World Diabetes Day 2024 : भारत बना डायबिटीज कैपिटल, 21 करोड़ से ज्यादा मरीज, बिना इलाज वालों की भरमार
World Diabetes Day 2024 : भारत के साथ बहुत से रिकॉर्ड जुड़े हैं लेकिन एक बहुत बड़ा रिकॉर्ड है जो बेहद चिंताजनक और खतरनाक है।
World Diabetes Day 2024 : भारत के साथ बहुत से रिकॉर्ड जुड़े हैं लेकिन एक बहुत बड़ा रिकॉर्ड है जो बेहद चिंताजनक और खतरनाक है। ये है डायबिटीज का रिकॉर्ड। तो ये जान लीजिए कि दुनियाभर में डायबिटीज के जितने ज्ञात केस हैं उनमें से एक चौथाई भारत में हैं। इसीलिए भारत को दुनिया का डायबिटीज कैपिटल कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
ये आंकड़े देखिए
- दुनिया के 82.8 करोड़ डायबिटीज पीड़ितों में से 21.2 करोड़ से अधिक भारत में हैं।
- चीन में 14.8 करोड़ पीड़ित हैं, अमेरिका में 4.2 करोड़, पाकिस्तान में 3.6 करोड़ और ब्राज़ील में 2.2 करोड़ लोग रहते हैं।
- दुनिया भर में लगभग 30 प्रतिशत डायबिटीज रोगी कोई इलाज नहीं ले रहे हैं, और इस मामले में भी भारत डायबिटीज रोगियों की ग्लोबल सूची में टॉप पर है।
14 नवम्बर को विश्व डायबिटीज दिवस मनाया जाता है, उद्देश्य है इस बीमारी के बारे में लोगों को सचेत करना। इस साल इस मौके पर विज्ञान पत्रिका "लैंसेट" में एक विश्लेषण छपा है। जिसके अनुसार, अनुमान है कि 2022 में दुनिया भर में लगभग 82.8 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित थे, जिनमें से एक चौथाई से अधिक भारत में थे।
सबसे ज्यादा मरीज गरीब देशों में
- शोधकर्ताओं ने कहा है कि 2022 में 82.8 करोड़ का आंकड़ा 1990 की संख्या से चार गुना ज्यादा है। डायबिटीज के मरीजों की तादाद में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी गरीब और मध्यम आय वाले देशों में हुई है।
- 1990 से 2022 के बीच, उन गरीब व माध्यम आय वाले देशों में जहां डायबिटीज के मामलों में भारी वृद्धि हुई वहीं उन देशों में इलाज की दर निम्न स्तर पर स्थिर बनी रही। मतलब ये कि मामले बढ़ते गए लेकिन इलाज जस का तस बना रहा। नतीजा ये हुआ कि 2022 में ग्लोबल स्तर पर 30 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 44.5 करोड़ एडल्ट ऐसे रहे जिन्हें इस बीमारी का इलाज नहीं मिला।
- 2022 में, बिना इलाज डायबिटीज से पीड़ित 44.5 करोड़ वयस्कों में से लगभग एक तिहाई
(13.3 करोड़) भारत में थे।
- बहुत बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जिनमें डायबिटीज का पता नहीं चल पाता सो इलाज भी नहीं होता। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कम उपचार वाले देशों में डायबिटीज का पता लगाना तत्काल प्राथमिकता होनी चाहिए।
डायबिटिक रेटिनोपैथी
- किसी को डायबिटीज है और इलाज नहीं चल रहा तो अन्य अंधों के अलावा आंखों पर बहुत बड़ा जोखिम रहता है। इस जोखिम को डायबिटिक रेटिनोपैथी कहते हैं। इसमें ब्लड शुगर का हाई लेवल आंख की रेटिना को नुकसान पहुंचाता है। इससे अंधापन तक हो सकता है।
विकासशील देशों में डायबिटीज के अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित 2022 के एक अध्ययन में पाया गया कि भारत में डायबिटीज से पीड़ित 12.5 प्रतिशत लोगों (30 लाख) को डायबिटिक रेटिनोपैथी थी। जिनमें से 4 प्रतिशत को अंधेपन के लिए खतरा पैदा करने वाली रेटिनोपैथी थी यानी इनकी नजर कभी भी जा सकती है।
- चेन्नई के शंकर नेत्रालय के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में कहा है कि डायबिटीज रोगियों की रेटिनोपैथी के लिए जांच जरूर की जानी चाहिए।
किसने की है रिसर्च
ये रिसर्च एक ग्लोबल नेटवर्क द्वारा की गई जिसे वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन कोआर्डिनेट करता है। इस नेटवर्क में शोधकर्ता और चिकित्सक शामिल हैं, जो विभिन्न देशों में गैर-संचारी रोगों के जोखिम कारकों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।