Yoga In Summer Season: गर्मियों में डिहाइड्रेशन से बचाता है योग अन्य भी कई बिमारियों को रखता है दूर , जानिये कैसे करें

Yoga In Summer Season: योग के प्राणायाम और आसनों की मदद से शरीर के ऊर्जा स्तर को बढ़ाया जा सकता है और संतुलित जीवन जीने की कला सीखी जा सकती है। योग करने से आप जीवन को संतुलित बनाने की कला सीखते हैं और इससे आपके जीवन में सुधार होता है।निरंतर रूप से योग के अभ्यास करने से आप वजन को कम करने में सफल हो सकते हैं।

Update:2023-04-13 10:30 IST
Yoga In Summer Season (Image credit: social media)

Yoga In Summer Season: योग शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। योगासनों की मदद से शारीर को लचीलापन दिलाया जा सकता है और समय के साथ साथ शारीर के समस्त अंग और उपदंशों की सुधार होती है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी योग बहुत फायदेमंद होता है। योग करने से तनाव और चिंता कम होती है और मानसिक स्थिति में सुधार होता है।
बता दें कि योग के प्राणायाम और आसनों की मदद से शरीर के ऊर्जा स्तर को बढ़ाया जा सकता है और संतुलित जीवन जीने की कला सीखी जा सकती है। योग करने से आप जीवन को संतुलित बनाने की कला सीखते हैं और इससे आपके जीवन में सुधार होता है।निरंतर रूप से योग के अभ्यास करने से आप वजन को कम करने में सफल हो सकते हैं।

गर्मियों में कई बिमारियों को दूर रखता है योग

हालाँकि योग तो हर मौसम में फायदेमंद माना जाता है। लेकिन आमतौर पर गर्मियों में योग करना किसी दवा से कम नहीं है। बता दें कि योग एक ऐसी विधा है जो आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत को बढ़ाने में मदद करती है। गर्मियों में योग करना आपके शरीर को शीतल रखने में मदद कर सकता है जिससे आप गर्मियों की बीमारियों से बच सकते हैं।

निम्नलिखित योगासन आपको गर्मियों में डिहाइड्रेशन से बचने में मदद कर सकते हैं:

ताड़ासन (Tadasana) -

ताड़ासन एक योगासन है जो शारीरिक और मानसिक स्थिरता विकसित करने के लिए किया जाता है। पेड़ की तरह खड़े होकर श्वास लें।इस आसन को माउंटेन पोज (Mountain Pose) भी कहा जाता है। ताड़ासन को स्थिर खड़े होकर किया जाता है, जिससे शरीर के सभी अंग अच्छी तरह से सक्रिय होते हैं।

कैसे करें ताड़ासन :

एक सीधी जमीन पर खड़े हों। अपने पैरों को समान रूप से फैलाएं और अपने बाएं पैर के अंगूठे को अपने दाहिने पैर के अंगूठे से मिलाएं।
धीरे-धीरे अपने हाथों को ऊपर उठाएं ताकि आपके बाजू सीधे ऊपर की ओर हों।
अब अपने शरीर को उठाएं, अपनी साँसें लंबी करें और अपने शरीर को सीधा बनाएं।
अपने पैरों के बीच का बढ़बड़ाव कम करें ताकि आप स्थिर खड़े हो सकें।
अपने सिर को सीधा रखें और अपनी नाभि को सामने की ओर खींचें।
इस स्थिति में 5-10 सेकंड रुकें, फिर अपनी साँसें छोड़ें और अपने हाथ नीचे करें।

ताड़ासन करने के लाभ :

ताड़ासन करने से शरीर के सभी अंगों में स्थिरता विकसित होती है और संतुलित रहता है।
यह आसन शरीर के सभी अंगों की मांसपेशियों को विकसित करता है जो शरीर को स्वस्थ और फिट रखते हैं।
ताड़ासन एक मानसिक शांति और स्थिरता भी विकसित करता है जिससे तनाव कम होता है।
ताड़ासन करने से श्वासनली की मांसपेशियों का विकास होता है जो श्वसन तंत्र को मजबूत बनाता है।
ताड़ासन शरीर के साइड एफेक्ट्स को कम करता है जैसे कि मांसपेशियों में दर्द, गैस, कब्ज आदि।
ताड़ासन करने से शरीर के अंगों के बीच पोषण का संतुलन बना रहता है जो आपको स्वस्थ रखता है।

