या


समलैंगिकों को अक्सर अलगाववाद, असंतोष और अलग-थलग की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक समस्याओं में इनमें से कुछ शामिल होती हैं।

यहाँ कुछ सामान्य समस्याएं बताई गई हैं:

भेदभाव और असंतोष:

समलैंगिक व्यक्तियों को भेदभाव और असंतोष का सामना करना पड़ता है। उन्हें समाज के नियमों और आदर्शों के खिलाफ लड़ना पड़ता है जो अक्सर समलैंगिकता को अस्वीकार करते हैं।

मानसिक समस्याएं:

समलैंगिक व्यक्तियों को अक्सर दुख और असंतोष का सामना करना पड़ता है। वे अक्सर अपनी पहचान को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं और इस बात को छिपाने की कोशिश करते हैं।

समाज में स्थिति:

समलैंगिक व्यक्तियों को अक्सर समाज के नियमों और आदर्शों के खिलाफ लड़ना पड़ता है। उन्हें अक्सर अलग थलग कर दिया जाता है और वे समाज के साथ जुड़ नहीं पाते हैं।

उत्पीड़न और उत्पीड़ित करना:

समलैंगिक लोगों को उत्पीड़न और उत्पीड़ित करने का सामना करना पड़ता है। यह जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है और इनके मानसिक स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालता है।

संबंधों की मान्यता:

कुछ समुदायों और संस्थाओं में समलैंगिक संबंधों की मान्यता नहीं होती है और इससे वे समाज से अलग हो जाते हैं। इससे उनका स्वास्थ्य और सामाजिक जीवन प्रभावित होता है।

लैंगिक असंतुलन:

समलैंगिक संबंधों में, दोनों व्यक्तियों के लिए लैंगिक असंतुलन होता है। यह शारीरिक समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है जैसे शरीर में दर्द, लक्षण या विकार।

स्वास्थ्य समस्याएं:

समलैंगिक लोग अपनी संभावित जटिल सामाजिक स्थिति के कारण दिमागी तनाव, अवसाद तरह से त्रस्त रहते हैं।

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