Health News: 78 साल की उम्र में बुजुर्ग ने कराया फेफड़ों का ट्रांसप्लांट, अपने नाम किया ये बड़ा रिकॉर्ड

Health News: चेन्नई में एक 78 साल बुजुर्ग के दोनों फेफड़ों का सफल ट्रांसप्लांट किया गया। इसी के साथ बुजुर्ग ने एशिया का पहला ऐसा आदमी होने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया, जिसने इतनी ज्यादा उम्र में फेफड़ों का ट्रांसप्लांट कराया और इस ऑपरेशन को झेल लिया।

Update:2023-07-05 18:22 IST
Lung transplant (Image Social media)

Health News: हेल्थ से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। चेन्नई में एक 78 साल के बुजुर्ग आदमी के दोनों फेफड़ों का सफल ट्रांसप्लांट किया गया है। इस ऑपरेशन को सफल कर जहां डॉक्टरों को बड़ी सफलता मिली है। वहीं, बुजुर्ग ने भी एशिया का पहला ऐसा आदमी होने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है, जिसने इतनी ज्यादा उम्र में फेफड़ों का ट्रांसप्लांट कराया और इस ऑपरेशन को झेल लिया। सामान्य तौर पर इतनी ज्यादा उम्र के लोग इस तरह के बड़े ऑपरेशन झेल नहीं पाते हैं।

बुजुर्ग को थी गंभीर सांस की बिमारी

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चेन्नई के एक मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल एमजीएम हेल्थकेयर के डॉक्टरों ने बुजुर्ग के इस जोखिम भरे ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा किया है। जिस बुजुर्ग व्यक्ति का ऑपरेशन हुआ है, उन्हें गंभीर सांस की बीमारी (एआरडीएस) थी। इसे एस्पिरेशन निमोनिया भी कहते है। ऑपरेशन से पहले उन्हें 15 दिनों के लिए वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। इसके अलावा वह 50 से ज्यादा सालों ईसीएमओ (एक्स्ट्रा कॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन) सपोर्ट पर थे।

कुछ ऐसी रही ऑपरेशन प्रक्रिया

बुजुर्ग आदमी की ज्यादा उम्र और इस ऑपरेशन के फायदे-नुकसान पर ध्यान देते हुए विशेषज्ञों ने दोनों फेफड़ों के ट्रांसप्लांट करने का निर्णय लिया था। डॉक्टरों के अनुसार बुजुर्ग ये सर्जरी सहन कर सकते थे। राज्य प्रत्यारोपण रजिस्ट्री पर पंजीकृत होने के बाद और उपयुक्त ब्रेन-डेड डोनर की उपलब्धता के बाद बुजुर्ग का ऑपरेशन किया गया था। 'इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट एंड मैकेनिकल सर्कुलेटरी' सपोर्ट के निदेशक डॉ. केआर बालाकृष्णन के सुपरविजन में सह-निदेशक डॉ. सुरेश राव केजी, पल्मोनोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. अपार जिंदल आदि ने इस ऑपरेशन को सफल बनाया।

कैसे होता है फेफड़ो का ट्रांसप्लांट

फेफड़ों का ट्रांसप्लांट सर्जिकल टेक्निक के तहत किया जाता है। जिसमें पहले एक-एक करके दोनों खराब फेफड़ों को हटाया जाता है। इसके बाद डोनर के फेफड़ों को मरीज की सांस नली और दिल से आने जाने वाली ब्लड वेस्लस में जोड़ दिया जाता है। मरीज की स्थिति और उम्र को देखते हुए यह प्रक्रिया बेहद चुनौती पूर्ण होती है। इस कठिन प्रक्रिया के बाद फेफड़ों का पूरा ट्रांसप्लांट किया जाता है। ऑपरेशन होते ही मरीज को आईसीयू में कुछ दिन ऑब्जरवेशन में रखा जाता है। अगर सब सही रहता है, तो कुछ दिन में मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है।

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