70 प्रतिशत एड्स के मरीज हैं अविवाहित: सेक्सोलॉजिस्ट

Update: 2018-12-01 11:23 GMT

स्वाति प्रकाश

लखनऊ: एड्स की चपेट में आने वाले आधे से अधिक लोग ऐसे हैं जिनकी शादी नहीं हुई है। जाहिर है कि बाहर अनसेफ सेक्स (असुरक्षित यौन संबंध) के कारण वह इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। लखनऊ के मशहूर सेक्सोलॉजिस्ट डॉ एसके जैन ने बताया कि उनके पास आए दिन एड्स से पीड़ित मरीज आते हैं। इनमें ज्यादा लोग 18 से 30 साल के बीच के होते हैं। इनमें ज्यादा संख्या अविवाहित लोगों की है।

अनसेफ और आउटसाइड सेक्स है मुख्य कारण

डॉ जैन बताते हैं कि उनके पास आने वाले 18 से 30 साल के लोग कम उम्र में ही सेक्स एक्टिविटी में शामिल हो जाते हैं। कम उम्र की नासमझी में यह सेफ सेक्स (सुरक्षित यौन संबंध) को तवज्जो नहीं देते। पेड सेक्स करने से यह सभी एड्स की गिरफ्त में आ जाते हैं। चिंता की बात यह है कि शादी से पहले ऐसी चीजें उन्हें इस गंभीर बीमारी की तरफ धकेल रही हैं।

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युवाओं को मॉरल टीचिंग की है जरूरत

डॉ जैन कहते हैं कि युवाओं को मॉरल टीचिंग की ज़रूरत है ताकि वह सेक्स जैसी गंभीर चीज को हल्के में न लें और इसके प्रति सावधानी बरतें। साथ ही उन्हें यह समझने की जरूरत है कि सेफ सेक्स (सुरक्षित यौन संबंध) से ही इस बीमारी से दूर रहा जा सकता है।

एचआईवी और एड्स में है फर्क

एड्स को आप एचआईवी इन्फेक्शन की अगली स्टेज की तरह समझ सकते हैं। एचआईवी एक वायरस है, जो शरीर के इम्यून सिस्टम को बेहद कमजोर बना देता है। अगर सही समय पर एचआईवी का इलाज शुरू न किया जाए या एचआईवी का पता ही ना चले तो शरीर में इंफेक्शन बढ़ने लगते हैं। फिर ये एड्स बन जाता है।

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समय पर पहचानें लक्षण

डॉक्टर्स कहते हैं कि इस बीमारी के आरंभिक लक्षणों को पहचानना मुश्किल होता है। पर अगर आप सावधान हों तो ये संभव है। ये संक्रमण होने पर आपको बुखार होता है। लगातार थकान की शिकायत रह सकती है। सिर में लगातार दर्द रहना, गला खराब रहना भी इस गंभीर बीमारी का एक लक्षण हो सकता है। तेजी से वजन घटने लगे तो सतर्क रहें।

एचआईवी से हो सकता टीबी का खतरा

एचआईवी के कारण टीबी का खतरा काफी बढ़ जाता है। वर्ष 2012 में एचआईवी संक्रमित करीब तीन लाख 32 हजार लोगों की मौत टीबी से हुई। यह उस वर्ष दुनिया में एचआईवी से होने वाली कुल मौतों का बीस प्रतिशत था। अगर आपको कई हफ्तों से खांसी आ रही है तो टीबी ही नहीं आपको एचआईवी भी हो सकता है। अब तक टीबी के जितने भी मरीजों की जांच हुई है उनमें से 40 फीसदी में एचआईवी की पुष्टि भी हुई है। इसलिए लंबी खांसी और खांसी के साथ बलगम में आने वाले खून को कभी भी हल्के में न लें। यह गंभीर बीमारी का संकेत है।

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क्या है रेड रिबन का इतिहास

एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम, जो यूएन एड्स के रूप में भी जाना जाता है, वर्ष 1996 में प्रभाव में आया और दुनिया भर में इसे बढ़ावा देना शुरू कर दिया गया। एक दिन मनाये जाने के बजाय, पूरे वर्ष बेहतर संचार, बीमारी की रोकथाम और रोग के प्रति जागरूकता के लिये विश्व एड्स अभियान ने एड्स कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए वर्ष 1997 में यूएन एड्स शुरु किया। विश्व एड्स दिवस को 2007 के बाद से व्हाइट हाउस द्वारा एड्स रिबन का एक प्रतिष्ठित प्रतीक देकर शुरू किया गया था। एड्स रिबन का प्रतीक 2007 मे व्हाइट हाउस द्वारा दिया गया।

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