Health Special : पित्ताशय और किडनी ही नहीं, यहां भी शरीर में बनते हैं स्टोन, इनसे कैसे बचा जाए?

Health Special : दुनिया के लगभग दस में से एक व्यक्ति के शरीर में स्टोन यानी पथरी बनने की समस्या होती है। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के यूरोलॉजी विभाग के चिकित्सक डॉ. संजीत कुमार सिंह ने बताया कि व्यक्ति के शरीर में अलग-अलग जगहों पर स्टोन बन सकता है।

Written By :  Rajnish Verma
Update: 2024-06-10 11:23 GMT

सांकेतिक तस्वीर (Photo - Social Media

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Health Special : मानव शरीर पंचतत्वों से मिलकर बना हुआ है, इसमें कई प्रकार की अद्भुत क्षमताएं पाई जाती हैं। इसमें सबसे अलग है स्टोन यानी पथरी पैदा करने क्षमता। हमने अक्सर सुना होगा कि किडनी (गुर्दे) और गॉल ब्लैडर (पित्ताशय) में पथरी बन गई है, जिससे आपको समस्या भी होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनके अलावा शरीर में ऐसी अन्य जगहों पर भी स्टोन यानी पत्थर बनते हैं, जहां आपने कभी सोचा भी नहीं होगा। 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया के लगभग दस में से एक व्यक्ति के शरीर में स्टोन यानी पथरी बनने की समस्या होती है। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के यूरोलॉजी विभाग के चिकित्सक डॉ. संजीत कुमार सिंह ने बताया कि व्यक्ति के शरीर में अलग-अलग जगहों पर स्टोन बन सकता है। उन्होंने बताया कि शरीर में मुख्यत: किडनी (गुर्दे) स्टोन , गॉल ब्लैडर (पित्ताशय) स्टोन, टॉन्सिल स्टोन और सलाइवेरी स्टोन (लार पथरी) हैं। जिनके कई अलग-अलग कारण हैं। यह शरीर में न बनें इसके लिए हमें क्या करना चाहिए और इसके लक्षण क्या हैं। आइये जानते हैं ….

किडनी (गुर्दे) स्टोन

चिकित्सक डॉ. संजीत कुमार सिंह ने बताया किडनी में स्टोन या पथरी बनने के कई कारण हैं, उसमें मुख्य कारण है - कैल्शियम और ऑक्सालेट के लीक होने की मात्रा का अधिक होना। इसके अलावा यूटीआई (यूरिन इंफेक्शन), पेशाब कम होना, डाइटरी फैक्टर, जेनेटिक फैक्टर के कारण भी स्टोन बनता है।

सांकेतिक फोटो - सोशल मीडिया

किडनी में कई तरह के स्टोन होते हैं, उनमें कैल्शियम स्टोन, यूरिक एसिड, स्ट्रूवाइट स्टोन, सिसटीन स्टोन। हमें स्टोन से बचने के लिए पानी की मात्रा को बढ़ाना होगा, रिस्क फैक्टर को कम करना होगा, एनीमल प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना होगा। इसके अलावा हमें डिब्बा बंद फूड से बचना होगा।

किडनी स्टोन 10 से 12 सेंटीमीटर तक बड़े भी हो सकते हैं, ये पेसाब में रास्ते में रुकावट भी बन सकते हैं। इससे आपको दर्द हो सकता है, पेसाब में खून आ सकता है। इसके साथ ही पेसाब की मात्रा कम हो सकती है। स्टोन गनने से इंफेक्शन का खतरा पैदा हो सकता है। इसके अलावा पीठ के निचले हिस्से में गम्भीर दर्द हो सकता है।