वृक्षासन (Vrikshasana) -

वृक्षासन एक प्राचीन योगासन है, जो ध्यान और स्थिरता के विकास के साथ-साथ शारीरिक लाभ भी देता है।

कैसे करें वृक्षासन (Vrikshasana) :

पैर की उंगलियों को मिलाकर खड़े हो जाएं।
अब बाईं पैर की एड़ी को दाहिने जांघ के ऊपर टिकाकर उस पर बैठ जाएं।
अब दाहिने पैर को उठाकर बाईं जांघ पर टिकाकर उस पर बैठ जाएं।
इस समय आपके पैरों के तले एक दूसरे से थोड़ी दूरी होनी चाहिए।
अपने नाभि को अपनी शरीर के केंद्र में रखें और अपने हाथों को आपस में जोड़ें।
अपने शरीर को स्थिर रखें और दृष्टि को एक स्थान पर ध्यान केंद्रित करें।

वृक्षासन करने के लाभ:

वृक्षासन शरीर के संतुलन को बढ़ाता है और स्थायित्व बढ़ाने में मदद करता है। इस आसन को नियमित रूप से करने से आप अपने संतुलन क्षमता को सुधार सकते हैं।
वृक्षासन को करने से आपके पैरों की मांसपेशियों को टोन करने में मदद मिलती है। इस आसन से आपके पैर, जांघ और कमर की मांसपेशियों का विकास होता है।
वृक्षासन को करने से आपके मन में शांति की भावना आती है और तनाव कम होता है।
वृक्षासन को करने से आपकी पाचन शक्ति सुधारती है और शरीर की ऊर्जा को बढ़ाती है। इस आसन को नियमित रूप से करने से आप निरोगी रह सएक पैर को दूसरे पैर पर रखें और हाथों को ऊपर उठाएं।

उत्तानासन (Uttanasana) -

सीधे खड़े होकर अपने हाथों से अपने पैरों को छुएं। उत्तानासन (Uttanasana) एक प्रकार का फॉरवर्ड फोल्ड योग आसन है। इस आसन को करने के लिए, आपको अपने पैरों के साथ खड़े होना होता है, फिर आपको अपने ऊपरी शरीर को नीचे करना होता है ताकि आपका सिर अपनी जांघों से लगा होता है। यह आसन पूर्णतः उत्तान करने वाले होते हैं जो इसे एक संलग्न और संयुक्त व्यायाम के रूप में करते हैं।

कैसे करें उत्तानासन (Uttanasana)

सबसे पहले, आप एक स्थिर और फ्लैट सतह पर खड़े हों। आपके पैर हफ्तों की दूरी के बराबर होनी चाहिए और आपके हाथों को ज़मीन पर रखना चाहिए।
अपनी सांसें धीमी करें और फिर अपने ऊपरी शरीर को नीचे करें ताकि आपका सिर अपनी जांघों से लगा हो। आप अपने कंधों को अपनी कानों से जोड़ सकते हैं।
धीमी रफ्तार से नीचे झुकें। अगली सांस लेते समय अपने ऊपरी शरीर को नीचे और नीचे करते जाएं। यदि आप चाहते हैं, तो आप इस आसन को दोहराने के लिए अपने शरीर को दोहरा सकते हैं।
अब अपनी सांस को बाहर करें और अपने शरीर को सीधा करें। आप इस आसन को कुछ समय तक रोक सकते हैं या फिर आप अधिक आराम के लिए इसे छोड़ सकते हैं।

उत्तानासन करने के लाभ :

