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भारत के स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने कहा है कि जुलाई 2021 तक कोरोना वैक्सीन की 40 से 50 करोड़ खुराक पाने की योजना पर काम चल रहा है।
लखनऊ: कोरोना की वैक्सीन बहुत जल्द हमारी बीच होगी लेकिन हर इनसान को ये मिल सके, इसमें काफी समय लगेगा। भारत में तो 135 करोड़ की आबादी में मात्र 20 से 25 करोड़ लोग ही शुरुआत में वैक्सीन पा सकेंगे और वो भी जुलाई 2021 तक। ये भी उस उम्मीद के आधार पर कहा जा सकता है कि अगले साल की शुरुआत में एक या ज्यादा वैक्सीन डेवलप कर ली जाएँ। फिलहाल तो भारत की उम्मीद रूस में डेवलप और मंजूर की गयी वैक्सीन ‘स्पुत्निक 5’ पर टिकी हैं। रूस में स्पुतनिक 5 वैक्सीन हजारों लोगों को लगाई भी जा चुकी है।
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भारत के स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने कहा है कि जुलाई 2021 तक कोरोना वैक्सीन की 40 से 50 करोड़ खुराक पाने की योजना पर काम चल रहा है। चूंकि हर व्यक्ति को दो खुराक देने की जरूरत होगी सो 20 से 25 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जा सकेगी। अभी जितनी वैक्सीन डेवलप की जा रही हैं उनमें अधिकाँश की दो डोज़ देने की जरूरत पड़ेगी। सिर्फ जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन सिंगला डोज़ वाली होगी। इस पर अभी तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है।
किसको पहले लगेगी वैक्सीन
हर्ष वर्धन का कहना है कि राज्य सरकारों से ऐसे ग्रुप्स की लिस्ट बनाने को कहा गया है जिनको प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगाई जानी है। ये लिस्ट अक्टूबर के अंत तक तैयार कर ली जाएगी। वैक्सीन की सप्लाई, भण्डारण, ट्रांसपोर्टेशन, और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए सरकार ने कमिटी बना दी है जो पूरी सप्लाई चेन की व्यवस्था करेगी। वैसे सबसे पहले वैक्सीन डाक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को लगाईं जायेंगी।
भारत की दो वैक्सीनों पर काम
भारत में अपनी दो वैक्सीनों पर काम जारी है और ये दोनों दूसरे चरण के ट्रायल में हैं। एक वैक्सीन तो हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा डेवलप की जा रही है और दूसरी वैक्सीन अहमदाबाद स्थित जाईडस कैडिला बना रहा है। अगर इनके ट्रायल सफल रहते हैं तो ये वैक्सीनें अगले साल उपलब्ध हो जायेंगी। इनके अलावा भारतीय कंपनियों ने चार विदेशी कंपनियों के साथ वैक्सीन के निर्माण और भारत में वितरण का अग्रीमेंट किया हुआ है।
इनमें पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया दो वैक्सीनों पर काम कर रहा है - ऑक्सफ़ोर्ड-आस्ट्रा ज़ेनेका और अमेरिका की नोवावैक्स के लिए। ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन का तो भारतीय लोगों पर ट्रायल भी जारी है। रूस की वैक्सीन का अंतिम चरण का ट्रायल भारत में शीघ्र होने की संभावना है। भारत में इस वैक्सीन की सप्लाई डॉ रेड्डी लैबोरेट्रीज करेगी जबकि जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन की सप्लाई के लिए हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई कंपनी ने करार कर रखा है।
जापान में मुफ्त लगेगा टीका
जापान ने तय किया है कि सभी जापानी नागरिकों को कम से कम एक डोज़ फ्री में दी जायेगी। जापान ने आस्ट्रा ज़ेनेका और फाईजर कंपनी केसाथ कुल 24 करोड़ खुराकों की सप्लाई के लिए अनुबंध कर लिया है। इसके अलावा जापान सरकार अमेरिकी कंपनी मोडरना के साथ भी 4 करोड़ खुराकों की सप्लाई के लिए बातचीत कर रही है। आस्ट्रा ज़ेनेका, फाईजर और मोडरना की वैक्सीनों के तीसरे चरण के ट्रायल जारी हैं और उम्मीद की जा रही है कि अगले साल की पहली छमाही में वैक्सीन उपलब्ध हो जायेगी। जापान सरकार ने वैक्सीन के लिए जो नीति मंजूर की है उसके अनुसार यदि किसी वैक्सीन का कोई गंभीर साइड इफ़ेक्ट होता है तो उसके लिए मुआवजा देने की जिम्मेदारी सरकार पर ही होगी।
अमेरिका में वैक्सीन
चुनाव के प्रचार के दौरान प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप कह चुके हैं कि नवंबर तक अमेरिका में वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। हाल ही में उन्होंने कहा था कि अगले साल अप्रैल तक देश की पूरी आबादी के लिए पर्याप्त टीका उपलब्ध होगा। ये तो तय है कि नवम्बर के पहले हफ्ते में वैक्सीन आने की घोषणा कर दी जायेगी और मुमकिन है कि इमरजेंसी इस्तेमाल के तौर पर प्रेसिडेंट समेत कुछ लोगों को वैक्सीन लगा भी दी जाए। आम जनों को वैक्सीन एफडीए के एप्रूवल के बाद लगेगी जिसमें तीन हफ़्तों का समय लग सकता है। अमेरिकी दवा कंपनी मोडरना के टीके के फेज 1 के नतीजे सकारात्मक आए हैं। कंपनी अमेरिकी सरकार के साथ मिलकर टीका बना रही है। इसके अलावा फाइजर कंपनी का टीका भी बहुत एडवांस स्टेज में है।
जर्मन कंपनी का टीका
जर्मनी की बायोएनटेक ने न्यूयॉर्क स्थित फाइजर के साथ टीका बनाने को लेकर करार किया है। कंपनी एक ऐसी वैक्सीन पर काम कर रही है जिसमें दो खुराक दी जाएगी। कंपनियों ने कहा है कि अगर ट्रायल सफल रहा तो अक्टूबर के आखिरी तक सरकार से मंजूरी ली जा सकती है। कंपनी का कहना है कि अगर वैक्सीन सफल होती है तो अगले साल के अंत तक 1.3 अरब टीके तैयार हो जाएंगे।
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चीन की वैक्सीन
चीन के वुहान से ही कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैला और इसके बाद देश दावा करता आ रहा है कि वह भी तेज गति से कोरोना वायरस के टीके पर काम कर रहा है। चीन में सिनोवेक बायोटेक और सिनोफार्म की वैक्सीन पर तीसरे फेज का ट्रायल चल रहा है। चीन अपनी कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल को पूरा किए बिना ही टीकाकरण अभियान को विस्तार देने जा रहा है। अब देश में बड़े पैमाने पर लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी। चीन यह कोशिश सिर्फ इसलिए कर रहा है जिससे कि उसकी कोरोना वैक्सीन की दुनिया भर में मांग बढ़ सके और वह अमेरिका को नीचा दिखा सके। पिछले महीने ही चीनी कंपनी सिनोफार्म ने ऐलान किया था कि लाखों चीनी लोगों को पहले ही कोरोना वैक्सीन दी जा चुकी है।
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