Heart Attack Symptoms: अच्छे भले लोगों में हार्ट अटैक और मौत, ये कोरोना इफेक्ट भी मुमकिन

Heart Attack Symptoms: आए दिन खबरें आती रहती है कि युवा और अच्छे भले लोगों को हार्ट अटैक हुआ और उनकी मौत हो गई। ऐसा क्यों हो रहा है? जानें क्या कहते हैं डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स?

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2022-06-10 20:20 IST

Heart Attack Symptoms

Heart Attack Symptoms: आए दिन खबरें आती रहती है कि युवा और अच्छे भले लोगों को हार्ट अटैक (Heart Problems In Youth) हुआ और उनकी मौत हो गई। ऐसा क्यों हो रहा है? कोरोना (COVID-19) आने के बाद ऐसी घटनाएं बढ़ सी गईं हैं। सो कहीं इनके पीछे भी कोरोना वायरस (Coronavirus) तो नहीं है?

एक्सपर्ट्स और डॉक्टरों का कहना है कि हार्ट अटैक और कोरोना में जरूर रिश्ता है। हल्का या असिम्प्टोमटिक कोरोना संक्रमण (Corona Infection) होने पर माना जाता था, कि ऐसे लोगों को वायरस के क्रूर दुष्प्रभावों का खामियाजा नहीं भुगतना होगा। लेकिन, नए साक्ष्यों से पता चला है कि कोरोना से संक्रमित किसी भी व्यक्ति को दिल की समस्याओं के लिए अधिक जोखिम होता है। इनमें ख़ून के थक्के, सूजन (swelling) और असामान्य हृदय गति शामिल हैं। ये ऐसे जोखिम हैं जो बीमारी के बीत जाने के बाद भी अपेक्षाकृत स्वस्थ लोगों में भी बने रहते हैं।

कोरोना संक्रमण के बाद बढ़ी दिल की समस्याएं 

ऑक्सफोर्ड (Oxford) के नेतृत्व वाले एक अध्ययन ने हाल ही में स्थापित किया है, कि 50 फीसदी से अधिक या गंभीर संक्रमण वाले रोगियों में से 50 प्रतिशत को दिल का दौरा (Heart Attack) पड़ने की उच्च संभावना होती है। यह भी देखा गया है कि जिन लोगों को कोरोना होने से पहले दिल को कोई रोग नहीं था, उनमें वायरस के संक्रमण से उबरने के बाद हृदय संबंधी समस्याएं (Heart Problems) हो गईं।

कोरोना वायरस से फेफड़ों के बाहर भी समस्याएं  

जॉन्स हॉपकिन्स इंस्टीट्यूट (Johns Hopkins Institute) की कार्डियोलॉजिस्ट वेंडी पोस्ट के अनुसार कोरोना और हार्ट अटैक के बीच संबंध पर कई सवालों के अभी तक स्पष्ट उत्तर नहीं हैं। लेकिन, इतना तय है कि कोरोना वायरस फेफड़ों के बाहर भी जटिलताएं पैदा करता है। चूंकि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस से लड़ती है, इसलिए ये प्रक्रिया हृदय के साथ-साथ स्वस्थ ऊतकों को भी नष्ट कर देती है।

फेफड़े ही नहीं हार्ट भी आ सकता है चपेट में 

हालांकि कोरोना मुख्य रूप से सांस या फेफड़ों की बीमारी है। लेकिन, हृदय भी चपेट में आ सकता है। हृदय के टिश्यू को अस्थायी या स्थायी क्षति कई कारकों के कारण हो सकती है जिसमें ऑक्सीजन की कमी शामिल हैं। चूंकि, वायरस फेफड़ों में हवा के थैलों में सूजन और तरल पदार्थ का कारण बनता है, इसलिए ब्लड सप्लाई में कम ऑक्सीजन पहुंचती है। पूरे शरीर में खून पंप करने के लिए हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जो पहले से मौजूद हृदय रोग वाले लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है। अधिक काम करने से हार्ट फेल भी हो सकता है। या अपर्याप्त ऑक्सीजन हृदय और अन्य अंगों में सेल नष्ट होने और टिश्यू क्षति का कारण बन सकती है।

मायोकार्डिटिस या दिल की सूजन

कोरोना वायरस सीधे हृदय की मांसपेशियों के टिश्यू को संक्रमित और नुकसान पहुंचा सकता है, जैसा कि फ्लू के कुछ वेरिएंट सहित अन्य वायरल संक्रमणों में भी देखा जाता है। शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया से हृदय भी क्षतिग्रस्त और अप्रत्यक्ष रूप से सूजन से ग्रसित हो सकता है। कोरोना वायरस संक्रमण नसों और धमनियों की आंतरिक सतहों को भी प्रभावित करता है, जिससे आर्टरी में सूजन हो सकती है, बहुत छोटी नसों और रक्त के थक्कों को नुकसान हो सकता है, ये सभी हृदय या शरीर के अन्य भागों में रक्त के प्रवाह को प्रभावित कर सकते हैं।

स्ट्रेस कार्डियोमायोपैथी

वायरल संक्रमण कार्डियोमायोपैथी का कारण बन सकता है। ये हृदय की मांसपेशी का विकार होता है जो हृदय की रक्त को प्रभावी ढंग से पंप करने की क्षमता को प्रभावित करता है। दरअसल, जब एक वायरस का हमला होने पर शरीर तनाव से गुजरता है और कैटेकोलामाइंस नामक रसायनों को बड़ी मात्रा में जारी करता है, जो हृदय को खराब  कर सकता है। लेकिन एक बार जब संक्रमण ठीक हो जाता है, तो तनाव समाप्त हो जाता है और हृदय ठीक हो सकता है।

जहां तक कोरोना के बाद दिल का दौरा पड़ने की संभावना का सवाल है तो टाइप 2 दिल के दौरे अधिक आम हैं। यह दिल का दौरा दिल पर बढ़ते तनाव के कारण हो सकता है। इसमें दिल की तेज धड़कन, निम्न ऑक्सीजन लेवल या एनीमिया जैसे लक्षण आते हैं। इसकी वजह हृदय की मांसपेशियों को रक्त में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाना होता है। डॉ पोस्ट के अनुसार ये गम्भीर  कोरोना वायरस रोग वाले लोगों में ज्यादा देखा गया है।

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