Pre-Diabetes In India: प्री-डायबिटीज के मामले में भारत में गांव और शहर का हाल एक जैसा- डॉ राहुल चंदोला
Pre-Diabetes In India: आईसीएमआर द्वारा पिछले दिनों की गई स्टडी के मुताबिक देश की लगभग एक चौथाई आबादी या तो डायबिटीज का शिकार है या प्री-डायबिटिक स्टेज पर है।
Pre-Diabetes In India: देश में हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मध्यप्रदेश के छतरपुर के महर्षि विद्या मंदिर स्कूल में पढ़ने वाले सार्थक नाम के 10वीं कक्षा के छात्र को अचानक हार्ट अटैक आ गया।
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जिस समय उसे हार्ट अटैक आया उस वक्त स्कूल में प्रार्थना चल रही थी, तभी वह अचानक गिरकर बेहोश हो गया। स्कूल वालों ने उसे सीपीआर देने की कोशिश की। लेकिन सार्थक को बचाया नहीं जा सका। इसी कड़ी मे आज तकरीबन 35.5 फीसदी आबादी यानी 31.5 करोड़ लोग हाई ब्लड प्रेशर की चपेट में हैं। इसके कारण हृदय रोगियों की संंख्या बढ़ी है।
आकड़ों के मुताबिक देश की आबादी है गंभीर बिमारी से पीड़ित
यह बातें दिल्ली में इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट लंग डिजीज अस्पताल के चेयरमैन व हृदय और फेफड़े प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. राहुल चंदोला ने कहीं। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर द्वारा पिछले दिनों की गई स्टडी के मुताबिक देश की लगभग एक चौथाई आबादी या तो डायबिटीज का शिकार है या प्री-डायबिटिक स्टेज पर है। देश की 11.4 फीसदी आबादी (10.1 करोड़ लोग) डायबिटीज की चपेट में है, जबकि 15.3% आबादी (13.6 करोड़ लोग) प्री-डायबिटीज स्टेज पर हैं। अभी जो लोग प्री-डायबिटीज स्टेज पर हैं। अगले 5 वर्षों में उनमें से तकरीबन आधे डायबिटीज के मरीज बन सकते हैं। यह बहुत चिंता का विषय है। स्टडी के मुताबिक देश की 28.6 फीसदी आबादी मोटापे की चपेट में है। वहीं, बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) पैरामीटर की बात करें तो 39.5 प्रतिशत (35.1 करोड़ ) लोग पेट के मोटापे का शिकार है। इसी तरह देश की 24 फीसदी आबादी हाइपर कोलेस्ट्रोलीमिया की चपेट में है। 21.3 करोड़ लोग बेड कोलेस्ट्रॉल से जूझ रहे हैं। ग्रामीण इलाकों के मुकाबले शहरी इलाकों में करीब दोगुने लोग मधुमेह की चपेट में हैं।
आईएसीएम के रिसर्च के डाटा पर नजर डालें तो शहरी इलाकों की 16.4 फीसदी आबादी डायबिटीज की चपेट में है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 8.9% आबादी डायबिटीज से जूझ रही है। लेकिन चिंताजनक बात यह है कि प्री-डायबिटीज के मामले में गांव और शहर की स्थिति लगभग एक जैसी ही है। शहरी इलाकों में जहां 15.4 फीसदी लोग प्री-डायबिटीज स्टेज पर हैं तो ग्रामीण इलाकों में 15.2 प्रतिशत लोग प्री-डायबिटीज से जूझ रहे हैं। रिसर्च के मुताबिक दक्षिण भारत के राज्यों में डायबिटीज के सर्वाधिक मरीज हैं। उत्तर भारत की बात करें तो दिल्ली और पंजाब दो ऐसे राज्य है जहां सर्वाधिक डायबिटीज पीड़ित है। दूसरी तरफ, सर्वाधिक आबादी वाला राज्य होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में महज 4.8 फीसदी लोग शुगर की चपेट में है। वहीं हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर के मामले में भी शहरी आबादी ज्यादा प्रभावित है। शहरी इलाकों के 40.7% फीसदी लोग हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हैं, तो ग्रामीण इलाकों में 33% लोग इसकी चपेट में हैं।