गॉल ब्लैडर (पित्ताशय) स्टोन

चिकित्सक डॉ. संजीत कुमार सिंह ने बताया कि गॉल ब्लैडर यानी पित्ताशय में पथरी बनना भी एक सामान्य स्थिति है। यह पित्त के जमा होने के कारण बनता है। पित्त एक प्रकार का पाचन रस है, जो यकृत यानी लीवर में बनता है और गॉल ब्लैडर में जमा होता है। यह बालू के कण से लेकर गोल्फ बाल तक बड़े हो सकते हैं। कुछ में इसकी संख्या एक और अधिकांश में एक से ज्यादा होती है।

- पित्ताशय में भी दो प्रकार के स्टोन बनते हैं, एक कोलेस्ट्राल गॉलस्टोन और दूसरा पिगमेंट गॉल स्टोन। गॉल स्टोन मुख्य रूप से पित्त में कोलेस्ट्राल की अधिक मात्रा होने से बनते हैं। इसके अलावा पित्त में बिलीरूबिन का बढ़ना और पित्त की थैली का ठीक से खाली न होना भी प्रमुख कारणों में हैं।

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- गॉल ब्लैडर स्टोन के लक्षणों में – पेट के ऊपरी हिस्से में दाहिन ओर तेज दर्द होना, यह दर्द कंधे तक जा सकता है। जी मिचला सकता है या उल्टी हो सकती है, जॉन्डिस जैसी समस्या पैदा हो सकती है।

- हमें उच्च कोलेस्ट्रॉल और वसा वाले भोजन से बचना चाहिए। फलों और सब्जियों, साबुत अनाज, कम वसा वाले डेयरी उत्पादों से भरपूर आहार लेना चाहिए, जिसमें फाइबर की मात्रा अधिक हो। इसमें साथ हमें अपने वजन को भी नियंत्रित रखना होगा।

टॉन्सिल स्टोन

- टॉन्सिल ग्रंथि, गले में नीचे और पीछे की तरफ होती है, यहां भी पथरी बन सकती है। इसे टॉन्सिल स्टोन कहते हैं। यह कैल्शियम जमने से एक गांठनुमा बन जाती है। इससे बेचैनी, सांस लेने में परेशानी हो सकती है। इसके साथ ही गले में खराश, निगलने में दिक्कत और कान में दर्द हो सकता है। ये स्टोन अपेक्षाकृत नरम और कम पथरीले होते हैं, लेकिन वक्त के साथ ये भी सख्त हो सकते हैं और मुश्किल बन सकते हैं।

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- चिकित्सक डॉ. संजीत कुमार सिंह ने बताया कि टॉन्सिल स्टोन, छोटे कंकड़ के आकार की सूजन जैसा होता है, ये गले में संक्रमण के कारण भी हो सकता है। ट्रान्सिलाइटिस (गलसुओं की सूजन), टॉन्सिल क्रिप्टस के बढ़ने के कारण भी ये समस्या हो सकती है। इसके अलावा अन्य कारणों में डीहाईड्रेशन भी शामिल है।

टॉन्सिल स्टोन से बचने के लिए हमें मुंह को अच्छे से साफ रखना होग। इसके साथ ही डीहाईड्रेशन से बचने के लिए पेय पदार्थों पर भी ध्यान रखना होगा।

सलाइवेरी स्टोन

- शरीर में बनने वाली पथरी में ‘सलाइवेरी स्टोन’ का भी नाम है, जो सलाइवेरी ग्रंथि में बनता है। इसे लार पथरी भी कहा जाता है, ये मुंह सूखा रहने से हो सकती है। रेडिएशन थेरेपी के कारण भी ये समस्या देखने को मिल सकती है।

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- चिकित्सक डॉ. संजीत कुमार सिंह ने बताया कि लार की पथरी कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फेट जैसे अलग-अलग तत्वों से बन सकती है। लार की पथरी बनने से मुंह में लार गिरने की प्रक्रिया रुक सकती है।

- इसके लक्षणों में चेहरे में सूजन, दर्द होना, निगलने में कठिनाई, मुंह खोलने में दर्द और मुंह का सूखना प्रमुख है।

- इससे बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए और अच्छे से मुंह की सफाई रखनी चाहिए।

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