Corona Affected IQ : कोरोना घटा देता है आईक्यू, दिमाग पर हो रहा ये असर
Corona Effected IQ : यूनाइटेड किंगडम में हुई एक व्यापक स्टडी का ब्योरा प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका 'लांसेट' में प्रकाशित हुआ है जिसमें कहा गया है कि जिन लोगों को कोरोना संक्रमण हुआ और जिनको नहीं हुआ, दोनों ग्रुप के लोगों के बौद्धिक आंकलन से साफ़ फर्क पता चला है।
Corona Effected IQ : कोरोना से बीमार पड़ने के बाद इनसान ठीक हो जाये तब भी मुसीबतों का अंत नहीं होता। ये वायरस कुछ न कुछ समस्यायें पैदा कर ही देता है जो लम्बे समय तक पीछा नहीं छोड़ती हैं। एक नई स्टडी में पता चला है कि कोरोना वायरस से रिकवर हो गए लोगों का आईक्यू लेवल काफी घट जाता है। ख़ास तौर पर जिनको कोरोना का गंभीर संक्रमण हुआ था उनमें ये समस्या ज्यादा पाई गई है।
IQ लेवल घट रहा लोगों का
यूनाइटेड किंगडम में हुई एक व्यापक स्टडी का ब्योरा प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका 'लांसेट' में प्रकाशित हुआ है जिसमें कहा गया है कि जिन लोगों को कोरोना संक्रमण हुआ और जिनको नहीं हुआ, दोनों ग्रुप के लोगों के बौद्धिक आंकलन से साफ़ फर्क पता चला है।
दरअसल, यूनाइटेड किंगडम के लोगों की बुद्धिमत्ता के लेवल का पता लगाने के लिए लन्दन स्थित इम्पीरियल कॉलेज के न्यूरोसाइंटिस्ट एडम हैम्पशायर ने कोरोना महामारी आने से काफी पहले एक राष्ट्रव्यापी स्टडी शुरू की थी। 'द ग्रेट ब्रिटेन इंटेलिजेंस टेस्ट' नामक ये स्टडी बीबीसी के साथ मिल कर की गयी थी। पिछले साल मई आते आते जब महामारी का प्रकोप काफी फ़ैल गया और लॉकडाउन लग गया तो हैम्पशायर और उनकी टीम ने अपनी स्टडी की प्रश्नावली में कोरोना संबंधी सवाल भी जोड़ दिए। मंशा ये पता लगाने का था कि क्या कोरोना बीमारी का बौद्धिक क्षमताओं पर कोई दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है।
शोधकर्ता ने कोरोना पर किया खुलासा
अब शोधकर्ताओं ने बताया है कि उन्होंने पूरे यूनाइटेड किंगडम से समाज के विभिन्न वर्गों का अच्छा खासा डेटा हासिल कर लिया है। प्रश्नावली और लोगों के जवाबों के आधार पर शोधकर्ताओं ने पाया कि कोरोना का जितना ज्यादा गंभीर संक्रमण था उसका उतना ही ज्यादा असर मरीज की बौद्धिक क्षमताओं यानी इंटेलिजेंस पर पड़ा है। इंटेलिजेंस लेवल में सबसे ज्यादा कमी उन कामों में गयी जिसमें तर्क, प्लानिंग और ध्यान केन्द्रित करना होता है। इसके अलावा मेमोरी और इमोशनल प्रोसेसिंग जैसी सामान्य चीजों पर असर देखा गया। शोधकर्ताओं का कहना है कि उनकी स्टडी में सबसे बड़ी बात ये निकल कर आई है कि जो मरीज ज्यादा बीमार थे और जिनको अस्पताल में वेंटिलेटर पर रखा गया उनके आईक्यू लेवल में कमी साफ़ तौर पर मिली है।
'ब्रेन फॉग' क्या है (Brain Fog Kya Hai)
शोधकर्ताओं का कहना है कि उनकी स्टडी से ये बात पुख्ता हुई है कि कोरोना से ठीक हो गए मरीजों में लम्बे समय तक 'ब्रेन फॉग' रहता है यानी दिमाग स्पष्ट रूप से सोच समझ नहीं पाता है। स्टडी से पता चलता है कि कोरोना और दिमागी फंक्शन के बीच गहरा नाता है। कोरोना का असर दिमागी अवस्था पर कितने समय तक रहता है इसके बारे में पता करने के लिए अभी और रिसर्च की जरूरत है।यूनिवर्सिटी कॉलेज, लन्दन की क्लिनिकल रिसर्चर क्रिस्टीना पगेल का कहाँ है कि अगर कोरोना महामारी अनियंत्रित रूप से फैलती रही तो उसके परिणामस्वरूप बहुत बड़ी आपदा सामने आयेगी। कोरोना का दीर्घकालिक नतीजा क्या होगा इसे पता करने में महीनों-बरसों लग सकते हैं और तब तक बहुत बड़ा नुकसां हो चुका होगा।
कोरोना वायरस दिमाग के फंक्शन पर क्या असर डालता है इसके कुछ सबूत मिलने का दावा किया जा चुका है। मिसाल के तौर पर स्टडी में ये पता चला है कि कोरोना संक्रमण से दिमाग के टिश्यू सिकुड़ जाते हैं या ख़त्म हो जाते हैं। कुछ मरीजों के ब्रेन स्कैन से ये जानकारी पता चली है। लेकिन ऐसा क्यों होता है और वायरस सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम में सुरक्षा कवच को कैसे पार कर लेता है, इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिली है।