Corona Test की जरुरत नहीं, अब आवाज बताएगी संक्रमण है या नहीं
Corona Test: आवाज और खांसी की ध्वनि से कोरोना का पता लगाने का काम सबसे पहले इजरायल की एक कंपनी शुरु किया। अब ब्रिटेन और भारत में भी आवाज से कोरोना पकड़ने के टूल डेवलप किये जा चुके हैं।
Corona Test: किसी को कोरोना संक्रमण है कि नहीं, ये पता करने के लिए तरह तरह के उपाय किये जा रहे हैं और ढेरों रिसर्च भी चल रही हैं। अब पता चला है कि किसी की आवाज या खांसी सुन कर पता लगाया जा सकता है कि उसे कोरोना संक्रमण हुआ है कि नहीं। आवाज के जरिये बीमारी के लक्षण पता करने की दिशा में कई रिसर्च चल रहे हैं। अमेरिका की एमआईटी और भारत के इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि खांसी की आवाज से कोरोना संक्रमण का पता लगाया जा सकता है।
आवाज और खांसी की ध्वनि (Khansi Ki Awaj) से कोरोना का पता लगाने (Detect Covid-19)का काम सबसे पहले 2020 की शुरुआत में ही इजरायल की एक कंपनी ने शुरू कर दिया था। अब ब्रिटेन और भारत में भी आवाज से कोरोना पकड़ने के टूल डेवलप किये जा चुके हैं।
महामारी की शुरुआत से ही रिसर्च
कोरोना महामारी की शुरुआत में पिछले साल ही इजरायल में डिफेन्स मंत्रालय और 'वोकालिस हेल्थ' नाम के एक स्टार्ट अप ने लोगों से अपने आवाज के नमूने डोनेट करने को कहा था। वोकालिस दरअसल आवाज का विश्लेषण करने वाली एक कंपनी है जिसने पहले एक फोन ऐप तैयार किया था जिसके द्वारा क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी बीमारी के लक्षणों को पकड़ा जा सकता था। बोलते वक्त किसी व्यक्ति की सांस फूलने से इस बीमारी के शुरुआती लक्षण ये ऐप भांप लेता था। वोकलिस ने कोरोना संक्रमण को पकड़ने के लिए इसी तरह का प्रयोग सफलतापूर्वक किया है। वोकालिस ने कहा कि जो व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं वो अपनी आवाज का सैंपल कंपनी के एक रिसर्च ऐप में रिकॉर्ड कर लें। ये ऐप सार्वजानिक तौर पर उपलब्ध कराया गया था। मरीजों को दिन में एक बार ऐप में जोर से बोलना था और गिनती गिननी होती थी।
वोकलिस ने मरीजों और स्वस्थ व्यक्तियों की आवाजों का मशीन लर्निंग सिस्टम के जरिये मिलान किया और ये जानने की कोशिश की क्या बीमारी से आवाज पर कोई असर पड़ता है।वोकालिस ने अब कोविड-19 स्क्रीनिंग टूल का पायलट वर्जन तैयार कर लिया है जिसका विश्व भर में ट्रायल किया जा रहा है।
आवाज से मिलते हैं संकेत
शोधकर्ताओं का कहना है कि बोलने और खांसने पर शरीर के अनेक सिस्टम मिल कर काम करते हैं। फेफड़ों से हवा वोकल कार्ड्स तक पहुँचती है, वोकल कार्ड आवाज पैदा करते हैं जिनको जबान, होंठ और नाक एक ख़ास शेप देती है। मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम के अन्य हिस्से इन सभी प्रक्रियाओं को नियमित करके शब्दों को तय करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में किसी बीमारी की वजह से आयी गड़बड़ी के कारण आवाज पर अवश्य ही असर पड़ता है। मशीन लर्निंग और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस से वैज्ञानिकों को इस क्षेत्र में काम करने के बहुत एडवांस अवसर मिले हैं। खासकर पर्किन्सन बीमारी में तो काफी काम किया गया है। चूँकि कोरोना वायरस फेफड़े, नाक और गले को प्रभावित करता है सो आवाज पर इस बीमारी का असर आना तय माना जा रहा है।
भारत में बनाया गया वाणी मित्र
भारत में एक सरकारी संस्था सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग यानी सीडैक ने वाणी मित्र नामक एक टूल डेवलप किया है। इस ऐप में लोगों को अपनी खांसने की आवाज अपलोड करनी होती है। इस आवाज को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये तत्काल प्रोसेस किया जाता है। इस टूल के डेटाबेस में कोरोना पॉजिटिव और कोरोना नेगेटिव लोगों की खांसी की आवाज के हजारों सैंपल जमा हो चुके हैं। जैसे जैसे डेटाबेस बढ़ता जाएगा, ये टूल और भी सटीक परिणाम देने लगेगा। इस डेटाबेस को कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के सहयोग से बनाया गया है।
ब्रिटेन में हो रहा काम
यूनाइटेड किंगडम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये लोगों की खांसी की आवाज से कोरोना संक्रमण का पता लगाने पर काम चल रहा है। यूके में स्वास्थ्य विभाग ने जापानी टेक कम्पनी फुजित्सु को एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया है। एमआईटी की रिसर्च के बाद यूके में इस दिशा में काम शुरू हुआ था। एमआईटी की रिसर्च में कहा गया था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के टूल के जरिये कोई यूजर अपने फोन पर खांस कर तत्काल जान सकेगा कि उसे संक्रमण है कि नहीं।