Depression Ke Lakshan: कहीं आपका बच्चा तो नहीं जूझ रहा डिप्रेशन से, इन लक्षणों से पहचानें
Bacho Me Depression Ke Lakshan: पढ़ाई की टेंशन, स्कूल में बुली होना, शोषण, चोट, घरेलू हिंसा, प्रारम्भिक जीवन में हानि समेत कई चीजें बच्चों के डिप्रेशन की वजह हो सकती हैं।
Bacho Me Depression Ke Lakshan: डिप्रेशन यानी अवसाद (Depression) की समस्या आजकल तेजी से बढ़ रही है। न केवल बड़े बल्कि बच्चे भी अवसाद (Childhood Depression) का शिकार हो रहे हैं। डिप्रेशन की वजह से सुसाइड करने वाले लोगों की भी संख्या में वृद्धि हुई है। युवा वर्ग में डिप्रेशन और आत्महत्या के मामले बढ़ना भविष्य का बड़ा संकट बन सकता है। खासतौर से टीनएज ग्रुप (Teenage Group) यानी 13 से 19 साल के उम्र के बच्चों में एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियां (Mental Health Illness) काफी देखने को मिल रही हैं। पढ़ाई की टेंशन, स्कूल में बुली होना, शोषण, चोट, घरेलू हिंसा, प्रारम्भिक जीवन में हानि समेत कई चीजें बच्चों के डिप्रेशन की वजह (Baccho Ke Depression Ki Wajah) हो सकती हैं।
सबसे बड़ी बात ये है कि वह खुद अपनी इस समस्या को समझ नहीं पाते हैं और न ही अपने मन की स्थिति किसी से शेयर कर पाते हैं। ऐसे में पैरेंट्स के लिए बच्चे के अवसाद में होने का पता लगाना काफी ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जाता है। यह स्थिति बच्चे के लिए भी बिल्कुल आसान नहीं होती, क्योंकि उन्हें खुद नहीं पता होता कि उनके मन में चल क्या रहा है और वह ऐसा क्यों महसूस कर रहे हैं? लेकिन डिप्रेशन में होने पर बच्चों में ऐसे कई बदलाव होते हैं, जिन पर ध्यान देकर मां-बाप अपने बच्चे के डिप्रेशन में होने का पता लगा सकते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, ऐसे लक्षणों के बारे में, जो डिप्रेशन (Depression) की ओर इशारा करते हैं।
बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण (Childhood Depression Symptoms)
1- उदास रहना
डिप्रेशन के प्रमुख लक्षणों में उदासी (Sadness) शामिल है। अगर आपका बच्चा हर समय उदास रहता है और अकेले ही रहना पसंद करता है, तो ये लक्षण अवसाद के हो सकते हैं। इसके अलावा चिड़चिड़ा होना, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाना या हद से ज्यादा मूड स्विंग्स (Mood Swings) होना भी इसकी वजहें हो सकती हैं। ऐसे में अपने बच्चे के इस बिहेवियर को इग्नोर बिल्कुल न करें।
2- नींद कम आना
तनाव का असर व्यक्ति के स्लीपिंग पैटर्न (Sleeping Pattern) पर भी पड़ता है। या तो वह बहुत कम सोता है या फिर जरुरत से ज्यादा। अगर आपके बच्चे के भी स्लीपिंग पैटर्न में बदलाव आया है और वह रात-रातभर जागता रहता है तो तुरंत सचेत होने की जरुरत है।
3- सही से न खाना
अगर किसी बात की चिंता सता रही है तो सबसे पहले लोग खाने से मुंह फेरने लगते हैं। डिप्रेशन (Depression) में भी ऐसा ही होता है। लोग सही से खाते-पीते नहीं हैं। अगर आपका बच्चा भी लंबे समय तक अच्छे से खा पी नहीं रहा है तो समझ जाइये कि ये डिप्रेशन के ही लक्षण हैं।
4- किसी चीज में मन न लगन
यह भी टीनएज डिप्रेशन (Teenage Depression) का एक लक्षण है। डिप्रेशन में बच्चों का किसी भी चीज में मन नहीं लगता है। यहां तक कि वो अपने फेवरेट काम भी करना छोड़ देते हैं। साथ ही अकेले रहना पसंद करने लगते हैं। इसके अलावा अगर आपका बच्चा अकेले में खुद से ही सवाल जवाब करने लगे तो ये आदत भी डिप्रेशन की ओर इशारा करती है।
5- पढ़ाई पर असर पड़ना
अगर बच्चे डिप्रेशन का शिकार हैं तो इससे उनकी पढ़ाई (Study) भी प्रभावित होती है। वह अच्छा स्कोर नहीं कर पाते हैं और कई बार फेल भी हो जाते हैं। अगर आपके बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है तो भी उनपर ध्यान देने की जरुरत है।
6- लोगों से न मिलना जुलना
मानसिक बीमारी से गुजर रहे बच्चे अचानक लोगों से मिलना-जुलना बंद कर देते हैं या फिर किसी से मिलने में कतराने लगते हैं। ऐसे में इस लक्षण पर ध्यान देने की जरुरत है।
कैसे निकालें डिप्रेशन से (Child Depression Treatment)
अगर आपका बच्चा डिप्रेशन में है तो सबसे पहले आपको ही उसकी स्थिति समझनी होगी। मां-बाप का साथ बच्चे के लिए बहुत ज्यादा अहम रखता है। आपका प्यार, आपकी ओर से दी जाने वाली सांत्वना उसे हील करने और डिप्रेशन से निकालने में मदद करेगी। आइए जानते हैं ऐसे कुछ टिप्स जिससे आप अपने बच्चे को जल्द से जल्द डिप्रेशन से निकाल पाएंगे।
1- बच्चों से करें बात
सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप अपने बच्चे के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें और एक फ्रेंड की तरह उससे बात करें। इससे वह आपसे अपनी प्रॉब्लम्स के बारे में खुलकर बात कर सकेगा। रोजाना उससे उसके दिन के बारे में पूछें, उसके फेवरेट खाने, हॉबी से जुड़ी चीजों के बारे में बात करें। साथ ही अपने लाइफ एक्सपीरिएंस भी शेयर करें। इससे वह मोटिवेट होगा और इस स्थिति से उबरने की कोशिश करेगा।
2- बाहर घुमाने ले जाएं
अपने बच्चे को ऐसी स्थिति में बिल्कुल भी अकेला न छोड़ें। अपने बिजी शेड्यूल में से समय निकालकर उसके साथ घूमने जाएं। पैरेंट्स के बिजी लाइफ से बच्चे काफी प्रभावित होते हैं। साथ ही उनमें अपनत्व का भाव भी खत्म हो जाता है। ऐसे में अपने बच्चे को फील कराएं कि आप उनके साथ हैं और सबकुछ ठीक हो जाएगा।
3- मोबाइल से रखें दूर
मोबाइल फोन बच्चों में अवसाद का एक बड़ा कारण बन गया है। ऐसे में अपने बच्चे को जितना हो सके मोबाइल से दूर रखें। इसके बजाय उन्हें आउटडोर गेम्स के लिए प्रेरित करें।
नोट- अगर कई कोशिशों के बाद भी उनमें कोई बदलाव न दिखे तो डॉक्टर से संपर्क करने की जरुरत है।
(यह खबर सामान्य जानकारी पर आधारित है। न्यूजट्रैक इसकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।)