Health : मिलावटी डिब्बा बंद दूध से डेवलपमेंट डिसऑर्डर का खतरा

Update: 2018-12-01 07:46 GMT
Health : मिलावटी डिब्बा बंद दूध से डेवलपमेंट डिसऑर्डर का खतरा

नई दिल्ली।अपने बच्चों की सेहत के लिए लोग बाजार से महंगा डिब्बा बंद दूध खरीदते हैं। लेकिन अगर इसमें मिलावट की गई हो, तो यह शिशुओं के लिए जहर साबित हो सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि पैकेट बंद दूध से नवजातों या बच्चों में बड़ी आसानी से 'डेवलपमेंट डिसऑर्डर ' भी हो सकता है। बच्चों का शरीर ऐसा होता है कि उनके खानपान में किसी भी तरह की मिलावट का उनके हर अंग पर बुरा प्रभाव पड़ता है, खासतौर पर मस्तिष्क, गुर्दे और लीवर पर। ये दुष्प्रभाव उनमें डेवेलपमेंट डिसऑर्डर उत्पन्न कर सकता है।

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भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई कि भारत में बिकने वाला करीब 10 प्रतिशत दूध स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इस 10 प्रतिशत में 40 प्रतिशत मात्रा डब्बा बंद दूध की है। यह 10 प्रतिशत दूषित दूध वह है, जिसमें यूरिया, वनस्पति तेल, ग्लूकोज या अमोनियम सल्फेट आदि मिला दिया जाता है। ये स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक होता है। वैसे हमारे देश में मिलने वाले मिलावटी दूध में एंटीबायोटिक्स, कीटनाशक और एफ्लाटॉक्सिन एम1 नाम का केमिकल भी मिलाया जाता है। जहां तक एडल्ट्स की बात है तो किसी व्यस्क के शरीर में मिलावटी दूध का सबसे अधिक असर गुर्दे पर पड़ता है। वैसे इसका दुष्प्रभाव दिमाग पर भी हो सकता है। अगर इसका लंबे समय तक यानी कुछ सालों तक सेवन किया जाए, तो यह हमारे शरीर के लिए स्लो-डेथ जैसा हो सकता है क्योंकि इसका धीरे-धीरे पर लगातार लीवर और किडनी पर असर होता रहता है।

इस नुकसान का पता तुरंत नहीं चलता। जान लीजिए कि अगर आप करीब 10 साल तक इस तरह के दूध का सेवन करते हैं, तो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां होने की आशंका हो सकती है।

 

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