Holi 2022: भांग बिना होली अधूरी: इसमें छुपा है सेहत का खज़ाना, पेशाब की समस्या के लिए है रामबाण

Holi 2022: होली के त्यौहार में भांग पीकर लोग मस्त हो जाते हैं और भांग के नशे में चूर लोग होली पर जमकर मस्ती करते हैं। लेकिन भांग और गांजा में बड़ा अंतर है, पौधे की नर प्रजाति को भांग और मादा प्रजाति को गांजा कहते हैं।

Report :  Preeti Mishra
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2022-03-11 22:16 IST

Holi 2022: होली (Holi 2022) का मौसम आ रहा है तो भांग की भी खूब याद आती है। इस दौरान मस्ती में चूर लोग भांग पीना जरूर पसंद करते हैं। भांग के नशे में चूर लोग होली पर जमकर मस्ती करते हैं। भांग एक ऐसा नाम जिसे सुनकर हमेशा नशे की ही बात याद आती है। जी हाँ, महादेव शिव शम्भू की पूजा में इस्तेमाल होने वाली अभिन्न सामग्रियों में से एक भांग भी है। मान्यता यह है भोले भंडारी को भांग अत्यंत प्रिय है। इसलिए उनके भक्त इसे प्रसाद के रूप में भी ग्रहण करते हैं।

सामान्यतः भांग को एक नशीला पदार्थ ही माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार दुनिया की क़रीब 2.5 फ़ीसदी आबादी यानी 14.7 करोड़ लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। सस्ता मिलने वाला नशीला पदार्थ होने के कारण दुनिया में इसका इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है।

भांग में होते हैं औषधीय गुण

भांग में सिर्फ नशा ही नहीं बल्कि कई औषधीय गुण (medicinal properties of cannabis) पाए जाते हैं। जिस कारण इसका इस्तेमाल दवा के रूप में भी किया जाता है। क्या आपको मालूम है कि यह नशीला पदार्थ हमारे शरीर की कई समस्याओं के लिए रामबाण साबित होता है। जी हां,चौकिये मत सेहत के कई फायदे छुपे है इस भांग में। भांग में कई औषधीय गुण के कारण इसका इस्तेमाल दवा के रूप में भी किया जाता है।

भांग के औषधीय गुण: Photo - Social Media 

कई लोगों में बार-बार पेशाब करने की समस्या बहुत ज्यादा होती है। कई बार अपनी इस समस्या की वजह से वो परेशान होने के साथ-साथ स्वयं को लज्जित भी महसूस करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है भांग इस समस्या को जड़ से ही ख़त्म कर देता है। दरअसल भांग में कन्नाबिनोइड नाम का एक तत्व पाया जाता है, जिससे पेशाब सम्बन्धी समस्या में बेहद राहत मिलती है। इसके अलावा और भी कई बीमारयों के लिए भांग काल के रूप में कार्य करता है।

- भांग सिरदर्द की समस्या से छुटकारा दिलाता है। भांग की कुछ पत्त‍ियों का अर्क निकालकर, इसकी कुछ बूंदे कान में डालने से सिरदर्द पूरी तरह से खत्म हो जाता है। बस ये ध्यान रखना है कि भांग का प्रयोग सिमित मात्रा में ही हो। कई बार अत्यधिक मात्रा में भांग पीने से भी सिरदर्द हो जाता है।

- भांग हमारे पाचन शक्ति को बेहद मज़बूती प्रदान करता है। इसमें मौजूद औषिधीये गुण हमारे हाज़मे को दुरुस्त करने के साथ -साथ पाचन शक्ति को मज़बूती देते हैं।

-इसमें कफ और पित्त जैसी जटिल समस्याओं को भी जड़ से ख़तम करने के गुण हैं।

-अनिंद्रा यानि नींद ना आने की परेशानी को भी भांग दूर कर देता है।

- मिर्गी की बीमारी की दवाओं में भांग का इस्तेमाल किया जाता है। मिर्गी दूर करने के लिए इसे काफी प्रभावशाली माना जाता है।

- गले की घरघराहट या जटिल खराश की परेशानी भी भांग से दूर हो जाती है।

- कई मानसिक बीमारियों में भी भांग का इस्तेमाल किया जाता है। जिन लोगों में एकाग्रता की कमी होती है, उन्हें डॉक्टर भांग के सही मात्रा में इस्तेमाल की सलाह देते हैं।

- भांग आपके यादाश्त की शक्ति को मजबूती प्रदान करता है। इतना ही नहीं यह आपके सीखने की क्षमता को भी बढ़ाता है। सही मात्रा में इसका प्रयोग हमें भूली हुई बातों को आसानी से याद दिलाने में मदद करती है।

- भांग की पत्तियों के रस को कान में डालने कान के दर्द से राहत मिलती है।

भांग के औषधीय गुण: Photo - Social Media 

- जिन लोगों को ज्यादा खांसी या पुरानी खांसी होती है उनके लिए भी भाग किसी वरदान से काम नहीं है। भांग की पत्तियों और पीपल की पत्ती को सुखा कर, काली मिर्च और सोंठ मिलाकर इसका सेवन करने से खांसी की समस्या दूर हो जाती है। भांग का इस्तेमाल हमारे यहाँ सदियों से होता आ रहा है। पूर्ण रूप से भारतीय पौधा होने के कारण इसका इस्तेमाल कई तरह की आयुर्वेदिक दवाइयों को बनाने में किया जाता है।

भांग और गांजा है एक लेकिन है ये बड़ा अंतर

अक्सर लोग भांग को नशीली वस्तु के रूप में ही समझते हैं। लेकिन, इसमें छुपे अनगिनत औषधीय गुण सेहत के लिए किसी ख़ज़ाने से कम नहीं हैं। पहाड़ी लोग भांग की पत्तियों का इस्तेमाल स्वादिष्ट चटनी बनाने में भी करते हैं। कई बार लोग भांग और गांजा (hemp and hemp) को अलग-अलग समझ जाते हैं। लेकिन बता दें कि ये दोनों एक ही पौधे की अलग-अलग प्रजातियां हैं। पौधे की नर प्रजाति को भांग और मादा प्रजाति को गांजा कहा जाता है। पौधे के फूल, पत्ती और जड़ को सुखा कर गांजा तैयार किया जाता है। जबकि पौधे की पत्तियों को पीसकर भांग तैयार किया जाता है। भारत में भांग का इस्तेमाल खुले तौर पर किया जा सकता है जबकि यहाँ गांजा प्रतिबंधित है।

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