Motiyabind Ka Ilaj: बिना ऑपरेशन भी हो सकता है मोतियाबिंद का इलाज, जानें ये 3 आयुर्वेदिक उपाय

Cataract Treatment In Ayurveda: वैसे तो ज्यादातर लोग मोतियाबिंद के लिए ऑपरेशन को ही सही इलाज बताते हैं, लेकिन आयुर्वेद में बिना ऑपरेशन भी इसका इलाज किया जा सकता है।

Written By :  Shreya
Update:2024-09-16 07:00 IST

Motiyabind (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Motiyabind Ka Ilaj Gharelu: मोतियाबिंद (Cataract), आंख से जुड़ी एक आम समस्या है, जो ज्यादातर बढ़ती उम्र के साथ विकसित होती है। इसके अलावा आज के समय में कम उम्र के लोग भी इस परेशानी से जूझ रहे हैं। यह समस्या एक साथ दोनों आंखों में हो सकती है। मोतियाबिंद के चलते आंखों की रोशनी धुंधली हो सकती है या दृष्टि जा भी सकती है। मोतियाबिंद दुनियाभर में वयस्कों में अंधेपन का प्रमुख कारण है। वैसे तो ज्यादातर लोग मोतियाबिंद के लिए ऑपरेशन को ही सही इलाज (Motiyabind Treatment) बताते हैं, लेकिन आयुर्वेद में बिना ऑपरेशन भी इसका इलाज किया जा सकता है। आइए जानते हैं मोतियाबिंद को ठीक करने के कुछ आयुर्वेदिक उपाय।

मोतियाबिंद क्या होता है (Motiyabind Kya Hota Hai In Hindi)

सबसे पहले हम ये जान लीजिए कि मोतियाबिंद आपकी आंख के लेंस में परिवर्तन के कारण होता है। यह तब विकसित होता है जब लेंस में प्रोटीन क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और आपस में चिपक जाते हैं। इससे लेंस से होकर आपके रेटिना तक पहुंचने वाली रोशनी की मात्रा कम हो जाती है। यह एक या दोनों आंखों में हो सकता है। इसका मुख्य कारण उम्र का बढ़ना और पराबैंगनी (यूवी) प्रकाश के संपर्क में आना है। इसके अलावा अन्य कारणों की वजह से भी इस बीमारी का शिकार बना जा सकता है।

आयुर्वेद में मोतियाबिंद का इलाज (Ayurvedic Treatment For Cataract In Hindi)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

आमतौर पर आपने लोगों को यही कहते सुना होगा कि मोतियाबिंद में ऑपरेशन कराना ही पड़ता है। लेकिन आयुर्वेद में बिना ऑपरेशन के भी मोतियाबिंद का उपचार किया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, मोतियाबिंद को तिमिरा कहा जाता है, जो दोष असंतुलन से उत्पन्न होता है। आइए जानते हैं मोतियाबिंद को ठीक करने के कुछ आयुर्वेदिक तरीके।

1- महा त्रिफला घृता (Maha Triphala Ghrita)

महा त्रिफला घृता मोतियाबिंद से छुटकारा पाने के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद और कारगर आयुर्वेदिक उपाय है। लेकिन यह उपाय ज्यादातर प्रारंभिक चरणों में ही उपयोगी है। इसकी मुख्य सामग्री त्रिफला और गाय का घी है। त्रिफला आंखों की नसों और ऊतकों को पोषण देने के साथ-साथ मजबूत बनाने में मदद करता है, जबकि गाय का घी बढ़े हुए वात को स्थिर करता है। यह आमतौर पर दूध के साथ खाया जाता है।

2- त्रिफला (Triphala Choorna)

त्रिफला आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है और आंखों से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। यह आमला, बिभीतकी और हरिताकी का एक संयोजन होता है। इस मिश्रण का दो तरह से इस्तेमाल किया जाता है- आंखों को धोने और पीने के लिए। इसके लिए रातभर के लिए एक गिलास पानी में 1 बड़ा चम्मच त्रिफला पाउडर भिगोएं और सुबह अपनी आंखों को धोने के लिए इस पानी का उपयोग करें।

3- चंद्रोदय व्रती (Chandrodaya Varti)

इसके अलावा आयुर्वेद में मोतियाबिंद के लिए चंद्रोदय व्रती को भी असरदार इलाज माना जाता है। इससे मोतियाबिंद की गंभीर अवस्था का इलाज भी संभव हो सकता है। इसे आंखों में आसानी से लगाया जा सकता है। इसे आंखों में लगाने पर यह रक्त संचार को बढ़ावा देता है। साथ ही लेंस में जमा प्रोटीन को घोलने में मदद करता है।

मोतियाबिंद से बचने के आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic Tips To Prevent Cataract In Hindi)

1- अपने दैनिक आहार में घी को शामिल करें।

2- रोगियों को मोतियाबिंद को बिगड़ने से रोकने के लिए नियमित रूप से गाय का दूध और डेयरी उत्पादों का सेवन करना चाहिए।

3- अचार, स्ट्रॉन्ग टी, ब्लैक कॉफी, सॉस आदि जैसे खाद्य पदार्थों और अन्य कड़वे व खट्टे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें।

4- संतरे, सेब, अनार जैसे विटामिन सी से भरपूर फल खाएं।

5- पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्जियों को डाइट में शामिल करें।

6- धूम्रपान की आदत को छोड़ें।

7- विटामिन ई के अच्छे स्रोत जैसे सूरजमुखी के बीज, बादाम और पालक जैसी चीजों को खाएं।

नोट- यह खबर सामान्य जानकारी पर आधारित है। इन उपायों और सुझावों पर अमल करने से पहले संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।

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