उत्तानासन को करने से पीठ में दर्द कम होता है। इस आसन को करने से पीठ में संकट की स्थिति को दूर करने में मदद मिलती है।
उत्तानासन को करने से आप अपने मन को शांत करते हैं और स्ट्रेस को कम करते हैं। इस आसन को नियमित रूप से करने से आप अपने मन को शांत करने के लिए एक नियमित और निरंतर व्यायाम के रूप में शामिल कर सकते हैं।
उत्तानासन को करने से आपकी पाचन शक्ति मजबूत होती है। इस आसन को करने से आप अपने शरीर को इसे जल्दी से

वज्रासन (Vajrasana) -

अपने घुटनों पर बैठें और अपने हाथों को अपनी जांघों पर रखें।वज्रासन एक योगासन है जो भारतीय संस्कृति में अनेक सालों से अभ्यास किया जाता है। इस आसन के दौरान आप अपने घुटनों के ऊपर बैठते हैं जो आपके पेट, पीठ, और जांघों को मजबूत बनाता है।

कैसे करें वज्रासन:

एक सफ़ेद चादर या ज़मीन पर बैठें। अपने पैरों को आगे की ओर बढ़ाएँ और अपनी बैठने की जगह को खाली छोड़ें।
अपने घुटनों को फोल्ड करके अपने बैठने की जगह पर लाएं। अपने पैरों की उंगलियों को एक दुसरे से छोटे करें।
अपनी पीठ को सीधा रखें और अपनी ऊंचाई को अपने घुटनों के ऊपर स्थानांतरित करें। आपका वजन आपके घुटनों पर होना चाहिए।
आपके हाथ पैरों के साथ एकजुट होना चाहिए और आपके पल्म अपनी बैठने की जगह के साथ सीधे होने चाहिए। आप अपने हाथों को अपने जांघों पर भी रख सकते हैं।
अपनी आंखें बंद करें और गहरी सांस लें। आप इस स्थिति में कुछ समय तक बैठे रहें।

वज्रासन करने के लाभ

वज्रासन पाचन क्रिया को सुधारता है जिससे भोजन का अवशोषण अच्छी तरह से होता है। इससे पाचन क्रिया को मजबूत बनाया जाता है और स्वस्थ आहार प्राप्त करने में मदद मिलती है।
वज्रासन ध्यान करने के लिए बहुत उपयुक्त होता है जो शांति के अनुभव को बढ़ाता है। इस आसन को नियमित रूप से करने से मन कम उतावला होता है और शांति का अनुभव होता है।
वज्रासन करने से घुटनों, पीठ और पैरों को मजबूती मिलती है जो दैनिक जीवन में काम आती है। इस आसन को नियमित रूप से करने से घुटनों और पैरों की बल से जुड़ी समस्याओं से राहत मिलती है।
वज्रासन करने से ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाया जाता है जो शरीर में नया रक्त संचार प्रदान करता है।

शवासन (Shavasana) -

अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें और श्वास लें।शवासन योग का एक आसन है जो शरीर को संगठित और नियंत्रित बनाए रखने में मदद करता है। इस आसन को मृत्युशैली या मृतक व्यक्ति की तरह लेटकर किया जाता है। शवासन को ध्यानाभ्यास के अंत में किया जाता है जब शरीर का तापमान नॉर्मल होता है और ध्यान की स्थिति में आता है।

कैसे करें शवासन योग

शवासन योग आसान होता है और आप इसे घर में आसानी से कर सकते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ आसान चरण जो आपको शवासन योग करने में मदद करेंगे:
पहले एक सुखासन में बैठें। आप एक योग मैट या एक दरी का उपयोग कर सकते हैं।
अपने स्थान को सुधारने के लिए यदि आवश्यक हो तो एक तकिया या रोल डालें। यह आपके पीठ को संरक्षित रखेगा।
अपने दोनों हाथों को शरीर के दोनों पास रखें, अपने पैरों को थोड़ा फैलाएं और साँस लें।
अपने हाथों और पैरों को धीरे से छोड़ें और खुले हाथ उँगलियों को धीरे से हिलाएं ताकि आप ध्यान केंद्रित कर सकें।
अपने सांस नियंत्रित करें और ध्यान लगाने के लिए अपने आसपास के ध्वनि और बाहरी तत्वों को नजरअंदाज करें। ध्यान देने के लिए आप कुछ मन्त्र जैसे "शांति" या "स्वस्थ" का उपयोग कर सकते हैं।
शवासन में लगातार 5 से 10 मिनट तक रहें। समय के बाद, धीरे से अपने पैरों को फैलाएं, अपन