पंजाब ऐसा राज्य है जहां की आधी से ज्यादा आबादी हाइपरटेंशन की चपेट में है। 51.8 लोग हाई बीपी के शिकार है। हाई कोलेस्ट्रॉल की बात करें तो शहरी इलाकों में 27.4% और और ग्रामीण इलाकों में 22.3 प्रतिशत इसकी चपेट में है। डॉ राहुल चंदोला ने प्रयागराज वासियों को बेहतर इलाज के लिए एक बड़ी सौगात देने की बात कही है डॉक्टर राहुल चंदोला ने कहा है कि जल्द ही वह एक ब्रांच प्रयागराज में भी खोलने जा रहे हैं क्योंकि प्रयागराज और आसपास के जिलों से उनके काफी मरीज दिल्ली आते हैं ऐसे में मरीजों को सहूलियत देने के लिए वह प्रयागराज की कई डॉक्टर से बात भी करेंगे
जीवनशैली में सुधार जरूरी
अब लोग फल और सब्जियों का सेवन काफी कम करते हैं। युवा अधिकतर नशे की ओर बढ़ रहे हैं। धूम्रपान अत्यधिक होने लगा है। दैनिक व्यायाम, योग प्राणायाम न करने और अधिकांश समय अपने कार्यस्थल पर बैठकर काम करने से हृदय रोग के मामले बढ़ रहे हैं। बदलते परिवेश में अब बच्चों के साथ बड़े भी घर के बाहर का बना पिज्जा, बर्गर, फास्ट फूड ज्यादा पसंद कर रहे हैं। सभी के द्वारा सब्जियां, अनाज, दूध, घी का सेवन कम होता जा रहा है। खराब जीवन शैली की आदतों के कारण मध्यम आयु वर्ग की आबादी समय से पहले ही दिल की समस्याओं से जूझने लगा है। तंबाकू का सेवन हृदय के साथ कई अन्य बीमारियों का कारक है। जीवन शैली में बदलाव से बहुत हद तक इससे बचा जा सकता है। सप्ताह में कम से कम पांच दिन तक रोज 30 मिनट तेज चाल से पैदल चलें, मानसिक तनाव कम ले। अगर किसी व्यक्ति को हाई ब्लडप्रेशर की समस्या है, तो हर 15 दिन में ब्लड प्रेशर की जांच कराएं। ब्लड प्रेशर कंट्रोल में न होना हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा देता है। स्वस्थ शरीर और दिल के लिए पूरी नींद लेना चाहिए।
कोरोना के बाद बढ़ी है हृदय रोग की समस्या
मुंह और फेफड़े के कैंसर के साथ हृदय, सांस, नस, यादाश्त तथा दूसरी कई गंभीर बीमारियों की वजह तंबाकू का सेवन बन रहा है। अब इलाज के लिए आने वाले रोगियों में कोरोना के बाद सांस फूलने, सुगर, हाई ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन की शिकायत है। कोरोना ने लोगों के दिल को कमजोर कर दिया है। तीन वर्षों में हार्ट अटैक की शिकायतें भी बढ़ गई हैं। तंबाकू में अन्य कई और तत्व भी कैंसर कारक है। तंबाकू सेवन से मुंह, गला, श्वांस नली व फेफड़े का कैंसर होता है। इससे दिल की बीमारी, उच्च रक्तचाप व पेट में अल्सर होने की भी आशंका रहती है, इसलिए एक बार निश्चय कर तंबाकू छोड़ दें।
गंभीर रोगियों को इलाज में मदद करेगा फाउंडेशन
हृदय और फेफड़े की गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को हंस फाउंडेशन की ओर से इलाज में मदद की जाएगी। फाउंडेशन की ओर से पहले भी गरीब परिवार के लोगों की इलाज में मदद की जाती रही है। ऐसे में शहर के वह मरीज जो गंभीर बीमारी से जूझ रहे फाउंडेशन और अस्पताल से संपर्क कर सकते हैं।जरूरी मरीजों की पहचान के बाद उन्हें इलाज में मदद की जाएगी।