बहुत ही घातक है कोरोना, यदि बीमार हैं और उम्र इतनी है तो रहें सावधान

मौत तय है है हम उसे रोक नहीं सकते लेकिन हम सावधानी और सतर्कता बरतकर उसके आने को कुछ समय टाल कर अपने जीवन का आनंद ले सकते हैं। इस समय कोरोना का खौफ लोगों में सिर पर चढ़कर बोल रहा है, जिसे लेकर अक्सर यह सवाल आते हैं कि कोरोना से प्रभावित होने वाले के बचने की क्या संभावना है? या अगर मैं किसी कोरोना वायरस के शिकार व्यक्ति के संपर्क में आ गया तो मेरा क्या होगा?

Update:2020-03-19 19:14 IST

गुरविन्दर सिंह

मौत तय है है हम उसे रोक नहीं सकते लेकिन हम सावधानी और सतर्कता बरतकर उसके आने को कुछ समय टाल कर अपने जीवन का आनंद ले सकते हैं। इस समय कोरोना का खौफ लोगों में सिर पर चढ़कर बोल रहा है, जिसे लेकर अक्सर यह सवाल आते हैं कि कोरोना से प्रभावित होने वाले के बचने की क्या संभावना है? या अगर मैं किसी कोरोना वायरस के शिकार व्यक्ति के संपर्क में आ गया तो मेरा क्या होगा?

वास्तविकता कोई नहीं जानता। लेकिन कुछ बातें हैं जिन पर गौर किया जा सकता है। इसमें कुछ ऐसे तथ्य हैं जैसे पहले से ही स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का होना, कैंसर का होना, हृदय संबंधी बीमारी का होना, शुगर का मरीज होना, रहने का स्थान और कार्यस्थल इन सब पर बहुत कुछ निर्भर करता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस से मौत का आंकड़ा 3.4% बताया। जो कि चीन में में चीन में में सबसे ज्यादा दिखाई दिया। चाइनीस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार कोरोना वायरस से प्रभावित होकर मरने वालों में 14.8 प्रतिशत 80 साल से ऊपर वाले थे। 8 फीसद 70 साल से ऊपर वाले थे। 3.6 प्रतिशत लोग 60 साल से ऊपर के थे। 1.3 फीसद 50 साल तक के साल तक के और आधा फीसदी 49 साल से कम के थे।

ये दर्शा रहे हैं आंकड़े

डब्ल्यूएचओ के अनुसार अन्य देशों में इटली में 7:3 फीसद व स्पेन में 3.1 फीसद मृत्यु दर रही। चाइनीस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अध्ययन में एक यह बात भी सामने आई कि यदि व्यक्ति पहले से बीमार है और उसका इलाज चल रहा है तब मरने वालों में 10.5 फीसद हृदय संबंधी बीमारी से ग्रस्त थे, 7.3 फीसद लोग शुगर से, 6 फीसद सांस संबंधी बीमारी और हाइपरटेंशन के शिकार थे 5.6 फीसदी कैंसर के पेशेंट थे।

वास्तव में देखा जाए तो यह समय सोशियली डिस्टेंसिंग का है और यह सबसे सुरक्षित तरीका है बचाव का। अगर इसमें जेंडर सेक्टर को देखें तो महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की मृत्यु दर 60 फ़ीसदी अधिक रही है।

चुनौती है कोरोना

वास्तव में हमारे सामाजिक ढांचे के लिए कोरोना वायरस का प्रसार एक चुनौती है। हम सामाजिक सहभागिता से वायरस को फैलने से रोक सकते हैं। अपने समाज के सहभागी बन सकते हैं। सरकार भी प्रत्येक संभव तरीके से इसके प्रयास कर रही है।

कोरोना वायरस से प्रभावित होने या इसका शिकार होने की बात बहुत कुछ इस बात पर भी निर्भर कर रही है कि हमारी सरकार क्या प्रयास कर रही है और हमारा समाज सरकार के प्रयासों को कितना गंभीरता से लेकर उस पर अमल कर रहा है। कुछ मुस्लिम और कुछ हिंदू धर्मगुरु कोरोना वायरस से बचाव के उलटे सीधे तरीके बता रहे हैं। इन पर अमल करके लोग दिक्कत में पड़ सकते हैं। ईरान जैसे देश में कोरोना वायरस एक गंभीर आपदा बन गया है। यथार्थ में कोरोना वायरस जीवन का अंत नहीं है, बल्कि जिंदगी के एक नए अध्याय की शुरुआत है।

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