कोरोना रिकवर मरीजों के लिए नया खतरा, शरीर में फैल रहा ये खतरनाक संक्रमण

कोरोना वायरस संक्रमण की तरह ही एस्परजिलोसिस भी एक तरह का संक्रमण है। जो एक तरह के फंगस की वजह से होता है।

Newstrack :  Network
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-05-31 19:36 IST

संक्रमित मरीज (फोटो साभार-सोशल मीडिया) 

नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण से रिकवर हो चुके कई मरीजों को अब तरह-तरह के इंफेक्शन से जूझना पड़ रहा है। मरीजों के शरीर में ब्लैक फंगल के बाद अब एक और इंफेक्शन फैल रहा है। इस इंफेक्शन का नाम एस्परजिलोसिस है। बीते हफ्ते ही इस संक्रमण के गुजरात के दो अस्पतालों में मामले सामने आए हैं। ये खतरनाक इंफेक्शन भी कोरोना से रिकवरी के बाद हो रहा है। संक्रमण एस्परजिलोसिस के लक्षणों के बारे में बताते हैं।

एस्परजिलोसिस 

कोरोना वायरस संक्रमण की तरह ही एस्परजिलोसिस भी एक तरह का संक्रमण है। जो एक तरह के फंगस की वजह से होता है। ये फंगस सामान्यत् हमारे आसपास के वातावरण में ही मौजूद होता है लेकिन ये फंगस किसी स्वस्थ व्यक्तियों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता है।

पर ये फंगस कम कमजोर इम्यूनिटी या फेफड़ों के संक्रमण वालों में सांस के रास्ते शरीर के अंदर जाकर एलर्जी रिएक्शन उत्पन्न कर देता है। ये रक्त वाहिकाओं और उससे आगे भी फैल सकता है।

रिसर्च में बताया जा रहा है कि एस्परजिलोसिस फंगल संक्रमण के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि व्यक्ति किस प्रकार के एस्परजिलोसिस से संक्रमित है। ये विभिन्न प्रकार के एस्परजिलोसिस शरीर को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करते हैं। इनमें से कुछ लक्षण सामान्य हैं।

इस संक्रमण में बुखार और ठंड लगना कोरोना वायरस के शुरूआती लक्षण हैं। इसमें हल्के संक्रमण वालों में ये 5-6 दिनों तक रहता है। लेकिन कोरोना के मरीजों में सबसे पहले बुखार को ही कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है। फिर कोरोना से पूरी तरह ठीक होने के बाद भी अगर आपको फिर से बुखार आता है तो ये फंगल इंफेक्शन का संकेत हो सकता है।

ये फेफड़ों तक पहुंचने के बाद फंगस टिश्यूज को काफी नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। जिससे मरीज को सांस लेने मे दिक्कत होने लगती है। अगर सांस लेने में तकलीफ होती है तो ये इस बात का संकेत है कि फंगल फेफड़ों तक पहुंच चुका है।

फिर अगर संक्रमण फेफड़ों तक पहुंच जाता है, तो संक्रमित व्यक्ति को लगातार खांसी आने लगती है। जिसमें कुछ मामलों में खांसी के साथ थोड़ा खून भी आ सकता है।

ये फंगस शरीर में नाक के जरिए प्रवेश करता है। इस फंगस में मुख्य रूप से साइनस, फेफड़ों को संक्रमित करता है और इसके बाद ये दिमाग की तरफ बढ़ने लगता है। जिससे सिर और आंखों में पूरे समय दर्द रहता है।

संक्रमित मरीज(फोटो-सोशल मीडिया)

इस फंगस के शरीर में होने की वजह से इम्यून सिस्टम कमजोर होने से भी हर वक्त थकान महसूस होती है।

इस फंगल इंफेक्शन से त्वचा में जलन, लालिमा, सूजन और फुंसी आने लगती है। जिससे त्वचा में पूरे समय खुजली होती रहती है।

एस्परजिलोसिस की पहचान करने के लिए डॉक्टर आपकी बायोप्सी करा सकते हैं। साथ ही ब्लड टेस्ट के अलावा, चेस्ट एक्स-रे, सीटी और फेफड़ों का स्कैन कराने की भी सलाह दे सकता है।

सबसे बड़ी बात ये है कि इस बीमारी का पता जितनी जल्दी चल जाए, इलाज उतनी जल्दी शुरू हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इसका इलाज भी ठीक वैसे ही किया जाता है जैसा कि ब्लैक और व्हाइट फंगस में किया जाता है। वहीं इंफेक्शन बॉडी में ज्यादा फैलने पर मरीज की सर्जरी करने की भी आवश्यकता पड़ सकती है।

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