सबसे ज्यादा हार्ट अटैक कब आते हैं और कैसे इससे बचा जा सकता है? यहां जानें
हार्ट अटैक आने का वैसे तो कोई निश्चित समय नहीं होता है। ये चलते-फिरते बोलते या सोते वक्त कभी भी आ सकता है। लेकिन ज्यादातर केस में अध्ययन करने के बाद ये पाया गया है कि हार्ट अटैक सुबह के समय बाथरूम के अंदर ज्यादा आते हैं।
नई दिल्ली: भारत में हार्ट अटैक से मरने वालों लोगों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। आज के दौर में केवल बुजुर्ग ही नहीं बल्कि युवा पीढ़ी भी इसकी चपेट में आ रहे है।
हार्ट अटैक लोगों के लिए सबसे गंभीर समस्या बन गया है। लेकिन बहुत कम लोग ही ये बात जानते हैं कि अगर शुरू से ही सावधानी बरती जाएं और कुछ छोटी –छोटी गलतियां हैं।
उन पर ध्यान दिया जाए तो जीवन में कभी हार्ट अटैक आएगा ही नहीं। तो आइए आज हम आपको बतातेहैं सबसे हार्ट अटैक कब आतें हैं और इनसे कैसे बचा जा सकता है।
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हार्ट अटैक सबसे ज्यादा कब आते हैं?
हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट आने का वैसे तो कोई निश्चित समय नहीं होता है। ये चलते-फिरते बोलते या सोते वक्त कभी भी आ सकता है। लेकिन ज्यादातर केस में अध्ययन करने के बाद ये पाया गया है कि हार्ट अटैक सुबह के समय बाथरूम के अंदर ज्यादा आते हैं।
क्या होता है हार्ट अटैक/ कार्डियक अरेस्ट, और ये क्यों आता है
दरअसल हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट का सीधा संबंध हमारे खून से होता है। खून के माध्यम से हमारे शरीर में ऑक्सीजन और जरूरी पोषक तत्व पहुंचते हैं।
जब हमारे हृदय तक ऑक्सीजन पहुंचाने वाली धमनियों में ब्लॉक जमने की वजह से रुकावट पैदा होने लगती है तो दिल की धड़कन की रफ्तार असंतुलित हो जाती है। ऐसी स्थिति में हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट आ जाता है।
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बाथरूम में ही सबसे ज्यदा क्यों आता है हार्ट अटैक
ये बात बेहद कम लोग ही जानते हैं कि हार्ट अटैक के सबसे ज्यादा केस बाथरूम में ही देखने को मिले हैं। इसके पीछे कई एक नहीं बल्कि बहुत से कारण होते हैं। आपको इन वजहों के बारे में जानकारी जरूर होनी चाहिए ताकि आप खुद को और अपने परिवार को इससे सुरक्षित रख सकें।
दिल की धमनियों पर अधिक दबाव पड़ने से आता है हार्ट अटैक
दरअसल कई लोगों में देखा गया है कि उनका पेट साफ नहीं होता है और ऐसे लोग सुबह के टाइम जब टॉयलेट के लिए जाते हैं तो पेट को पूरी तरह से साफ करने के लिए प्रेशर(ताकत) लगाते हैं।
ऐसा करना ही उनके लिए बाद में जाकर जानलेवा बन जाता है। इस प्रेशर से हमारे दिल की धमनियों पर अधिक दबाव पड़ता है। इससे हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट आने के चांसेज बढ़ जाते हैं।
तापमान का भी होता है असर
बाथरूम का तापमान हमारे घर के अन्य कमरों के मुकाबले अधिक ठंडा रहता है। यहां पानी का फ्लो बार-बार होता रहता है। ऐसी स्थिति में शरीर के तापमान को संतुलित करने और ब्लड सर्कुलेशन को बनाए रखने के लिए अधिक मेहनत की जरूरत पड़ती है। दिल का दौरा पड़ने का यह एक बड़ा कारण होता है।
ब्लड प्रेशर से पड़ता है फर्क
सुबह के समय हमारा ब्लड प्रेशर थोड़ा हाई होता है। ऐसे में जब हम नहाने के लिए अधिक ठंडा या गर्म पानी सीधा सिर पर डाल देते हैं तो इससे ब्लड प्रेशर और बढ़ जाता है। इस वजह से बाथरूम में हार्ट अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है।
हार्ट अटैक से कैसे बचा जा सकता है?
1. टॉयलेट में पेट साफ करने के लिए न तो अधिक जोर लगाएं और न ही जल्दबाजी दिखाएं। टॉयलेट में थोड़ा समय लें।
2. नहाते समय अगर आप बाथ टब का इस्तेमाल करते हैं तो इसका असर भी आपकी धमनियों पर पड़ता है। इसलिए अधिक समय तक बाथ टब में न बैठें।
3.हार्ट अटैक के जोखिम के बाद अब हमारा यह जान लेना जरूरी है कि इससे कैसे बचा जा सकता है। अगर आप इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं तो ज्यादा देर तक एक ही पोजिशन में न बैठें। इससे आप हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट के जोखिम से बच सकते हैं।
4. नहाते समय पानी के तापमान के हिसाब से सबसे पहले पैरों के तलवों को भिगोएं। इसके बाद हल्का पानी सिर पर डालें। इससे आपके शरीर और बाथरूम के तापमान में संतुलन बन जाएगा।
हार्ट अटैक के लक्षण
1.डायबिटीज के पेशेंट को कई बार बिना कोई लक्षण दिखे भी हार्ट अटैक आ जाता है। इसे साइलेंट हार्ट अटैक कहा जाता है।
2. तनाव और घबराहट होना भी हार्ट अटैक का लक्षण है।
3 चक्कर या उल्टी आना भी हार्ट अटैक का लक्षण हो सकता है।
4.हार्ट अटैक के जोखिम के बाद अब हमारा यह जान लेना जरूरी है कि इससे कैसे बचा जा सकता है। अगर आप इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं तो ज्यादा देर तक एक ही पोजिशन में न बैठें। इससे आप हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट के जोखिम से बच सकते हैं।
5. नहाते समय पानी के तापमान के हिसाब से सबसे पहले पैरों के तलवों को भिगोएं। इसके बाद हल्का पानी सिर पर डालें। इससे आपके शरीर और बाथरूम के तापमान में संतुलन बन जाएगा।
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