शवासन करने के लाभ:

शवासन करने से शरीर का तनाव कम होता है जो मानसिक स्थिति को शांत करता है।
शवासन में रहकर मन को शांति मिलती है जो चिंताओं और तनाव से मुक्ति प्रदान करता है।
शवासन करने से शरीर में संचित एसिड कम होता है जो सूजन को कम करता है।
शवासन सबसे आसान आसन होता है जो कि ध्यान और शांति प्रदान करता है। यह सबसे कम शक्ति वाला आसन होता है जिसे सभी उम्र के लोग कर सकते हैं।
शवासन करने से शरीर को ठंडक मिलती है जिससे अच्छी नींद आती है।

शीतली प्राणायाम:

यह प्राणायाम शरीर की तापमान को कम करने में मदद करता है। इसके लिए, आप अपनी जीभ को आगे की ओर निकालें और श्वास छोड़ते समय उसे अपने मुंह से होंठों के बीच निकालें। इसे 10-15 बार दोहराएं।

शीतली प्राणायाम कैसे करें

पहले सुखासन में बैठें या अपनी पसंद के किसी अन्य आसन में बैठें। आप अपनी सुविधा के अनुसार एक योग मैट या एक दरी का उपयोग कर सकते हैं।
शांत और समय से शुरू करने के लिए कुछ गहरी साँस लें।
अपने जीभ को बाहर निकालें ताकि आप जल के समान श्वसन कर सकें। आपके होंठ समेत आपके पूरे चेहरे को फुला होना चाहिए।
अब अपने होंठों से एक सुराही बनाकर जल को अंतिम तक निचे की ओर खींचें। इस प्रक्रिया में आपके नाक से श्वसन अंतिम तक नहीं जाना चाहिए।
श्वसन आराम से और धीमे धीमे लें। श्वसन निकालते समय अपने बाहर निकले हुए होंठों से जीभ को अंतिम तक लाएं।
इस प्रक्रिया को 5 से 10 मिनट तक दोहराएं।
शीतली प्राणायाम के बाद ध्यान करें।

शीतली प्राणायाम करने के लाभ

शीतली प्राणायाम से शरीर की गर्मी कम होती है और शरीर शीतल होता है। इसलिए यह गर्मियों में बहुत उपयोगी होता है।
यह प्राणायाम मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है और मानसिक तनाव को कम करता है।
शीतली प्राणायाम उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी होता है जो उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं।
यह प्राणायाम श्वसन प्रणाली को सुधारता है और श्वसन में सुधार आता है।
इस प्रक्रिया से त्वचा स्वस्थ और चमकदार होती है।
यह प्राणायाम अन्य प्राणायामों के साथ भी किया जा सकता है जैसे कि नाडी शोधन प्राणायाम आदि।
इस प्राणायाम को नियमित रूप से करने से आपकी श्वसन प्रणाली को सुधार मिलता है जिससे आपकी संभावना बढ़ती है कि आप संक्रमण से बचें।

भुजंगासन (Cobra Pose):

भुजंगासन एक प्रकार का योगासन है जो शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है। इस आसन को ध्यान से करने से शरीर की कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है। यह आसन बनाने में आसान होता है और सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है पीठ के लिए। इस आसन को करने से पीठ की मांसपेशियों की मजबूती बढ़ती है जो पीठ के दर्द और अन्य समस्याओं से राहत प्रदान करता है। इसके अलावा, यह आसन पेट, पसलियों, हृदय और फेफड़ों को भी मजबूत करता है।

ध्यान दें

इन योगासनों को करने से पहले आपको अपने शरीर के अनुसार अपने योग गुरु से परामर्श करना चाहिए।

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