Best Yoga Pose: ये एक योगा पोज पूरे शरीर की कराएगा कसरत, दूर भागेगा दर्द
Bhujangasana Kaise Kare: भुजंगासन (Bhujangasana), जिसे इंग्लिश में कोब्रा पोज (Cobra Pose) के नाम से जाना जाता है, एक बेहद ताकवर योगासन है। इसे करने से पूरे शरीर को फायदा मिलता है।
Yoga Pose For Full Body: भारत में योग (Yoga) का इतिहास बेहद पुराना है। योग भारत की संस्कृति का प्राचीन काल से ही हिस्सा रहा है। योग के जरिए पूरे शरीर को फिट रखा जा सकता है। आज के समय में कम उम्र में ही लोग कमर दर्द, पीठ दर्द, शोल्डर पेन जैसी तकलीफों का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में आज हम आपके लिए एक ऐसे योगा पोज की जानकारी लेकर आए हैं, जो आपके शरीर से लेकर मस्तिष्क तक को फायदा पहुंचाएगा।
हम बात कर रहे हैं भुजंगासन (Bhujangasana) की, जिसे इंग्लिश में कोब्रा पोज (Cobra Pose) के नाम से जाना जाता है। यह एक बेहद ताकवर योगासन है, जिसका अभ्यास सूर्य नमस्कार के एक हिस्से के रूप में किया जाता है। लेकिन इस मुद्रा को अलग से भी किया जा सकता है। आइए जानें इसके फायदे और करने का तरीका।
भुजंगासन के फायदे (Benefits Of Bhujangasana/Cobra Pose In Hindi)
बेस्ट योगा पोज में से एक भुजंगासन के कई सारे स्वास्थ्य लाभ (Bhujangasana Ke Labh) हैं। इसकी खास बात ये है कि हर उम्र के लोग इसका अभ्यास कर सकते हैं। इस योग से शारीरिक और मानसिक दोनों सेहत पर बढ़िया असर देखने को मिलता है।
1- कोब्रा पोज का अभ्यास करने से पीठ की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
2- भुजंगासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत और सीधा करता है।
3- यह योग तनाव को दूर कर, मानसिक स्थिति में सुधार करता है।
4- अनियमित मासिक धर्म की समस्या को दूर करने में भी यह मददगार साबित हो सकता है।
5- यह लचीलापन बढ़ाने और पेट को टोन करने में भी मदद करता है।
6- भुजंगासन रक्त परिसंचरण यानी ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने में मदद करता है।
7- पीठ दर्द से राहत दिलाने के लिए एक शानदार योग मुद्रा है।
8- इसे पाचन, लिवर और किडनी के कार्यों में सुधार करने वाला योगासन माना जाता है।
भुजंगासन करने का तरीका (Bhujangasana Karne Ka Tarika)
अब बात करते हैं कि इस योगासन को कैसे करना चाहिए (Bhujangasana Kaise Karna Chahiye)। सबसे पहले एक मैट पर पेट के बल लेट जाएं और पैरों के बीच में थोड़ी सी दूरी रखें। इसके बाद अपने हाथों को छाती के पास ले जाते हुए हथेलियों को नीचे टिका लें। अब गहरी सांस लेते हुए नाभि को जमीन से ऊपर उठाएं और आसमान की तरफ देखें। इस मुद्रा में कुछ सेकंड के लिए रहें, फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए शुरुआती मुद्रा में वापस आ जाएं।