Cooking in Steel Utensils: स्टील के बर्तनों में भी खाना बनाते समय रखें इन बातों का ध्यान, संभल कर करें इस्तेमाल

Cooking in Steel Utensil: स्टील के बर्तनों का अब लगभग सार्वभौमिक इस्तेमाल किया जा रहा है: खाना पकाने, खाना स्टोर करने और खाना खाने। स्टील एक मिश्र धातु है।

Written By :  Anupma Raj
Update:2022-09-27 12:03 IST


Cooking in Steel Utensils (Image: Social Media)


Cooking in Steel Utensils: स्टील के बर्तनों का अब लगभग सार्वभौमिक इस्तेमाल किया जा रहा है। खाना पकाने, खाना स्टोर करने और खाना खाने - तीनों कार्यों के लिए स्टील के बर्तन इस्तेमाल किये जाते हैं। लेकिन एक वर्ग की धारणा है कि स्टील के बर्तन सेहत को बिगाड़ देते हैं।इसके पीछे तर्क ये दिया जाता है कि पुराने जमाने में स्टील की बजाए पीतल, फूल, तांबे, लोहे आदि से बने बर्तन इस्तेमाल करते थे इसीलिए बीमारियां कम होती थीं। 

पहले जानते हैं कि स्टील के बारे में

अधिकांश लोग स्टील, स्टेनलेस स्टील और आयरन यानी लोहे को एक ही चीज समझते हैं लेकिन असलियत में ये तीनों ही चीजें अलग - अलग हैं। स्टील और लोहे के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि लोहा प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला तत्व है। ये प्रकृति में कई चीजों में मिलता है। इस मिनरल को चट्टानों से निकाला जा सकता है और उसे पिघला कर लोहे की रॉड बना सकते हैं।लोहे का उपयोग विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को बनाने के लिए कर सकते हैं।

दूसरी तरफ, स्टील एक मिश्र धातु है। इसे बनाने के लिए पहले लोहे को रिफाइन करना होगा और फिर इसे कार्बन के साथ मिलाना होगा। अलग अलग तरह की स्टील बनाने के लिए विभिन्न धातुओं को जोड़ सकते हैं। प्रत्येक के अपने अलग-अलग गुण होते हैं जो विभिन्न प्रकार के औजारों और वस्तुओं को बनाने के लिए बेहतर अनुकूल होते हैं। उदाहरण के लिए, यदि स्टील में क्रोमियम मिलाते हैं, तो स्टेनलेस स्टील मिलता है। यह नियमित स्टील की तरह आसानी से जंग नहीं खाता है और यह अधिक टिकाऊ होता है। स्टेनलेस स्टील के बर्तन बनाने के लिए इसमें निकल भी मिलाया जाता है।

आधुनिक समय में, ज्यादातर लोहे के बजाय स्टील का उपयोग किया जाता है क्योंकि यह मजबूत होता है। प्राचीन काल में बहुत सी रोजमर्रा की चीजें कच्चा लोहा या गढ़े लोहे से बनी होती थीं, लेकिन औद्योगिक क्रांति के बाद इनकी जगह बड़े पैमाने पर स्टील ने ले ली। एक लौह मिश्र धातु में केवल 2 फीसदी तक कार्बन हो सकता है और फिर भी इसे स्टील कहा जा सकता है। यदि इसमें 2 फीसदी से अधिक कार्बन होता है, तो इसे पिग आयरन नामक एक अलग उत्पाद के रूप में जाना जाता है। बात स्टेनलेस स्टील बर्तनों की स्टेनलेस स्टील, खाना बनाने और ख़ाना खाने के लिए बेहतरीन धातु है।ये अम्लीय खाद्य पदार्थों के साथ रियेक्ट नहीं करता है, साफ करने में आसान होता है और अच्छा दिखता है।  

- स्टेनलेस स्टील कुकवेयर विभिन्न मिश्र धातुओं में उपलब्ध होते हैं। जिसमें 10/18 सबसे सुरक्षित है। यह इंगित करता है कि 10 प्रतिशत धातु निकल है, जो चमक प्रदान करता है, और 18 प्रतिशत क्रोमियम है, जो धातु को जंग प्रतिरोधी बनाता है। स्टेनलेस स्टील के पैन में तांबे या एल्यूमीनियम कोर के ऊपर स्टेनलेस की एक परत हो सकती है। स्टेनलेस स्टील कुछ परिस्थितियों में निकल की थोड़ी मात्रा में रिसाव कर सकता है, जो निकल एलर्जी वाले लोगों के लिए चिंता का विषय हो सकता है।

लेकिन उच्च तापमान पर भी स्टेनलेस स्टील निष्क्रिय रहता है, यानी इसमें से कोई तत्व रिलीज़ नहीं होता है। सो इसे सुरक्षित माना जाना चाहिए। ये भी कहा जाता है कि जब सर्जरी में स्टेनलेस स्टील के औजारों का उपयोग होता है तो फिर बर्तनों का क्या कहना।  

दरारों से सावधान

बार-बार प्रयोग करने और मांजने-धोने से स्टील के बर्तन की सतह पर सूक्ष्म दरारें आ जाती है। ये दरारें बैक्टीरिया और बॉयोफिल्म्स के छिपने की आदर्श जगह होती हैं। इन दरारों में वैक्टीरिया घर बना लेते हैं। इसलिए टूटे या घिस गए बर्तन इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

घटिया बर्तन से बचें

स्टेनलेस स्टील भी कई ग्रेड का होता है। सर्जिकल ग्रेड से लेकर इम्प्लांट और हल्के कटोरी चम्मच वाले ग्रेड तक। जहां तक बर्तनों की बात है तो 303 या 316 ग्रेड वाले बर्तन ही इस्तेमाल करना चहिये क्योंकि इनमें निकल की मात्रा अधिक होती है जिसके चलते स्टेनलेस स्टील ज्यादा सुरक्षित हो जाता है।


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