Congo Fever: घर में पालतू जानवर रखने वाले लोग रहे सतर्क, यह फीवर इम्यून सिस्टम पर करता है हमला
Congo Fever: कांगो फीवर की चपेट में आने का खतरा उन लोगों को ज्यादा है जो गाय, भैंस, बकरी, भेड़ एवं कुत्ता आदि के संपर्क में रहते हैं।
Congo Fever: कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus Mahamari) का असर और डर पूरी तरह से अभी तक लोगों के दिलों-दिमाग से उतरा नहीं है। अभी भी कोरोना के साइड इफेक्ट्स (Corona Side Effects) से जुड़ी बिमारियों का विशेषज्ञ पता लगाने की ही कोशिश में दिन-रात लगे हुए हैं। लेकिन ऐसे में ही एक नई बीमारी ने फिर से लोगों के अंदर के डर को कई गुना बढ़ा दिया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं कांगो फीवर (Crimean-Congo Hemorrhagic Fever- CCHF) की जो एक विषाणुजनित रोग है। मगर इसकी चपेट में आने से लोगों की मृत्यु तक हो जा रही हैं। इससे होने वाली मृत्यु दर (CCHF Death Rate) अभी 30 प्रतिशत हैं।
बता दें कि यह विषाणु (Virus) पूर्वी एवं पश्चिमी अफ्रीका में बहुत मिलता है और ह्यालोमा टिक (Hyalomma Tick) से पैदा होता है। गौरतलब है कि पशुओं की चमड़ी से चिपके रहने वाला 'हिमोरल' नामक परजीवी इस रोग का वाहक माना जाता है। इसलिए इसकी चपेट में आने का खतरा उन लोगों को ज्यादा है जो गाय, भैंस, बकरी, भेड़ एवं कुत्ता आदि के संपर्क में रहते हैं।
हालांकि, यह हाईलोमा टिक के वायरस आरएनए (राइबोन्यूक्लिक एसिड) पर हमला करने वाले विषाणु माने जाते हैं। उल्लेखनीय है कि इस संक्रमण के बाद मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) लगभग खत्म होने लगती है। इतना ही नहीं कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता को देखकर शरीर के भीतर खराब बैक्टीरिया भी प्रहार करने लगते हैं। ऐसे में मरीज विषाणु और जीवाणु दोनों की मार झेलता है।
अब तक कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं
बता दें कि Crimean-Congo Hemorrhagic Fever (Congo Fever) में मरीज़ों को बुखार आने के साथ नाक से खून भी आता है। गौरतलब है कि इस बीमारी से अब तक इराक में करीब 19 लोगों की जान जा चुकी है जबकि हज़ारों लोग संक्रमित हैं। उल्लेखनीय है कि संक्रमण के दूसरे हफ्ते में मरीज़ की स्थिति ज्यादा बिगड़ जाती है जो गहरी चिंता का विषय है। गौरतलब है कि इस बीमारी से मरीज़ की मृत्यु दर लगभग 30 प्रतिशत के बराबर है। सबसे चिंता की बात तो यह है कि इस बीमारी की अभी तक कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
कांगो फीवर के लक्षण (Congo Fever Symptoms)
Crimean-Congo Hemorrhagic Fever या कांगो फीवर के कुछ मुख्य लक्षणों में सिर दर्द, तेज़ बुखार, आंखों का लाल होना, पीठ में दर्द होना, पेट में दर्द और उल्टी और लिगामेंट में दर्द होने के अलावा बीमारी की गंभीर स्थिति में शरीर के अंदर कई अंगों से खून भी निकलना शामिल है।
इस बुखार से बचने के लिए राईबोवेरिन ही है एकमात्र दवा
गौरतलब है कि अगर जानवर की मृत्यु इस विषाणु के कारण हो जाती है और उसके मांस को अगर पक्षी भक्षण करते हैं तो यह वायरस उनसे होते हुए आपके घरों तक भी पहुंच सकता है। उल्लेखनीय है कि ऐसे में इस वक्त संदेह वाले इलाकों में राइबोवेरिन दवाएं बचाव के तौर पर खिलाई जाती हैं। हालाँकि इसको लेकर भी अभी एकराय नहीं हो पायी है।
बता दें कि समय रहते यदि इस बीमारी का इलाज नहीं हुआ तो पूरी तरह मरीज को ठीक नहीं किया जा सकता। उल्लेखनीय है कि मरीज को अकेले रखकर पूरी सुरक्षा के साथ इलाज करना ही अभी इसका एकमात्र उपाय है। गौरतलब है कि मरीज के संपर्क में आने से बचने के लिए पूरी सुरक्षा बेहद जरूरी है। साथ ही मृतकों के शवदाह में भी संक्रमण न फैलने पाए इसका पूरा ख्याल रखना बेहद जरुरी है।
दोस्तों देश और दुनिया की खबरों को तेजी से जानने के लिए बने रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलो करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।